इंटरव्यू के नये तरीके भी रखें जेहन में
आम तौर पर जॉब इंटरव्यू की तैयारी के वक्त उम्मीदवार की सोच होती है कि वहां नियोक्ता यानी कंपनी के अधिकारी कुछ सवाल पूछेंगे और उनका उत्तर देना होगा। लेकिन आजकल कंपनियां साक्षात्कार के लीक से हटकर प्रैक्टिकल तरीके आजमा रही हैं।
शिखर चंद जैन
अगर आप कोई अच्छा सा जॉब ढूंढ रहे हैं और इंटरव्यू की तैयारियों में जुटे हुए हैं तो जान लें कि अब इंटरव्यू के तरीके बहुत बदल गए हैं। ऐसा न समझें कि जो बातें आप सोचकर या पढ़कर गए हैं, वे ही पूछी जाएंगी। कई स्टार्टअप्स ने तो इंटरव्यू के ऐसे ऐसे नए तरीके आजमाए हैं कि आपने पहले शायद सुने ही नहीं होगे। जानिये इन दिनों नया उम्मीदवार सेलेक्ट करने के लिए कंपनियां कैसे-कैसे तरीके अपना रही हैं। आपको अच्छी तनख्वाह चाहिए, तो आपकी काम करने की क्षमता भी नियोक्ता की मनमर्जी की होनी चाहिए।
पर्सनैलिटी की परख करना
टेलेंट असेसमेंट और एनालिटिक्स प्लेटफॉर्म जॉम्बे उम्मीदवार की हरकतों पर पूरी निगाह रखती है। कंपनी उम्मीदवार की पर्सनल लाइफ से जुड़े सवालों को लेकर रैपिड फायर राउंड करती है। इंटरव्यू के दौरान करंट अफेयर्स, रिलेशनशिप्स, वैलनेस, फूड और आर्ट के बारे में भी पूछा जा सकता है। खुद की साइकोमैट्रिक रिपोर्ट बनाने के लिए कहा जाता है। कंपनी द्वारा बनाई गई रिपोर्ट की व्यक्तिगत रिपोर्ट से तुलना करने के लिए कहा जाता है। रिक्रूटर्स कई बार उम्मीदवार को रिसेप्शन पर 30 मिनट तक बिठाए रखते हैं औऱ हरकतों पर नजर रखते हैं। उम्मीदवार वहां रखे कुछ किताबों, मैग्जीन्स और अखबार में से क्या उठाकर पढ़ता है, उसे जानकर रिक्रूटर विश्लेषण करते हैं।
स्ट्रेस देकर हावभाव देखना
इसके तहत प्रार्थी को स्ट्रेस देने वाला सवाल या सिचुएशन दी जाती है। अजीब से सवालों से दुविधा में डाल दिया जाता है। जैसे ,मान लीजिए कि हमने आपको नियुक्त करने को कह दिया व फिर आपके काम से असंतुष्ट होकर आपको नौकरी से निकाल दिया तो आप क्या करेंगे? जानबूझ कर उसे उपेक्षित या शर्मिन्दा करने वाले सवाल पूछकर उसकी प्रतिक्रिया देखी जाती है। इसके माध्यम से उम्मीदवार का एटीट्यूड, तनाव में खुद को संभालने की कला, गुस्से या शर्म पर काबू पाने की क्षमता और तनाव भरे माहौल में जवाब देने की कला देखी जाती है। अगर पलट कर बदमिजाजी से या उत्तेजना में जवाब दे दिया, तो छुट्टी तय है। वहीं दिमागी संतुलन बरकरार रखकर डिप्लोमैटिक या तर्कसंगत जवाब दिया जाये तो जॉब तय है।
केस सॉल्व करवाना
बड़े पदों पर चयन करने के लिए कंपनियां आजकल केस आधारित इंटरव्यू का सहारा ले रही हैं। उम्मीदवार की निर्णय़ क्षमता और सूझबूझ की परख के लिए उसे उलझन भरा एक बिजनेस केस दिया जाता है औऱ उसे सॉल्व करने को कहा जाता है। वहां मौजूद कंपनी के अन्य बड़े अधिकारी, व्यवहार विशेषज्ञ प्रार्थी की लीडरशिप स्किल, सामान्य ज्ञान, दबाव में काम करने की क्षमता और स्ट्रेटजिक सोच का पता लगाते हैं। ऐसे इंटरव्यू में जल्दबाजी या ओवरकॉन्फिडेंस न दिखाएं, शांत मन से केस का हर पहलू बारीकी से समझें और कार्य पूरा करें।
काम के तरीके की जांच
भारतीय मोबाइल पेमेंट्स और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पेटीएम एक कोडिंग कंपीटिशन का आयोजन करती रही है। इसमें उम्मीदवार घर से काम कर सकते हैं। इसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों से इंजीनियरिंग स्टूडेंट्स को रिक्रूट करना था। कोडिंग कंपीटिशन का आयोजन ऑनलाइन किया जाता है। शॉर्टलिस्टेड कैंडिडेट्स कुछ दिन के लिए कंपनी में काम करते हैं औऱ सीनियर एम्प्लॉइज जांचते हैं कि वे ई-कॉमर्स कंपनी में सहजता से काम कर रहे हैं या नहीं और उनकी सोच क्या है। इससे कंपनी को सही उम्मीदवार चुनने में मदद मिलती है।
खाने की टेबल पर बातचीत
कॉरपोरेट ट्रेनर और करियर स्पेशलिस्ट कोलीन क्लार्क बताते हैं कि आजकल कुछ कंपनियां उम्मीदवार को मील इंटरव्यू के लिए बुलाती हैं। अपने संभावित बॉस के साथ बैठकर लंच या डिनर लेना और खाते-खाते उनके सवालों का जवाब देना कोई सहज काम नहीं है। इस प्रकार के इंटरव्यू के दौरान बहुत महंगे या बहुत सस्ते फूड का ऑर्डर न दें और अल्कोहल तो कतई नहीं। मुंह में कोर भरकर न बोलें। धीरे-धीरे खाएं और बॉस के साथ आई कॉन्टैक्ट जरूर रखें। ऐसे में इंटरव्यू लेने वाले आपके एटीकेट्स पर नजर रखता है। अभ्यर्थी ऐसे माहौल में अनौपचारिक न हों तो बेहतर है।
अचानक एक्टिविटी
जब उम्मीदवार सवाल-जवाबों के बारे में सोचता हुआ इंटरव्यू देने पहुंचता है तो देखता है कि ऑफिस के लोग एक्सरसाइज कर रहे हैं। रिक्रूटर कहता है कि यह एक्सरसाइज का समय है और आप भी इसमें शामिल हों। इसमें न हिचकिचाएं क्योंकि इससे पता लगाया जाता है कि आप चीजों को किस तरह से अपनाते हैं। वहीं जूनियर लेवल इंटरव्यू में उम्मीदवार से गिटार बजाने को कहा जाता है। जॉम्बे के सीईओ मोहित गुंडेचा कहते हैं कि खास एक्टिविटीज से कैंडिडेट्स को बेहतर तरीके से समझ पाते हैं।