अब अंतरिक्ष में भी शानदार कैरियर निर्माण की खुली राह
पूजा पण्डया
पिछले ही महीने भारत के सुधांशु शुक्ला ने अंतरिक्ष में प्रवेश करते ही देश के लाखों युवक-युवतियों को अंतरिक्ष में जाने और बतौर अंतरिक्ष यात्री आसमानी कैरियर बनाने के लिए प्रेरित किया है। अब हमारे युवा भी यह सपना संजोने लगे हैं । हमारे अंतरिक्ष विज्ञान संस्थान इसरो की तेज़ प्रगति ने इस सपने को और भी करीब ला दिया। इसरो, नासा और ईएसए के संयुक्त मिशन की सफलता ने भारतीय युवाओं के लिए अंतरिक्ष में भी कैरियर निर्माण की राह प्रशस्त कर दी है। भारत के आगामी मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम, गगनयान से भविष्य में देश के युवा उम्मीदवारों के लिए और अधिक अवसर खुलने की उम्मीद है।
उचित शिक्षा से तय करें राह
अंतरिक्ष यात्री बनना सिर्फ़ एक कैरियर नहीं है बल्कि ऐसा मिशन है जिसके लिए गहन विशेषज्ञता की आवश्यकता होती है। अंतरिक्ष यात्री बनने के लिए एयरोस्पेस इंजीनियरिंग, अंतरिक्ष विज्ञान, सैन्य विमानन या परीक्षण पायलटिंग, रोबोटिक्स, चिकित्सा या भौतिकी जैसे क्षेत्रों में विशेषज्ञता की आवश्यकता होती है। इसरो और नासा छात्रों को व्यावहारिक अनुभव देने के लिए कई इंटर्नशिप प्रदान कर रहे हैं। लेकिन युवाओं को इस इंटर्नशिप को पाने के लिए समुचित व कड़े प्रयास करने होंगे।
अंतरिक्ष की यात्रा हाईस्कूल से शुरू होती है, जहां विज्ञान और गणित में मजबूत आधार आवश्यक है। भौतिकी, रसायन विज्ञान और गणित यानी पीसीएम के साथ 12वीं के बाद छात्रों को इंजीनियरिंग, भौतिक विज्ञान, जैविक विज्ञान, गणित या वैमानिकी इंजीनियरिंग जैसे क्षेत्रों में स्नातक की डिग्री लेने का लक्ष्य रखना चाहिए। अंतरिक्ष यात्री बनने के लिए युवाओं को कंप्यूटर इंजीनियरिंग,इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग, ,इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग,मैकेनिकल इंजीनियरिंग,जियो फिजिक्स और एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में से किसी भी विषय में स्नातक/मास्टर डिग्री हासिल करनी होगी । जो लोग विमान, रॉकेट और उड़ान यांत्रिकी में रुचि रखते हैं, उनके लिए वैमानिकी या एयरोस्पेस इंजीनियरिंग एक स्वाभाविक विकल्प है। एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में बी,टेक/एमटेक, एयरोफिजिक्स में बीएससी/एमएससी, मेकेनिकल इंजीनिरिंग या इलेक्ट्रानिक्स में बीटेक, स्पेस साइंस में एमएससी तथा एस्ट्रोनॉमी या एस्ट्रो फिजिक्स में पीएचडी जैसी शैक्षणिक योग्यता उपयोगी साबित होगी।
उच्च शारीरिक क्षमता
सही डिग्री और कॉलेज का चयन कर शैक्षणिक योग्यता हासिल करने के साथ ही अंतरिक्ष यात्री बनने के लिए जरूरी है कि प्रत्याशी शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रहें। अंतरिक्ष में जीरो ग्रेविटी में रहते हुए काम करना पड़ता है। अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में रहते हुए कई तरह की शारीरिक और मानसिक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है- हड्डियों और मांसपेशियों के कमजोर होने से लेकर मनोवैज्ञानिक तनाव तक। अंतरिक्ष में प्रवेश करने से पहले कई कठोर चिकित्सा और फिटनेस परीक्षणों से गुजरना होगा। जिसके लिए उनमें उत्तम दृष्टि, सामान्य रक्तचाप, उत्कृष्ट हृदय और फेफड़े की कार्यक्षमता तथा सही वजन शामिल हैं। वहीं आपसी सामंजस्य की योग्यता जरूरी है। उनमें दबाव सहन करने तथा फोकस रखने की योग्यता हो।
