उपभोक्ता अधिकार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने टेलीविजन के माध्यम से करदाता चार्टर की घोषणा की ताकि अधिकार बरकरार रखते हुए करदाताओं के साथ उचित बर्ताव सुनिश्चित किया जा सके। मेरी जानकारी के मुताबिक आयकर द्वारा तैयार नागरिक चार्टर पहले से ही मौजूद है, भले ही वह कागजों पर ही क्यों न हो। तो क्या यह पहले से मौजूद चार्टर से अलग है? पुराने चार्टर का क्या हुआ?
जी, हमारे पास पहले से केवल एक नहीं, बल्कि कई चार्टर थे। उन्हें सिर्फ नागरिकों का अधिकारपत्र (चार्टर) कहा जाता था। करदाता चार्टर बेहतर नाम है क्योंकि अंतत: यह चार्टर सिर्फ उन्हीं नागरिकों के लिए है जो आयकर देते हैं। हालांकि, पहले के चार्टर और नये के बीच एक बड़ा अंतर यह है कि पहले वाला ठोस कानूनी प्रभुत्व वाला नहीं था, इसकी वैधानिक मान्यता नहीं थी और इसलिए यह लागू करने योग्य नहीं था। ज्यादातर वादे सिर्फ वादे ही रह गए और बहुतेरे करदाताओं को उनके बारे में पता भी नहीं था।
दूसरी ओर नये करदाताओं का चार्टर, आयकर अधिनियम प्रभुत्व वाला है और कानूनी रूप से सक्षम है। चलिए इसे और स्पष्ट करते हैं। आयकर अधिनियम में धारा 119 ए को शामिल करने के साथ, केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड को करदाताओं के चार्टर को अपनाने और घोषित करने के लिए बाध्य करता है और ‘अन्य ऐसे ही चार्टर के प्रशासन के साथ समायोजन संबंधी आदेश, निर्देश या दिशानिर्देश आयकर अधिकारियों को जारी करता है।’ इन सभी वर्षों के स्वैच्छिक चार्टर्स कानून द्वारा लागू करने के लिए अनिवार्य कानूनी आवश्यकता का रास्ता प्रशस्त करते हैं। नवंबर, 1998 में केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) पहली बार करदाताओं या नागरिकों के लिए चार्टर लाया। यह सभी सरकारी विभागों द्वारा सेवा में सुधार लाने, पारदर्शिता और जवाबदेही लाने के लिए यूनाइटेड किंगडम के प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग (डीएआरपीजी) द्वारा शुरू किए गए नागरिक चार्टर कार्यक्रम के समान एक समग्र प्रशासनिक सुधार एवं प्रबंधन कार्यक्रम का हिस्सा था। डीएआरपीजी के दबाव में सभी विभाग चार्टर तो लेकर आए, लेकिन इसे लागू करने में किसी की दिलचस्पी नहीं रही।
असल में, भारतीय लोक प्रशासन संस्थान (आईआईपीए) द्वारा वर्ष 2008 में की गयी समीक्षा के मुताबिक चार्टर और उनके क्रियान्वयन की तीखी आलोचना हुई। ज्यादातर मंत्रालयों के चार्टर ‘कमजोर, अपरिभाषित, अस्पष्ट मानकों और प्रतिबद्धताओं द्वारा चिह्नित, न केवल सार्वजनिक क्षेत्र में बल्कि संगठन के भीतर भी कम दृश्यता और नगण्य उपस्थिति’ वाले थे।
सीबीडीटी भी बेहतर नहीं था। इसके द्वारा तैयार किए गए सबसे पहले चार्टर को ‘करदाताओं के लिए हमारी सेवा में उत्कृष्टता के लिए हमारी प्रतिबद्धता की घोषणा’ के रूप में वर्णित किया गया और एक पेज के चार्टर ने ए-सही, बी-मददगार और सी-कुशल होने का वादा किया। इसके बाद सीबीडीटी ने इसकी समीक्षा की और वर्ष 2007 में इसे संशोधित किया, फिर वर्ष 2010 में और फिर 29 अप्रैल, 2014 में भी संशोधन किया। हालांकि, वैधानिक मान्यता के अभाव में, चार्टर ज्यादातर अप्रभावित रहा। अब नया, मजबूत करदाताओं का चार्टर पुराने को बदल देगा।
क्या नया चार्टर वाकई सभी करदाताओं की मदद करेगा? क्या यह निष्पक्ष और भ्रष्टाचार मुक्त कर व्यवस्था सुनिश्चित करेगा?
कुछ अन्य कर सुधारों के साथ, सरकार ने वादा किया है कि नया चार्टर पारदर्शी और जवाबदेह होगा; दूसरे शब्दों में निष्पक्ष व्यवहार और भ्रष्टाचार मुक्त कर व्यवस्था। वैसे इस वादे का पूरा होना काफी हद तक इस बात पर निर्भर करता है कि सरकार कितनी सजगता दिखाती है। अपने प्रयास में सफलता पाने के लिए बोर्ड को विशिष्ट समय सीमा के साथ न केवल तत्परता दिखानी होगी, बल्कि सख्त निगरानी और प्रभावी तंत्र भी बनाना होगा। बोर्ड को पहले के चार्टर्स की समीक्षाओं से भी सीख लेनी चाहिए और सुनिश्चित करना चाहिए कि करदाता चार्टर के विवरण को पूरी तरह समझ गया हो और इसका अनुपालन न होने की शिकायतों के समाधान के लिए एक प्रभावी निवारण तंत्र हो।
चार्टर में शिकायतों के तत्काल निवारण के लिए एक तंत्र का वादा किया गया है। सरकार को आयकर लोकपाल की विफलता के कारणों को ध्यान में रखना चाहिए और समयबद्ध शिकायत निवारण के लिए एक प्रभावी और स्वतंत्र व्यवस्था बनानी चाहिए।
यह सुनिश्चित करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है कि कर अधिकारी चार्टर का अनुपालन करें। साथ ही, करदाताओं की गैर-अनुपालन की शिकायतों को आयकर विभाग के कर्मचारियों के लिए प्रदर्शन मूल्यांकन का एक अभिन्न अंग बनाना चाहिए। चार्टर में कहा गया है, ‘विभाग को अपने अधिकारियों को उनके द्वारा किए गए कार्य के प्रति उत्तरदायी बनाना चाहिए।’ उनकी निष्क्रियता या उसी के अनुरूप विफलता के लिए भी उन्हें जवाबदेह होना चाहिए। सबसे महत्वपूर्ण यह है कि करदाताओं को चार्टर के बारे में पूरी तरह से अवगत कराया जाना चाहिए। इस प्रकार, तीन महत्वपूर्ण चीजें कर व्यवस्था में बदलाव में योगदान कर सकती हैं: ए- करदाताओं के अधिकार और उन्हें मिलने वाली सुविधाओं को जिम्मेदारी के साथ आयकर विभाग द्वारा मान्यता एवं उनका सम्मान। बी- सरकार द्वारा अनुपालन की सख्त और कड़ी निगरानी। सी-सभी करदाताओं द्वारा जागरूकता। बेशक, चार्टर करदाताओं को ईमानदार होने और करों का सही भुगतान करने की उम्मीद भी करता है।