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खिले फूलों-सा महकता शहर फ्लोरेंस

इटली
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अमिताभ स.

इटली समेत यूरोप का हर देश निराली खूबसूरती समेटे है। इटली की राजधानी बेशक रोम है, लेकिन उसका एक छोटा-सा और बेहद खूबसूरत शहर है फ़्लोरेंस।

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इसकी आबादी 15 लाख से कम ही है। जबकि हर साल दुनियाभर से करीब 10 लाख पर्यटक इसके दीदार करने उमड़ते हैं। इनमें बड़ी तादाद में अमेरिकी भी हैं। यह रोम से पहले 1865 से 1871 तक इटली की राजधानी रहा है।

फ्लोरेंस में खो जाएं

फ्लोरेंस इटली का सबसे दिलकश शहर समझिए। यह लैटिन शब्द फ्लोरियो से बना है, जिसका अर्थ है फूल। इसका मतलब खिलना, फलना-फूलना और समृद्ध भी होता है। पूरे शहर में हरियाली और अलग-अलग रंगों के फूल ही फूल खिले हैं।

गुलाब के तो बड़े मोटे-मोटे फूल यहां-वहां नज़र आते हैं। डाउन टॉउन को टकसनी कहते हैं।

इस की बेइंतिहा खूबसूरती पर फ़िदा होकर ही इसे बॉलीवुड स्टार अनुष्का शर्मा और क्रिकेटर विराट कोहली ने अपनी डेस्टिनेशन वेडिंग के लिए चुना था।

इनके पिज्जा और पास्ता जैसे इटेलियन फूड की सारी दुनिया की यंग जेनरेशन क्रेजी है। मार्गिटा पिज्जा और पैने पास्ता तो सबसे प्रिय हैं। स्पेगिटी, चिकन करी राइस और रेवयोली (स्टीम की हुई पत्ते की शक्ल में मैदे में चीज स्टफिंग) अन्य पसंदीदा फूड हैं।

संतरी रंग की एपरोल नाम की इटली की खास वाइन चाव से पी जाती है।

आइसक्रीम गेलाटो भी खूब पसंद की जाती है। जितने दिन फ्लोरेंस में रहें, रोज कोन या कप में गलाटो आइसक्रीम खाने का बड़ा मज़ा है। दूध की है, क्रीम की नहीं, इसलिए ज्यादा फेटनिंग नहीं है।

इसीलिए वहां आइसक्रीम लेने-खाने के लिए लाइनें लगती हैं। वेरायटी भी बेशुमार है। लगता नहीं है कि फ्लोरेंस में आइसक्रीम से ज़्यादा क्रेज हॉट या कोल्ड कॉफी का है। कोक और जूस जैसे शीतल पेय कांच की बोतलों में मिलते हैं।

कोक गिलास में बर्फ के साथ नीबू की स्लाइस डाल कर पीने का चलन है।

घरों में खिड़कियों की भरमार है। हर घर के बाहर लैटर बॉक्स लगे हैं, जिससे लगता है कि ई-मेल के जमाने में, शहर में अभी भी बड़ी तादाद में चिट्ठी-पत्री आती-जाती हैं।

घरों की छतों पर चिमनियां बनी हैं। और छतों पर अपने देश के पुराने टीवी एंटिना से मिलते- जुलते एंटिना लगे हैं, डिश नहीं है।

ट्राम, बस और टैक्सियां

शहर में टैक्सी, लोकल बस और ट्राम से आया-ज़ाया जा सकता है। फ़्लोरेंस समेत पूरे इटली में लेफ्ट हैंड ड्राइव है। यानी वाहन सड़क के दाईं तरफ़ दौड़ते हैं, और ड्राइवर बाईं तरफ बैठता है। यानी हमारे देश से उलटा।

छोटे-से शहर में एयरपोर्ट भी है, और रेलवे स्टेशन तो सिटी सेंटर में ही है। स्टेशन में दो मंजिलों पर प्लेटफ़ार्म हैं। यहां तीन कंपनियों की रेलगाड़ियां दौड़ती हैं। अपने देश की तरह वहां भी रेलगाड़ी लेट होती हैं।

रेल में पालतू कुत्तों और साइकिल को लेकर जाने के लिए बाकायदा अलग टिकट लेनी पड़ती है।

पैदल चलकर ही चप्पा-चप्पा देख सकते हैं। लोकल बस और ट्राम से भी घूम-फिर सकते हैं।

एक शहर से दूसरे शहर तक जाने के लिए लोकल बस और ट्रेन का इस्तेमाल कर सकते हैं।

टैक्सी तो कतई नहीं क्योंकि खासी महंगी है। सुबह 8 बजे शहर शुरू हो जाता है, और शाम 7 बजे दुकानें तक बंद हो जाती हैं। इतवार को पूरी छुट्टी रहती है।

फैशन ब्रांड्स की जन्मस्थली

फ्लोरेंस को मशहूर इटेलियन फ़ैशन ब्रांडों की राजधानी भी कह सकते हैं। क्योंकि गुच्ची, पराडा और डॉलजी एंड गबाना (डी एंड जी) नामी ब्रांड्स तो यहीं से शुरू हुए हैं। दुनिया के तमाम नामी लग्जरी ब्रांड्स के स्टोर हैं।

