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पुरातत्व से जुड़े कार्यक्षेत्र में बनाएं कैरियर

अशोक जोशी यदि आपको इतिहास विषय में दिलचस्पी है और 12वीं में हिस्ट्री सब्जेक्ट लिया है तो आपके पास कुछ अलग करने का मौका है। वहीं इतिहास से जुड़े किसी डिफ्रेंट कैरियर ऑप्शन की तलाश में हैं तो आर्कियोलॉजिस्ट यानी...
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अशोक जोशी

यदि आपको इतिहास विषय में दिलचस्पी है और 12वीं में हिस्ट्री सब्जेक्ट लिया है तो आपके पास कुछ अलग करने का मौका है। वहीं इतिहास से जुड़े किसी डिफ्रेंट कैरियर ऑप्शन की तलाश में हैं तो आर्कियोलॉजिस्ट यानी पुरातत्व विशेषज्ञ बनकर इसे पा सकते हैं। इतिहास के साथ-साथ विज्ञान के स्टूडेंट्स के लिए भी इस फील्ड में बेहतर स्कोप है। आर्कियोलॉजी में पुरानी सभ्यताओं और संस्कृति का वैज्ञानिक दृष्टिकोण से अध्ययन कराया जाता है। प्राचीन चीजों की खोज करने के साथ ही आर्कियोलॉजिस्ट का काम इतिहास की धरोहर को संरक्षित करना भी होता हैं। इतना ही नहीं वे ऐतिहासिक वस्तुओं और सभ्यताओं की खोज करते हैं। आधुनिक संग्रहालयों का संरक्षण आर्कियोलॉजिस्ट ही करते हैं। यह एक मल्टीडिसिप्लीनरी फील्ड है जिसमें इतिहास, संस्कृति, भूगोल, जियोलॉजी, भाषा, कैमिस्ट्री व कला समेत कई विषय समाहित हैं।

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पुरानी सभ्यता-संस्कृति के अध्येता

पृथ्वी के गर्भ में छिपी पुरानी सभ्यता और संस्कृति का वैज्ञानिक दृष्टिकोण से अध्ययन करना व उनकी खोज करना आर्कियोलॉजी कहलाता है। आर्कियोलॉजी में उस इतिहास के बारे में यह जानने की कोशिश की जाती है कि पुरानी सभ्यताओं में लोगों का रहन-सहन कैसा था। किस तरह की वस्तुओं का वे इस्तेमाल करते थे। अनुमानों और पुरातन साक्ष्यों के आधार पर सभ्यता की रूपरेखा खींचने से लेकर तत्कालीन समाज और परिवेश के आकलन का काम भी एक आर्कियोलॉजिस्ट को करना होता है। साथ ही वह कार्बन डेटिंग और समय गणना का काम भी करता है। सभी तरह की ऐतिहासिक वस्तुओं या सभ्यता के वर्तमान से जुड़ाव और विकास के क्रम को निर्धारित करने की जिम्मेदारी भी आर्कियोलॉजिस्ट की होती है।

पुरातत्व में कैरियर स्कोप

आर्कियोलॉजी में कोर्स पूरा करने के बाद आपके पास कैरियर निर्माण के कई अवसर उपलब्ध होंगे। जिनमें मुख्य रूप से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग, नई दिल्ली, राज्यों में स्थित भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग, विभिन्न संग्रहालय, एनजीओ और यूनिवर्सिटी, विदेश मंत्रालय का हिस्टोरिकल विभाग, शिक्षा मंत्रालय, पर्यटन विभाग, इंडियन काउंसिल ऑफ हिस्टोरिकल रिसर्च आदि। इसके साथ ही प्राइवेट सेक्टर में जॉब के ढेरों विकल्प उपलब्ध हैं।

आर्कियोलॉजिस्ट की मांग मार्केट में तेजी से बढ़ गई है। यह एक ऐसा क्षेत्र है जहां पर आपको रोमांच और रहस्य के साथ अच्छी सैलरी भी मिलती है। अगर आप प्राइवेट सेक्टर में जाना चाहते हैं तो 60 से 90 हजार रुपये प्रतिमाह की जॉब पा सकते हैं, जो अनुभव व आपकी खोज के साथ बढ़ती जाएगी। वहीं सरकारी सेक्टर में सिलेक्ट होने पर जॉब प्रोफाइल के हिसाब से बेहतर सैलरी पा सकते हैं।