प्रवेश द्वार है इसरो
इसरो छात्रों की भर्ती के लिए परीक्षा आयोजित करता है। अगले चरण के लिए, किसी को भर्ती परीक्षा की तैयारी करनी चाहिए। परीक्षा में उपस्थित होने के लिए पात्रता स्नातक/स्नातकोत्तर की डिग्री है। इसरो में प्रवेश पाने का दूसरा रास्ता भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान अर्थात आईआईएसटी से होकर जाता है। इच्छुक युवा आईआइएसटी में प्रवेश लेकर इसरो का रास्ता तय कर सकता है। इसरो छात्रों को इंटर्नशिप कार्यक्रमों के माध्यम से अंतरिक्ष कार्य के बारे में करीब से जानने का अवसर भी देता है, जहां रिसर्च स्कॉलर स्पेस से जुड़ी रिसर्च में योगदान दे सकते हैं। चाहे वह उपग्रह प्रणाली हो या मिशन योजना।
सेना भी ले जाती है अंतरिक्ष की ओर
हमारे देश के अंतरिक्ष यात्री सुधांशु शुक्ला ने भारतीय वायुसेना में अपनी सेवाएं देते हुए उड़ान का लम्बा और सफल अनुभव प्राप्त किया। अंतरिक्ष में कैरियर बनाने के लिए प्रैक्टिकल ट्रेनिंग के लिए पहले वायुसेना और फिर इसरो में प्रशिक्षण हासिल किया। इस क्षेत्र में कैरियर बनाने वाले इस राह का अपना सकते हैं । दुनिया भर में बड़ी संख्या में अंतरिक्ष यात्री विमानन, इंजीनियरिंग या विज्ञान की पृष्ठभूमि से आते है। गौरतलब है कि हमारे पूर्व और वर्तमान अंतरिक्ष यात्रियों क्रमश: राकेश शर्मा और सुभांशु शुक्ला ने भारतीय वायु सेना से ही अंतरिक्ष में अपनी राह प्रशस्त की। इसरो और नासा सहित कई अंतरिक्ष एजेंसियां ऐसे उम्मीदवारों को प्राथमिकता देती हैं जिनके पास सैन्य विमानन जैसे उच्च जोखिम, उच्च अनुशासन वाले वातावरण में काम करने का अनुभव हो। यह रास्ता एनडीए के माध्यम से इंजीनियरिंग की पढ़ाई करके वायु सेना अकादमी में शामिल होकर जाता है।
अंतरिक्ष यात्रियों की आय
अंतरिक्ष यात्री का वेतन अनुभव, देश और एजेंसी के आधार पर अलग-अलग होता है। अमेरिका में नासा के अंतरिक्ष यात्री अपने ग्रेड और अनुभव के आधार पर प्रति वर्ष 90 हजार से से 3 लाख डॉलर वेतन मिलता है। भारत में इसरो के अंतरिक्ष यात्री को प्रति वर्ष लगभग 25 से 40 लाख सैलरी मिलती है, साथ ही अतिरिक्त भत्ते और लाभ भी मिलते है। अंतरिक्ष यात्री के रूप में भविष्य गढ़ने वाले संस्थानों में भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईएसटी), तिरुवनंतपुरम, इसरो की अपनी शैक्षणिक शाखा के साथ-साथ आईआईटी बॉम्बे, आईआईटी कानपुर, आईआईटी मद्रास और मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी), चेन्नई, बिट्स पिलानी , आईआईएसटी, त्रिवेंद्रम,आईआईएससी, बेंगलुरु, एनआईटी, तिरुचिरापल्ली ,आईआईटी दिल्ली, नई दिल्ली, अन्ना विश्वविद्यालय, चेन्नई शामिल हैं। जो युवा आप आईआईएसटी में शीर्ष प्रदर्शन करते हैं उन्हें बिना किसी अतिरिक्त परीक्षा के, इसरो में सीधे प्रवेश मिल जाता है।