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होली के रंगों से रंगी बर्फ की चुस्की

होली के आसपास ही गर्मी दस्तक दे देती है। साथ ही गर्मियों के टेस्टी खान-पान भी। इनमें एक आकर्षक व्यंजन है –चुस्की। जो अक्सर ठेलों पर मिलता है। राजधानी दिल्ली में कई जगह अलग-अलग जायके में। इसके अलावा देश के...
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होली के आसपास ही गर्मी दस्तक दे देती है। साथ ही गर्मियों के टेस्टी खान-पान भी। इनमें एक आकर्षक व्यंजन है –चुस्की। जो अक्सर ठेलों पर मिलता है। राजधानी दिल्ली में कई जगह अलग-अलग जायके में। इसके अलावा देश के महानगरों मुंबई व कोलकाता में। जगह के साथ बनाने की सामग्री, विधियां बदल जाती हैं, पेश करने का सलीका भी। चुस्की में इनोवेशन भी सामने आई हैं।

अमिताभ स. (खानपान विषय के जानकार)

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एक तो होली का रंगारंग मूड, और दूसरा आने वाली गर्मियों की दस्तक की सौगात की खासमखास मिसाल बर्फ की चुस्की से बढ़ कर कुछ हो नहीं सकता। कोई चुस्की कहता है, तो कहीं बर्फ का गोला कहलाता है, और कोई स्नो कोन भी। तीले या आइसक्रीम स्टिक पर रैंदे पर बर्फ की सिल्ली घिस- घिस कर निकाला बर्फ का चूरा जमा कर, ऊपर रोज़, खस, संतरा जैसे अलग- अलग मनमर्जी के फ्लेवर्स के शरबत सिरप डाल कर चुस्की बनाते हैं। नीबू और मसाला भी डालने से स्वाद बढ़ जाता है। चूस- चूस कर खाते हैं, बर्फीला स्वाद मुंह में तैरने लगता है।

चुस्की शब्द चस्का से बना है। हर घूंट को हौले- हौले मजे ले-ले कर पीना ही चुस्की है। चूस-चूस कर खाने के भाव को भी चुस्की कहते हैं। लू वाली गर्मियों में तो चुस्की सूखते होंठों को बहुत राहत देती है। अगर बर्फ साफ पानी से बनी है, और रंग- बिरंगे शरबतों में कोई रसायन नहीं मिलाया गया, तो यह कमाल की रिफ्रेशिंग होती है। होली के हुड़दंग से शुरू गर्मियों में सेहत के नफा- नुक़सान को नज़रअंदाज़ करके मज़े लेने में कोई हर्ज भी नहीं है।

दिल्ली में एक से एक बनाने वाले

दिल्ली का सबसे पुराना मशहूर चुस्की वाला 1981 से उत्तरी दिल्ली के कमला नगर की बेंग्लो रोड के बीचोंबीच बिंदल चौक पर है। केसर, चंदन, इलायची वगैरह कुछ हट कर फ्लेवर्स की चुस्कियां बनाने-खिलाने का श्रेय इन्हें ही जाता है। काला खट्टा और खट्टा मीठा पर मसाला छिड़क व नीबू निचौड़ कर खिलाने का चलन यहीं शुरू हुआ बताते हैं। इससे 5 साल बाद उतरा इंडिया गेट के नजदीक मान सिंह रोड पर मस्जिद के बगल में फुटपॉथ पर एक जगमग कार्ट 1986 से चुस्कियों का दीवाना किए है। रोज़, खस और ऑरेंज फ्लेवर्स तो हैं ही, इनके पास काला- खट्टा और खट्टा-मीठा चुस्कियों के बीच काला- खट्टा में शुगर फ्री भी हाजिर है। उधर दक्षिण दिल्ली के ग्रीन पार्क की मेन मार्केट में एक स्टॉल रोज़, लेमन, अनानास, आम, लीची समेत 15-18 फ्लेवर्स की चुस्कियां खिला-खिला कर 1999 से रिझा रहा है। जामुन और फालसा के शरबत सिरप से बनी काला खट्टा चुस्की। बनाने का तरीक़ा ठेठ मुंबइया है।

दिल्ली में रबड़ी चुस्की भी मिलती है। रोहिणी के सेक्टर 6 और 7 की डिवाइडर रोड स्थित सर्वोदय स्कूल के सामने गली में एक दुकान पर ऑरेंज खट्टा, नीबू, काला खट्टा समेत। बर्फ के गोले पर रूहआफजा और ऑरेंज स्क्वेश डाल, ऊपर काजू- बादाम वाली रबड़ी की टॉपिंग कर पेश करते हैं।

