अनमोल : वो मुंह से नहीं हाथों से ‘बाेलती’ हैं
भिवानी की डीसी कालोनी निवासी पुष्पा देवी व विरेंद्र कौशिक की बेटी अनमोल कौशिक बेशक मुंह से नहीं बोल सकती, लेकिन उनकी उकेरी पेंटिंग्स ‘बातें’ करती हैं। उनकी पेंटिंग्स को राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर पर भी पुरस्कार मिल चुके हैं। 1999 को जन्मी अनमोल कौशिक बचपन से ही सुन व बोल नहीं सकतीं, लेकिन उन्होंने आगे बढ़ने में इसे बाधा नहीं माना। अनमोल ने राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय से दसवीं की। शिक्षा के साथ वे पेंटिंग भ्ाी करती रहीं। फाइन आर्ट में स्नातक किया। अपनी चित्रकारी से वे प्रदेश की कई पेंटिंग प्रतियोगिताओं में प्रथम रह चुकीं हैं। राष्ट्रीय स्तर पर भी अनमोल की पेंटिंग को इनाम मिल चुका है। उनके स्कूल के तत्कालीन प्राचार्य रमेश बूरा बताते हैं कि अनमोल ने कई प्रतियोगिताएं जीती हैं। राज्यपाल भी उन्हें पुरस्कृत कर चुके हैं। अनमोल चेस खिलाड़ी भी हैं और राष्ट्रीय स्तर पर खेल चुकी हैं। 20वीं और 21वीं राष्ट्रीय सीनियर व जूनियर चेस चैंपियनशिप में उन्होंने बेहतर प्रदर्शन किया। राष्ट्रीय स्तर के चौथे डीफ फाइन आर्ट क्राफ्ट फेस्टिवल में उन्होंने पहला स्थान हासिल किया। उन्हें हरियाणा कला परिषद व सांस्कृतिक मंच द्वारा भी सम्मानित किया जा चुका है।
-अजय मल्होत्रा, भिवानी
प्रीति : सेल्फ डिफेंस की चिंता में बन गई राष्ट्रीय चैंपियन
पानीपत जिले के गांव नौल्था के किसान की बेटी प्रीति जागलान ने कभी नहीं सोचा था कि वे राष्ट्रीय स्तर पर कराटे चैंपियनशिप खेलेंगी और मेडल जीतेंगी। उन्होंने सेल्फ डिफेंस के लिये 13 वर्ष की उम्र में कराटे की ट्रेनिंग लेनी शुरू की। धीरे-धीरे उनकी कराटे में रुचि बढ़ती गई। इसी लगन और मेहनत से वे राष्ट्रीय चैंपियन बन गईं। पानीपत के एसडी कालेज की बीए तृतीय वर्ष की छात्रा प्रीति ने हाल ही में आल इंडिया इंटर यूनिवर्सिटी कराटे टूर्नामेंट के 45 किलो भार वर्ग में गोल्ड मेडल जीता है। उनका चयन अब वर्ल्ड यूनिवर्सिटी कराटे गेम्स में हुआ है। यही नहीं, वे इंटर कॉलेज टूर्नामेंट में गोल्ड जीत चुकी हैं। उनके कालेज को भी उनकी उपलब्धियों पर नाज है।
कालेज प्राचार्य डा. अनुपम अरोड़ा ने बताया कि प्रीति 15 बार जूनियर और सीनियर वर्ग में राष्ट्रीय चैंपियन रह चुकी हैं। प्रीति ने बताया कि उनके पिता कंवल सिंह एक किसान हैं और मां मुकेश गृहिणी हैं। वह तीन भाई-बहनों में सबसे बड़ी हैं। उन्होंने सेल्फ डिफेंस के लिए कराटे सीखने शुरू किए थे, लेकिन बाद में यह उनके लिए जुनून बन गया।
-बिजेंद्र सिंह, पानीपत
ज्योति : किसान की बेटी ने जूडो में कमाया नाम
किसान की बेटी ज्योति ने जूडो में अपने दम पर राष्ट्रीय स्तर पर नाम कमाया। गांव सौंगल निवासी 20 वर्षीय ज्योति ने बताया कि 5 साल पहले उन्होंने गांव में ही डीपीई संदीप कुमार के पास जूडो खेलना शुरू किया था। उसके बाद कोच चेतन और कोच सोनू ने उन्हें जूडो का अभ्यास करवाया। अब गांव में ही अभ्यास कर रही हैं और करीब 20 खिलाड़ियों को अभ्यास करवा रही हैं। पिता रामनिवास खेती करते हैं। घर में मां गुड्डो देवी और बड़ा भाई अजय हैं। खेल के लिए उन्हें परिवार को पूरा प्रोत्साहन मिला, जिससे वे अपने खेल पर ध्यान दे पाईं। वर्ष 2018 में दिल्ली में हुई राष्ट्रीय जूडो स्पर्धा में भाग लिया। 2018 में फतेहाबाद में हुई स्कूली स्टेट स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता। 2019 में कुरुक्षेत्र में हुई आल इंडिया इंटर कालेज स्पर्धा में स्वर्ण पदक हासिल किया। 2019 में कानपुर में हुई आल इंडिया जूडो स्पर्धा में भी उन्होंने दम दिखाया। वर्ष 2019 में भिवानी में हुई जूनियर स्टेट स्पर्धा में उन्होंने कांस्य पदक हासिल किया।
-ललित शर्मा, कैथल
दीपिका : ‘पंच’ से मेवात को दिलाई पहचान
जिला प्रशासन की देख-रेख में चल रहे मेवात मॉडल स्कूल नगीना की 10वीं की कक्षा की खिलाड़ी दीपिका ने अपनी मुक्केबाजी के दम पर प्रदेशभर में लोहा मनवाया है। उनके पिता व कोच मनोज कुमार ने बताया कि दीपिका की लगन और मेहनत के कारण ही यह सब हो पाया। मेवात में संसाधनों के अभाव में दीपिका ने मुक्केबाजी में अपनी धाक जमाई। वह मेवात की बेटियों के लिए रोल मॉडल साबित हो रही हैं। बेटियां घर के चूल्हा-चौका से बाहर आकर अब देश-विदेश में खेलों में अपना लोहा मनवा रही हैं। दीपिका ने राज्यस्तरीय मुक्केबाजी प्रतियोगिता में रजत एवं कांस्य पदक जीते। यही नहीं वूशु खेल में भी उन्होंने राज्यस्तर पर कांस्य पदक पर कब्जा जमाया है।
– सुरेंद्र दुआ, नूंह/मेवात