आर्कियोलॉजी से जुड़े कोर्स

अगर आप इस क्षेत्र में जाना चाहते हैं तो आपको 12वीं की परीक्षा इतिहास विषय के साथ पास करनी होगी। इसके बाद आर्कियोलॉजी से संबंधित कोर्स कर सकते हैं। आर्कियोलॉजी में डिप्लोमा, बैचलर, मास्टर और पीएचडी पाठ्यक्रम उपलब्ध हैं, जिनमें प्रवेश के लिए अलग-अलग योग्यताएं हैं। इससे जुड़े कोर्स देश के सभी प्रमुख विश्वविद्यालयों से किए जा सकते हैं। मास्टर इन कंजर्वेशन, प्रिजरवेशन एंड हेरिटेज मैनेजमेंट और मास्टर इन आर्कियोलॉजी एंड हेरिटेज मैनेजमेंट जैसे कोर्स इस क्षेत्र में आगे बढ़ने की सीढ़ी हो सकते हैं। इसके अलावा आप हिस्टॉरिकल आर्कियोलॉजी, जिओ आर्कियोलॉजी, आर्कियोबॉटनी, क्रॉनोलॉजिकल, एथनोआर्कियोलॉजी, एक्सपेरिमेंटल ऑर्कियोलॉजी, आर्कियोमेट्री जैसे कोर्स भी कर सकते हैं।

आवश्यक योग्यताएं

एक बेहतरीन आर्कियोलॉजिस्ट अथवा म्यूजियम प्रोफेशनल बनने के लिए प्लीस्टोसीन पीरियड अथवा क्लासिकल लैंग्वेज,मसलन पाली, अपभ्रंश, संस्कृत, अरेबियन भाषाओं में से किसी की जानकारी आपको कामयाबी की राह पर आगे ले जा सकती है। आर्कियोलॉजिस्ट में धैर्य होना सबसे जरूरी है। इनमें क्रिएटविटी होनी चाहिए व टीम वर्क की भावना भी। बेहतर कम्युनिकेशन स्किल्स के अतिरिक्त लाभ हैं। वहीं इतिहास से जुड़े क्षेत्रों का ज्ञान और उसमें रुचि भी आवश्यक है। आर्कियोलॉजी दिलचस्प विषय है लेकिन इससे जुड़े प्रोफशनल के लिए चुनौतियों भरा भी है। जिनसे निपटने के लिए अच्छी विश्लेषणात्मक क्षमता तार्किक सोच, कार्य के प्रति समर्पण जरूरी है। कला की समझ और उसकी पहचान भी आपको औरों से बेहतर बनाने में मदद करेगा।

पढ़ाई के लिए प्रमुख संस्थान

बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी, उत्तर प्रदेश, पंजाब यूनिवर्सिटी, पंजाब, सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय, महाराष्ट्र, कर्नाटक यूनिवर्सिटी, कर्नाटक, मुंबई यूनिवर्सिटी, महाराष्ट्र, कोलकाता यूनिवर्सिटी, पश्चिम बंगाल, शिवाजी यूनिवर्सिटी, महाराष्ट्र, इलाहाबाद विश्वविद्यालय, प्रयागराज,आचार्य नागार्जुन विश्वविद्यालय, इतिहास और पुरातत्व विभाग,गुण्टुर आंध्र प्रदेश,आंध्र विश्वविद्यालय, कला और वाणिज्य कॉलेज, आंध्र प्रदेश, दिल्ली इंस्टीटयूट आफ हेरिटेज रिसर्च एण्ड मैनेजमेंट, डेक्कन कॉलेज, पीजी एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट : पुरातत्व विभाग, पुणे, सेंट जेवियर्स कॉलेज, मुंबई (महाराष्ट्र), एजम्पशन कॉलेज , केरल, आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया, एपी सिंह विश्वविद्यालय, रीवा, छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय, कानपुर।

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