कोलकाता और मुंबई की चुस्कियों का फर्क

तपती लू के दिनों में रोज़, खस, संतरा, काला- खट्टा वगैरह तमाम फ्लेवर्स की बर्फ की चुस्की होठों को छूते ही कमाल की राहत देती है। तीले में जुड़ी चुस्की या गोले से हट कर है कोलकाता की चुस्की। होती बगैर तीले की है और कुल्हड़ में दी जाती है। खाने के लिए चम्मच और पीने के लिए स्ट्रा। बर्फ के चूरे पर रोज़, खस और काला खट्टा शरबत, फिर नीबू निचौड़ते हैं और मसाला छिड़क कर सर्व करते हैं। बर्फ हौले- हौले पिघलती रहती है और चिल्ड गाढ़ा शरबत पीते जाते हैं।

वहीं डिस्पोजेबल गिलास में रंगबिरंगे शरबतों से सजी बर्फीले- रसीले शरबत में डुबो- डुबो और चूस-चूस कर खाते हैं मुम्बइया चुस्की। रोज, लेमन, पाइनएपल, आम, संतरा, खस, इलायची, लीची, खट्टा-मीठा वगैरह करीब 15 फ्लेवर्स के बीच काला-खट्टा के शैदाई ज्यादा हैं। काला-खट्टा का शरबत जामुन और फालसे से बनाते हैं। सफेद व काला नमक, काली मिर्च, पुदीना, आजवाइन, सौंफ, जीरा वगैरह को भून-पीस कर मसाला भी खुद ही बनाते हैं। फिर बर्फीले सिरप भरे गिलास में बर्फ गोला बना कर डालते हैं।

चुस्की नए अवतार में

अब तो चुस्की नए अवतार ‘स्नो कोन’ में भी उतर आई है। स्टील का फ्रिज होता है, बगल में बर्फ का चूरा करने के पारंपरिक रैंदे की बजाय आइस क्रशर (बर्फ चूरा करने की मशीन) और लाइन से रखी बोतलों में अलग- अलग फूलों- फलों के मॉकटेल सिरप भी। आइस कोन ख़ासतौर से बनवाए स्टाइलिश डिस्पोजेबल कोन में पेश करते हैं। पहले कोन में टिन फ्रूट डालते हैं, फिर पसंद का फ़्लेवर सिरप और टैंगो- लाल मिर्च का खास मसाला और ऊपर से आइस क्यूब को चूरा करके बनाया बर्फ का गोला। इस पर खाने वाले का पसंदीदा मॉकटेल सिरप छिड़क कर देते हैं। तीन स्वाद टाइगर ब्लड (रोज़), ग्लैक्सी ब्लास्ट (पुदीना) और ट्रोपिकल स्ट्रिस (ऑरेंज) वाला ट्रैफिक लाइट कोन सबसे खास है। दो साल पहले पारम्परिक चुस्की को नए रूप में बनाने- खिलाने की शुरुआत एक युवा शेफ ने साफ़- सुथरे कार्टों से की है।

दुनिया भर में रंग- तरंग

चुस्की या बर्फ़ के गोले को ठेठ देसी मानते हैं, हालांकि यह कई देशों में फैली है। उत्तरी अमेरिका में स्नो बॉल कहलाती है, तो जापान के स्नो कोन में मोटे और कुरकुरे पिसी हुई बर्फ होती है। टेक्सास और उत्तरी मेक्सिको में रास्पा कहा जाता है। टेक्सास में तो स्नो कोन 1919 से लोकप्रिय है। इसमें नींबू रस और मिर्च पाउडर छिड़कते हैं। जापान में इसका नाम काकीगोरी हो जाता है, जबकि सिंगापुर और मलेशिया में आइस काकांग। बर्फ के चूरे पर फलों के सिरप के साथ कटे फल भी डाल कर देते हैं। अमेरिका में इसे शेव आइस कहा जाता है।

घर पर बनाना भी आसान

चुस्की आसानी से घर में भी बना सकते हैं। दो- चार जनों के लिए बनाने के लिए सामग्री चाहिए- आइस क्यूब 20, रूहआफजा, खस सिरप व ऑरेंज स्क्वैश 5-5 चम्मच, नीबू 1, काला नमक आधा चम्मच, आइसक्रीम स्टिक 4, गोला बनाने के लिए छोटा गिलास (स्टील का हो तो बेहतर है)

सारा सामान इकट्ठा करने के बाद बनाने के लिए पहले आइस क्यूब को ग्राइंडर जार में डाल कर क्रश करें। यानी चूरा बनाएं। गिलास में बर्फ का चूरा डालें, आइसक्रीम स्टिक बीच में फंसा दें। फिर इसमें और बर्फ डाल- डाल कर दबाते रहें। अब स्टिक को हल्के से घुमाते हुए गिलास से निकाल लें। इस पर रूहआफजा, खस और ऑरेंज अपनी-अपनी मर्जी के शर्बत सिरप डालें। चाहें, तो काला नमक छिड़क कर, नीबू रस की कुछ बूंदे भी डाल सकते हैं। बड़े बॉउल में रख कर, फटाफट सर्व करें। फोटो : लेखक

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