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दीवारों पर सजी हरी-भरी बगिया

वर्टिकल गार्डनिंग
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दुनिया के बड़े शहरों में वर्टिकल गार्डनिंग को बढ़ावा दिया जा रहा है। दरअसल विभिन्न वजहों से पेड़ कम हो रहे हैं और वायु प्रदूषण बढ़ रहा है। ऐसे में फ्लैट्स व छोटे घरों में बालकनी या फिर दीवारों पर सजावटी पौधे लगाकर हरियाली व सुंदरता बढ़ा सकते हैं। इससे घर में हरियाली उगाने का सपना साकार होता है।

श्रीनाथ दीक्षित

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वर्टिकल गार्डनिंग पौधे लगाने की एक शैली है जिसके तहत आप अपने छोटे फ़्लैट्स की बालकनी या फिर दीवारों पर पौधे और फूल लगवा सकते हैं। मनमोहक लगने वाले यह गार्डन्स घर की रौनक बढ़ाने के साथ-साथ बेहतर स्वास्थ्य भी यकीनी बनाते हैं। शहरों में बड़े पैमाने पर होने वाली पेड़ों की कटाई से शुद्ध हवा से मिलने वाले स्वास्थ्य लाभ से हम वंचित हो रहे हैं। बढ़ते प्रदूषण को नियंत्रित करने में ये गार्डन्स अहम भूमिका निभा रहे हैं। इससे घर के अंदर ही स्वस्थ जीवन जीने के लिए स्वच्छ वातावरण मिल जाता है!

माना जाता है कि वर्टिकल गार्डनिंग की शुरुआत चाइना ने की थी। यहां एशिया का सबसे पहला वर्टिकल गार्डन बनाया गया था। यह वर्टिकल गार्डन लगभग एक हज़ार तरह के पौधों और 2,500 तरह की झाड़ियों के इस्तेमाल से तैयार किया गया है। ऐसे ही मध्य लंदन में एक दीवार पर तक़रीबन 10000 पौधों को लगाकर उन्हें टैंक में जमा किए गए बारिश के पानी की सहायता से सहेजा गया है। हमारे देश में बढ़ते प्रदूषण के मद्देनज़र राजधानी दिल्ली के साथ-साथ अन्य कई शहरों में भी वर्टिकल गार्डनिंग को बढ़ावा दिया जा रहा है। दिल्ली में न सिर्फ़ सड़कों पर फ़्लाईओवरों के नीचे, बल्कि दिल्ली मैट्रो परिसर के आसपास, सरकार के कई दफ़्तरों के बाहर की दीवारों पर भी वर्टिकल गार्डनिंग करवाकर शहर की ख़ूबसूरती बढ़ाने के साथ-साथ प्रदूषण कम करने के इरादे को काफ़ी सराहा भी जा रहा है। एक वर्टिकल गार्डन का ख़र्चा रचनात्मक सोच और इसके साइज़ और उसमें करवाई जाने वाली कारीगरी पर निर्भर करता है। आम तौर पर वर्टिकल गार्डन्स 6 हजार से लेकर 5 लाख रुपये तक के ख़र्च में तैयार हो जाते हैं।

वर्टिकल गार्डनिंग का ढांचा

वर्टिकल गार्डन के लिए एक स्टील के स्टैंडनुमा ढांचे बाज़ार में उपलब्ध होते हैं तो आपके घर में जगह के अनुसार अलग-अलग साइज़ में उपलब्ध हैं। इनके अंदर छोटे-छोटे गमलों को रखा जाता है। इसके अलावा पौधों और फूलों को इन ढांचों में स्टेपल भी किया जाता है। इसके बाद पौधों में आवश्यक मिट्टी, खाद, इत्यादि मिला दिए जाते हैं। साथ ही पौधों या फूलों को पानी देने के लिए इस पूरे स्ट्रक्चर में पाइप का एक पैटर्न बनाया जाता है। इसमें एक ही साइज़ के छेद होते हैं, जिनके द्वारा सभी पौधों या फूलों को बराबर मात्रा में पानी उपलब्ध करवाया जाता है। पाइप को पानी की एक टंकी के साथ जोड़ दिया जाता है। जैसे ही आप टंकी को खोलते हैं पाइप के पैटर्न से पानी सभी पौधों और फूलों में पहुंच जाता है।

इन पौधों को लगाएं

क्लोरोफ़ॉइटम कोमोसम,ऐस्पैरागस, मनी प्लॉन्ट, जनैडो, संगोनियम, सिंगोनियम, यूफ़ोर्बिया, बेगोनिया, बर्गेनिया, एस्प्लानियम, स्नोड्रॉप, गुलदाउदी, फ़र्न, मॉस, डहेलिया आदि। वहीं पॉन्जी, डॉयन्थस, पेमुला, वरविना,ऐलीराम, कैंडीटफ़, यूफोरबिया फूल, टेंडेंशिया फूल, सदाबहार व ग्लैडिया आदि के फूल भी लगाए जाते हैं।

ऐसे करें देखभाल

सबसे पहले तो घर के बाहर की दीवारों पर कराई गई वर्टिकल गार्डनिंग में लगाए गए पौधों को तेज़ धूप और प्रदूषण से बचाएं। इंडोर प्लॉन्ट्स को ज़्यादा एयर कंडीश्नर वाले कमरे में न रखें क्योंकि ऐसे कमरों में पौधे लम्बे समय तक रखने से उनकी नमी सूख जाती है। इस कारण पौधों को बढ़ने में दिक्कत होती है।

हालांकि किसी भी पौधे की धूप और पानी की मात्रा की ज़रूरत उसकी दिशा, स्थान, मौसम और किस्म पर ही निर्भर करती है। लेकिन फिर भी जितना हो सके, पौधे को कम से कम दो दिन में एक बार पानी ज़रूर दें। वहीं पौधों में कीटनाशक का इस्तेमाल ज़रूरी है। इससे उनमें लगाने वाले कीटों और कीटाणुओं पर नियंत्रण में मदद मिलती है। खाद को बदलते रहें! इससे पुरानी खाद के कारण पौधों में होने वाली बीमारियों को रोका जा सकता है।

वहीं खाद और पानी की सही मात्रा पौधे को स्वस्थ रखेगी। गमलों में मिट्टी,कोको पीट इत्यादि ज़रूरी चीजें डालें। इससे पौधों को आवश्यक पोषक तत्व मिल सकेंगे। स्टैंड में लगे हुए पौधों के गमलों की लम्बाई का ख़ास ध्यान रखें। इससे पौधों में पानी-खाद डालने में और देखरेख में आसानी होगी। नियमित पौधों की लम्बाई नियंत्रित करने से पौधों की लम्बी आयु सुनिश्चित कर सकते हैं। वहीं पौधों की किस्म के अनुसार उचित मिट्टी का चयन ज़रूरी है। ज़रूरत पड़ने पर किसी वर्टिकल गार्डनिंग के विशेषज्ञ से ज़रूर संपर्क करें।

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