क़रीब एक घंटे की सड़क दूरी पर ‘द मॉल’ नाम का इलाक़ा है, जहां दुनियाभर के 35 ब्रेंड्स के स्टोर साथ-साथ हैं। यहां ख़रीदारी करने भी भारी डिस्काउंट मिलता है।

बाजारों की रौनकें, इमारतों का रंग-रूप और पूरा का पूरा माहौल एकदम पिक्चर परफेक्ट है। फ्लोरेंस का सबसे हैपनिंग इलाका पियाजा डेल रिपब्लिका है। कैफे और आइसक्रीम पालर्स से भरा है। कहावत है कि जब इटली में हों, तो वैसा करें, जैसा रोमन करते हैं।

द ड्यूमो बैपटिस्ट्री, कैंपेनाइल, पियाजा डेल सिग्नोरिया, ओपन एयर म्यूजियम पाते वैचू वगैरह होते हुए पैदल सैर पियाजले माइकल एंजेल पर थमती है।

एरनो नदी पर मध्यकालीन मेहराबदार पुल भी खास आकर्षक है। हिल टॉप पर रोज गार्डन से फ्लोरेंस देखना होश उड़ा देता है। यहीं सेंटा क्रॉस बेसिलिका में फ्लोरेंस के करीब 300 शख्सियतों की ममी सुरक्षित रखी हैं।

इनमें गैलीलियो गैलिली गुरुत्वाकर्षण खोजी वैज्ञानिक भी शामिल हैं क्योंकि उनका जन्म यहीं हुआ था।

झुकती मीनार

फ्लोरेंस से लूका शहर होते हुए, पीसा की मीनार की सड़क दूरी क़रीब डेढ़ घंटा है। पीसा के परिसर के गेट के भीतर पहली नजर से सफेद संगमरमर से बनी पीसा की झुकती मीनार को देखते ही आंखें खुली कि खुली रह जाती हैं।

इस कदर भव्य है कि सदियों से इटली का लैंडमार्क रही है और सेवन वंडर्स ऑफ द वर्ल्ड खैर है ही। ​मीनार गोलाकार है और दीर्घाओं में खम्भे हैं। कुल 251 सीढ़ियों से सबसे ऊपरी सातवीं मंजिल तक चढ़ सकते हैं।

सीढ़ियां चढ़ते-चढ़ते मीनार के टेढ़ेपन का बखूबी अहसास होता है। एक साथ 30-30 बंदे ही ऊपर जा सकते हैं। सबसे ऊपर संगीत के सात सुरों की प्रतीक सात घंटियां लगी हैं। मीनार है 179 फुट ऊंची।

इतिहास बताता है कि झुकती मीनार का निर्माण अगस्त 1173 में इटली के वास्तुकार बोनान्तो पिसोग की देखरेख में शुरू हुआ। तभी पीसा और फ्लोरेंस के बीच जंग छिड़ गई और निर्माण अधर में लटक गया।

धीरे-धीरे तीन मंजिल बनने के बाद ही मीनार झुकने लगी। एक सदी के बाद फिर बननी शुरू हुई, लेकिन झुकना बराबर जारी रहा। सन‍् 1319 आते-आते सातवीं मंजिल तक बनी और 1350 में आठ मंजिला मीनार के ऊपर घंटा लगा दिया गया।

तब से मीनार झुकती रही और अंदेशा जताया गया कि सन‍् 2050 तक ढह जाएगी। सन‍् 1990 से मीनार को यूं ही रोके रखने का काम शुरू हुआ और साल 2000 से लोगों के ऊपर चढ़ने के लिए खोल दी गई। दावा है कि अब मीनार अगले 350 सालों तक यूं ही खड़ी रहेगी।

साढ़े 8 घंटे दूर

* दिल्ली से करीब साढ़े 8 घंटे की फ्लाइट से इटली की राजधानी रोम या स्विट्ज़रलैंड के शहर ज्यूरिख उतरते हैं। आगे फ्लोरेंस की दूरी ट्रेन से करीब 3 घंटे और उड़ान से 1 घंटा है।

* समय के लिहाज से इटली भारत से साढ़े 3 घंटे पीछे है।

* मौसम के लिहाज़ से, अप्रैल से अक्तूबर घूमने-फिरने के सर्वश्रेष्ठ महीने हैं। अप्रैल, मई और जून गर्मियों के महीनों में रात साढ़े 9 बजे तक उजाला रहता है, जबकि सर्दियों में शाम साढ़े 4 बजे से ही अंधेरा छाने लगता है।

* करेंसी यूरो है और एक यूरो करीब 95 रुपये के बराबर है।

* भाषा इटेलियन है। इटेलियन सभी बोलते-समझते हैं। आधे लोग ही अंग्रेज़ी बोल और समझ पाते हैं। इसलिए कहीं-कहीं अपनी बात बताने और कुछ जानने में ज़रा मुश्किल पेश आती है।

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