
डॉ. मोनिका शर्मा
अपनों के साथ समय बिताने, दुनिया देखने और गांव घर जाने का अवकाश कही जाने वाली छुट्टियां सेहत भी संवारती हैं। मन को ठहराव और तन को विश्राम देने वाले फुरसत के पल कितनी ही स्वास्थ्य समस्याओं के लिए औषधि के समान हैं। भागदौड़ भरी ज़िंदगी में सालभर तो समय निकालना मुश्किल होता है पर बच्चों के समर वेैेशन में हर व्यस्तता को भूल छुट्टियां मनाने का मन बनाना जरूरी है। तन-मन की सेहत दुरुस्त करने वाली छुट्टियां हर मोर्चे पर स्फूर्ति और उत्साह देकर जाती हैं। सामाजिक-पारिवारिक सम्बन्धों के जुड़ाव से लेकर व्यक्तिगत रूप से खुद को समझने और खुलकर जीने का यह समय स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए भी आवश्यक है।
तनाव में कमी
रोज़मर्रा की आपाधापी से परे खुशनुमा समय बिताने से तनाव में कमी आती है। भागती-दौड़ती जिंदगी में छुट्टियां एक सहज-सा ठहराव है। स्वयं अपने चुने फुर्सत के पल। भागमभाग से दूर मन का करने की दिनचर्या वाले दिन। बंधे-बंधाए रुटीन से अलग यह समय सुकून की सौगात साथ लाता है। अवकाश के दिनों में दिमाग शांत रहता है और मन स्थिर। ऐसी सभी बातें इंसान की मनःस्थिति पर सकारात्मक प्रभाव डालती हैं। मन को खुशी देने वाले हार्मोन को बढ़ाती हैं। अध्ययन बताते हैं कि छुट्टियों में अच्छी नींद ले पाने के कारण भी तनाव कम होता है। कडलीनेस्ट डॉट कॉम के अनुसार छुट्टियां नींद की गुणवत्ता को करीब 17 फीसदी तक बढ़ा सकती हैं। जिससे तनाव ही नहीं अवसाद की स्थिति से भी बाहर आने में मदद मिलती है। स्वीडन के विशेषज्ञों ने एक अध्ययन में पाया है कि काम से छुट्टी न लेने वाले लोगों ने उन लोगों की तुलना में ज्यादा एंटीडिप्रेसेंट दवाओं का सेवन किया, जो कामकाजी व्यस्तता को छोड़ छुट्टी बिताने गए।
दिल की सेहत में सुधार
छुट्टियों में आप गांव-घर जाएं या देश-विदेश में दर्शनीय स्थलों की सैर करने, अवकाश के समय की हर एक्टिविटी, हर योजना मन को रोमांच से भर देती है। कुछ समय के लिए हर आपाधापी से दूर रहना एक अलग ही अनुभव होता है। परिवारजनों के साथ छुट्टियां बिताते हुए मिला अपनों का स्नेह-साथ हो या किसी नई जगह को देखने-जानने का अनुभव- सब कुछ मन को खुशी देने वाला होता है। नई स्मृतियां संजोने का सुख हमारे हिस्से आता है। तन-मन में स्फूर्ति और सक्रियता आती है। यूके में हुई फैमिली हॉलीडे एसोसिएशन की एक रिसर्च में शामिल 49 फीसदी लोगों के मुताबिक, उनकी सबसे सुखद स्मृति अपने परिवार के साथ बिताई छुट्टियों की थी। सर्वेक्षण में शामिल लोगों में से एक चौथाई ने यह भी माना कि तकलीफदेह समय से बचने के लिए उन्होंने इन सुखद स्मृतियों को याद किया। समझना मुश्किल नहीं कि थका-सा मन व जीवन सबसे ज्यादा दिल की सेहत खराब करता है। हर पल की चिंता और काम का दबाव हृदय रोग की संभावना कई गुना बढ़ा देते हैं। पीड़ादायी परिस्थितियों की भावनात्मक टूटन भी दिल के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डालती है। ऐसे में अपनेपन का अहसास, खुशमिजाज परिवेश और नयेपन का रोमांच दिल को दुरुस्त रखने का काम करता है ।
मानसिक स्वास्थ्य की बेहतरी
बच्चे हों या बड़े, छुट्टियां सभी को रचनात्मक बनाती हैं। एक तयशुदा टाइम टेबल से अलग कुछ सोचने, समझने और जीने का अवसर देती हैं। एक ओर किसी टूरिस्ट डेस्टिनेशन की संस्कृति, वहां के लोगों की जीवनशैली, खानपान और भाषा को जानना मन-मस्तिष्क को रचनात्मक बनाता है तो दूसरी ओर गांव-घर की छुट्टियां अपनी ही भूली-बिसरी जीवनशैली को याद दिलाती हैं। घर में बड़ों की जीवनशैली के रंग-ढंग और कम से कम संसाधनों में जीने के लिए अपनाये जाने वाले कलात्मक और कल्पनाशील तौर-तरीके सोच को सकारात्मक दिशा देते हैं। कई अध्ययन भी इस बात की पुष्टि करते हैं कि रचनात्मकता हर रूप में सकारात्मक भावनाओं को बढ़ाती है। जिसके चलते क्रिएटिविटी का मानसिक स्वास्थ्य से सीधा संबंध है। क्रिएटिविटी इम्यून सिस्टम को मजबूत करती है। छुट्टियों में कुछ नया सीखना और रचनात्मक एक्टिविटीज़ से जुड़ना भी मन का मौसम बदलता है। एक अमेरिकी अध्ययन के मुताबिक़ छुट्टियों के बाद सर्वेक्षण में शामिल लोग कम चिंता और बेहतर मूड में दिखे। ऐसे में छुट्टियां अपनेपन को पोसने के लिए ही नहीं, स्वास्थ्य सहेजने के लिए भी आवश्यक हैं।
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