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बिना पूछे आइडिया देने की बदलें आदत

सही जगह और वक्त पर इस्तेमाल करें आइडियाज़
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एक ऑफिस में मीटिंग के दौरान मौजूद सहकर्मी।
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कार्यस्थल पर बिना मांगे बात-बात में अपनी राय देने की आदत बॉस या सह-कर्मियों को नागवार गुजर सकती है। दरअसल, आइडिया थोपने की आदत लोगों के मन से उतरने, हंसी का पात्र बनने व मुसीबत की वजह बन सकती है। ऐसे में बेहतर है कि सलाह का सही जगह इस्तेमाल करें।

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शिखर चन्द जैन

आकाश अपने ऑफिस के तेजतर्रार और स्मार्ट मार्केटिंग एग्जीक्यूटिव्स की सूची में शामिल है। वैसे तो उसके काम से बॉस खुश हैं लेकिन उसकी एक आदत से सब परेशान हैं, वह बिना पूछे बात-बात में अपनी राय देने लगता है। जहां ऑफिस के चार लोग बैठ कर बात कर रहे हों वहीं पहुंचकर वह अपने विचार सब पर थोपने लगता है। बॉस के साथ मीटिंग होती है, तब भी सबसे ज्यादा आवाज आकाश की ही आती है। मानो मीटिंग में मौजूद दूसरे लोगों के कोई विचार या अनुभव ही ना हों। किसी की यह आदत भले ही उसके खुद के या कुछ लोगों के लिए सुकून या गर्व की बात हो, पर ज्यादातर लोगों के लिए यह कोफ्त का सबब बन जाती है। इससे आपको किसी बड़ी मुसीबत में भी फंसना पड़ सकता है। अगर किसी को बिना पूछे अपने विचार थोपने की आदत है, तो लोगों के मन से उतरने व मुसीबत में पड़ने से पहले उसे बदल डालना ही बेहतर है।

जानें दूसरों का नजरिया

माना कि वरिष्ठ लोगों या बॉस का ध्यान अपनी ओर आकृष्ट करने के लिए उन्हें अपनी प्रतिभा और बुद्धिमानी के बारे में बताना जरूरी है लेकिन इसके लिए पहले उनकी बात सुनना और चीजों को उनके नजरिए से देखना भी जरूरी है। चीजों और परिस्थितियों को दूसरे के नजरिए से न देखकर सिर्फ अपना ही आइडिया हर जगह थोपना असफलता का भी सबब बन सकता है। इससे आपकी सोच का दायरा नहीं बढ़ पाता क्योंकि आप दूसरों की सुनते ही नहीं, अपने ही विचार सबको बताते हैं। जाहिर है, ऐसे में लोग आपको अपने विचार बताना बंद कर देते हैं। इससे आप नई चीजों और विचारों से वंचित रह जाते हैं। ग्रैमी पुरस्कार विजेता संगीतकार गैरी बर्टन कहते हैं, ‘ मैं ऐसे निपुण संगीतकारों को जानता हूं जो दूसरों के नजरिए से देखने में सक्षम नहीं थे। जिस कारण वे अधिक सफल नहीं हो पाए।’

सामंजस्य बनाना है कारगर

अगर आप सफल होना चाहते हैं तो जिन लोगों के साथ आप रत्ती भर भी सहमत नहीं, कई बार अपनी सहनशीलता की सीमाएं विकसित कर, उनके नजरिए से देखना पड़ता है और उनकी जगह खड़े रहकर सोचना पड़ता है। आप मार्केटिंग में हों, सेवाप्रदाता हों या जन सम्पर्क से संबंधित किसी दूसरे क्षेत्र में, आपको अपने ग्राहक के नजरिए से देखना पड़ता है। आपको ग्राहक के विचारों से सामंजस्य बिठाकर काम करना पड़ता है यहां आपका आइडिया ग्राहक के लिए रत्ती भर भी महत्व नहीं रखता। अगर आप ग्राहक की बात सुनने की बजाय उसे अपने आइडिया देने लगेंगे तो वह अगली बार आपसे बात तक करना पसंद नहीं करेगा। हेनरी फोर्ड ने कहा है, ‘यदि सफलता का कोई रहस्य है, तो वो है दूसरे के दृष्टिकोण को समझने और उसके तथा अपने नजरिए से चीजों को देखने की क्षमता है।’ एक बड़े मॉल के मालिक का कहना है, ‘आपको क्या आइडिया है, यह ज्यादा महत्व नहीं रखता, आप जिसके लिए काम कर रहे हैं उनके विचार ज्यादा महत्वपूर्ण हैं क्योंकि आपको अपनी सेवाएं उनको संतुष्ट करने के लिए देनी हैं।’

सही जगह करें इस्तेमाल

अगर आप में नए विचारों का सृजन करने की क्षमता है, तो इस प्रतिभा या क्षमता का सही इस्तेमाल करें। उनका प्रयोग आपको जो काम सौंपा जाता है उसे बेहतर ढंग से सम्पन्न करने में करें। अपने आइडिया लोगों को तभी बताएं जब आपसे पूछा जाए। वरना आपको लोग ‘दाल भात में मूसलचन्द’, ‘बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना’ और ‘पकाऊ’ जैसे उपनामों से नवाजने लगेंगे। जरा सोचिए कोई आपको बिना पूछे बताने लगे कि आपको अपनी पत्नी से कैसे पेश आना चाहिए, कपड़े कहां से खरीदने चाहिए, अपने बच्चों को किस स्कूल में पढ़ाना चाहिए या किस डॉक्टर से इलाज कराना चाहिए, तो आपको कैसे लगेगाॽ ठीक वैसा ही लोगों को लगता है, जब आप बिना पूछे उन्हें आइडिया देने पहुंच जाते हैं। बेहतर तो यह होगा कि अपनी इस अनूठी क्षमता को आप अपना कैरियर या बिजनेस संवारने में खपाएं। अगर जॉब करते हैं तो कोई पार्ट टाइम काम करें ताकि घर में दो पैसे की आमदनी हो और आइडिया भी सही जगह खप जाए।

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