Tribune
PT
About the Dainik Tribune Code Of Ethics Advertise with us Classifieds Download App
search-icon-img
Advertisement

फ्लाप फिल्में, कायम निर्देशन का मोह

फिल्म डायरेक्शन के क्षेत्र में कई एक्टर्स सक्रिय
  • fb
  • twitter
  • whatsapp
  • whatsapp
Advertisement

फिल्म जगत में समय-समय पर कई एक्टर्स ने डायरेक्टर के तौर पर भी महारत हासिल की। लेकिन कुछ अभिनेता निर्देशन में सफल नहीं रहे। यह सिलसिला बॉलीवुड की शुरुआत से जारी है। आज के समय में भी अजय देवगन, नंदिता दास, हेमा मालिनी, नसीरुद्दीन शाह, अनुपम खेर व पूजा भट्ट आदि ऐसे कई एक्टर हैं, जिनकी फिल्में फ्लॉप हुई, पर डायरेक्शन से मोहभंग नहीं हुआ।

असीम चक्रवर्ती

Advertisement

एक अरसे से अस्वस्थ चल रहे राकेश रोशन अपने महत्वाकांक्षी फ्रेंचाइजी प्रोजेक्ट ‘कृष-4’ को फिर से जीवित करने की कोशिश कर रहे हैं। दूसरी ओर एक्टर से बने एक और निर्देशक सोनू की फिल्म ‘फतेह ’ को पहले शो में ही दर्शकों ने प्रतिसाद नहीं दिया। वहीं अजय देवगन लगातार फ्लॉप बना रहे हैं, मगर निर्देशक बनने की इच्छा बदस्तूर कायम है।

नशा है कि उतरता नहीं

अजय देवगन की बात जाने दें, तो नंदिता दास, रेवती, सनी देओल, हेमा मालिनी, नसीरुद्दीन शाह, अनुपम खेर, पंकज कपूर, रजत कपूर, पूजा भट्ट आदि ऐसे कई एक्टर हैं, जिनका कई फ्लॉप के बावजूद डायरेक्शन से मोहभंग नहीं हुआ। इनमें अजय देवगन कई अतार्किक फिल्में बनाने के बावजूद मशहूर हैं। ‘भोला’ की विफलता भूलकर वह फिर से मैदान में हैं। वहीं फिल्म ‘जविगाटों ’ की महाफ्लॉप के बावजूद एक्ट्रेस नंदिता दास अगली फिल्म की तैयारी कर रही हैं।

एक्टर जो सफल हुए

इन एक्टर्स से हटकर देखें, तो गुरुदत्त, राज कपूर, सुनील दत्त, मनोज कुमार, फिरोज खान, सुभाष घई, राकेश रोशन, शेखर कपूर, आशुतोष गोवारिकर, अभिषेक कपूर आदि ऐसे कई एक्टर हैं, जो बतौर निर्देशक बहुत सफल रहे।

नायाब राज कपूर और गुरुदत्त

एक्टर से निर्देशक बने शख्सियत की कोई भी चर्चा राज कपूर और गुरुदत्त के बिना अधूरी है। डायरेक्टर राजकुमार हिरानी कहते हैं, “गुरुदत्त और राज कपूर इंडस्ट्री के दो नायाब डायरेक्टर हैं । आनेवाली पीढ़ी यदि उनकी निर्देशन प्रतिभा से कुछ सीखती है, तो फिल्मों के लिए शुभ संकेत होगा।”

ओ मेरे देश की धरती...

देव आनंद, सुनील दत्त और मनोज कुमार में मनोज कुमार ही ऐसे डायरेक्टर रहे, जिन्होंने निर्देशन में परचम लहराया। पहले 1964 की फिल्म ‘शहीद’ में उनकी योग्यता सामने आई व 1967 की फिल्म ‘उपकार’ से वह पूरी तरह निर्देशक बने। इस फिल्म में ‘ओ मेरे देश की धरती’... गाते हुए जादू चलाया। फिर तो पूरब और पश्चिम, रोटी, कपड़ा और मकान, क्रांति जैसी फिल्मों ने उन्हें दिग्गज निर्देशकों में ला दिया।

छाए रहे सुभाष घई

जूनियर शोमैन सुभाष घई मुंबई आए, तो नाटक, उमंग, आराधना, तकदीर जैसी आधे दर्जन से ज्यादा फिल्मों में नायक-सहनायक बने। पर एक्टिंग का दरवाजा नहीं खुला। फिर फिल्मों में कहानी लिखने लगे। ‘कालीचरण’ के लेखन और निर्देशन का काम उन्हें मिला। उसके बाद घई अब तक 16 फिल्मों का निर्देशन कर चुके हैं, ज्यादातर सुपरहिट रही। विश्वनाथ, हीरो, गौतम गोविंदा, कर्ज, राम लखन, खलनायक जैसी उनकी कई फिल्में नए निर्देशकों के लिए प्रेरणा हैं।

देव और विजय आनंद

इस प्रसंग में देव आनंद और उनके अनुज विजय आनंद की चर्चा लाजमी है। इन दोनों को ही एक्टिंग का शौक था, मगर इनमें देव साब बहुत-बहुत आगे निकल गए। लेकिन डायरेक्शन में बाजी विजय आनंद के हाथ लगी। विजय आनंद ने गाइड, ज्वैल थीफ, तेरे मेरे सपने, जॉनी मेरा नाम जैसी फिल्में बनाकर परचम लहराया, मगर देव साहब की एकमात्र फिल्म हरे राम हरे कृष्ण को याद किया जाता है।

एक्टर बनने की चाहत

डायरेक्टर से एक्टर बनने के सिलसिले में फरहान अख्तर ने ही सर्वाधिक प्रभावित किया। वैसे तिगमांशू धूलिया भी अच्छे एक्टर के तौर पर सामने आए। वहीं अनुराग कश्यप, सुधीर मिश्रा, करण जौहर जैसे निर्देशकों को दर्शकों ने पसंद नहीं किया।

कंगना के तेवर

अदाकारा कंगना रनौत ने कैरियर के शुरू से ही डायरेक्शन में जाना तय कर रखा था। कंगना ने दो स्क्रिप्ट भी लिख रखी हैं। फिल्म ‘रानी लक्ष्मीबाई ’ को उन्होंने इसके मुख्य निर्देशक कृष के साथ डायरेक्ट भी किया। मगर ताजा रिलीज इमरजेंसी की वजह से वह खूब चर्चा में हैं। फोटो : लेखक

Advertisement
×