श्वेता गोयल
बच्चों को शिद्दत से इंतजार रहता है गर्मी की एक माह से भी अधिक अंतराल की लंबी छुट्टियों का क्योंकि यही वो समय होता है, जब बच्चे कुछ ही दिनों में स्कूल का सारा होमवर्क निपटाकर खूब मौज-मस्ती करते हैं, दादा-दादी या नाना-नानी के घर घूमने जाते हैं तो कुछ हिल स्टेशनों या अन्य ऐतिहासिक स्थलों का भ्रमण करते हैं, वहीं कुछ बच्चे समर कैंप तथा अन्य मजेदार एक्टिविटीज से जुड़कर कुछ नया सीखते हैं लेकिन मस्ती-मस्ती में छुट्टियां कब बीत गयी, पता ही नहीं चलता। जब उन्हें पता चलता है कि अब फिर से पहले की ही भांति नियमित स्कूल जाना है तो बाल मन उदास और चिंतित हो जाता है।
दिनचर्या में बदलाव
दरअसल इन लंबी छुट्टियों के दौरान बच्चों की दिनचर्या अव्यवस्थित हो जाती है। रात को देर से सोना, सुबह देर से जागना, दिनभर टीवी देखना, मोबाइल गेम या गली-मुहल्ले में दोस्तों के साथ खेलकूद, छुट्टियों में बच्चों की यही दिनचर्या हो जाती है। कुछ आलसी भी हो जाते हैं। ऐसे में लंबी छुट्टियों के बाद दोबारा स्कूल खुलते ही बच्चे का व्यस्त स्कूली रूटीन में लौटना काफी मुश्किल हो जाता है। किन्तु उसे शारीरिक-मानसिक रूप से स्कूल जाने के लिए तैयार करने हेतु स्कूल खुलने से थोड़ा पहले ही कुछ तैयारियां कर लें तो यह कार्य आसान हो जाएगा। वहीं बच्चे को स्कूल जाना शुरू करने में ज्यादा दिक्कतें भी नहीं आएंगी।
रूटीन में वापसी की पूर्व तैयारी
छुट्टियों के दौरान बच्चों में रात को देर तक टीवी देखने और फिर सुबह लेट उठने की आदत बन जाती है। फिर स्कूल खुलने पर उसे जल्दी उठाकर तैयार करना किला फतह करने से कम नहीं होता। इसके लिए डांट-फटकार से बात नहीं बनने वाली बल्कि जरूरत है उनकी बॉडी क्लॉक में बदलाव लाने की। स्कूल खुलने से कुछ दिन पहले ही बच्चे के सोने-जागने के रूटीन में धीरे-धीरे बदलाव लाने की कोशिश करें ताकि स्कूल जाने को बच्चा जल्दी उठने में परेशान न करे। संभव हो तो छुट्टियों के बाद पहले दिन बच्चे को स्कूल बस या कैब से स्कूल भेजने के बजाय खुद स्कूल छोड़ने जाएं ताकि वह खुशी-खुशी स्कूल जाए।
मनभावन सामान और लंच बॉक्स मैन्यू
बच्चों को प्रायः स्कूल से जुड़े सामानों को लेकर खास लगाव होता है, जैसे स्टेशनरी, पानी की बोतल, डिजाइनदार स्कूल बैग, नए जूते, आकर्षक लंच बॉक्स आदि। आवश्यकतानुसार इस प्रकार की चीजें बच्चे को उसकी पसंद के अनुसार दिलवाकर उसे स्कूल जाने के लिए उत्साहित किया जा सकता है। चंचल बालमन इस प्रकार की नई-नई चीजें स्कूल में अपने दोस्तों को दिखाकर उत्साहित होता है और उसका मन स्कूल जाने के लिए लालायित होता है। वैसे तो मम्मियां सालभर इसी प्रयास में लगी रहती हैं कि बच्चे का लंच बॉक्स पोषक तत्वों से भरपूर हो किन्तु जब बच्चा छुट्टियों के बाद स्कूल जाना शुरू करता है तो कोशिश करें कि बच्चे का लंच बॉक्स उसकी पसंद का हो। उसे खाने में क्या पसंद है, यह ध्यान रखकर ही कुछ दिन उसके लंच बॉक्स का मेन्यू तैयार करें। यदि लंच बॉक्स में उसकी फेवरेट डिश होंगी तो वह खुश मन से स्कूल जाएगा। इसके लिए बच्चे से बेशक पूछ भी लें।
होमवर्क व पढ़ाई में मदद
बच्चे का होमवर्क या प्रोजेक्ट वर्क कराने में उसकी यथासंभव मदद करें और अच्छा कार्य करने पर उसकी प्रशंसा कर प्रोत्साहित करना न भूलें। होमवर्क पूरा होने के बाद जांच लें कि उसमें किसी प्रकार की कमी न रह गई हो, जिससे बच्चे को स्कूल जाने के बाद टीचर की डांट खाकर सहपाठियों के समक्ष शर्मिंदा न होना पड़े। छुट्टियों में बच्चों का मन पढ़ाई-लिखाई से हट जाता है, उन्हें पूरा दिन मौजमस्ती के सिवा कुछ नहीं सूझता। ऐसे में स्कूल दोबारा शुरू होने के बाद उनके मन-मस्तिष्क पर एकाएक पढ़ाई का बोझ पड़ता है तो वे चिंतित व उदास हो जाते हैं और फिर उनका स्कूल जाने का मन भी नहीं करता। अतः जरूरी है कि स्कूल खुलने से कुछ दिन पहले से ही बच्चे को प्रतिदिन थोड़ी देर पढ़ने के लिए बैठाएं ताकि वह स्कूल खुलने पर इस चुनौती का सहजता से सामना कर सके और पढ़ाई-लिखाई में न पिछड़े।
सहपाठियों से संपर्क
छुट्टियों के दौरान बच्चा अक्सर अपने गली-मुहल्ले के बच्चों के साथ ही खेलता हैं लेकिन इस दौर में भी वह स्कूल के माहौल से जुड़ा रहे, इसके लिए जरूरी है कि उसका घर के आसपास रहने वाले उसकी कक्षा के अन्य बच्चों के साथ सम्पर्क बना रहे। उसे अपने स्कूली दोस्तों के साथ बैठकर होमवर्क पूरा करने और खेलने-कूदने के लिए मोटिवेट करें। स्कूली दोस्तों को घर बुलाकर छोटी-सी पार्टी भी की जा सकती है। इससे बच्चे का स्कूल के प्रति उत्साह बरकरार रहेगा।
लेखिका शिक्षिका हैं।