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भरपूर सेहत वाली पुरखों की थाली

परंपरागत मोटे अनाज पोषण का खजाना
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परंपरागत मिलेट्स यानी मोटे अनाज से बनी हेल्दी रोटी
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देश में परंपरागत तौर पर विभिन्न तरह के मोटे अनाजों का सेवन किया जाता रहा है जिनमें ज्वार, बाजरा, रागी , सामा व कुलथी आदि शामिल हैं। पुरानी पीढ़ी के लोग सेहत को लेकर इनके लाभों के प्रति सजग थे। लेकिन कुछ दशक पहले लोग आधुनिकता के नाम पर बारह महीने एक ही तरह का अनाज खाने लगे और विविधता भूल से गये। हालांकि अब कई शोधों में मोटे अनाजों के पोषक गुण सामने आये तो लोग पुन: इनके इस्तेमाल के प्रति जागरूक हुए कि इन्हें अपने भोजन में शामिल करें।

शिखर चंद जैन

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हमारे बुजुर्ग हमेशा मोटा अनाज खाते थे और मोटा कपड़ा यानी खादी पहनते थे। नयी पीढ़ी को भी यही सलाह देते थे। लेकिन कथित मॉडर्न लोग रिफाइंड तेल, रिफाइंड अनाज और प्रोसेस्ड फूड के चक्कर में पड़कर अपनी सेहत से खिलवाड़ करते रहे। आज दुनिया भर के सेहत विज्ञानी और पोषण विशेषज्ञ उनकी बात पर मुहर लगा रहे हैं। हमारे पुराने अनाजों को सेहत के लिए फायदेमंद बता रहे हैं और उनके गुण बताते हुए अलग-अलग अनाज खाने की सलाह दे रहे हैं। जानिये प्रमुख परंपरागत अनाजों के बारे में।

रागी

पंजाब और हरियाणा में प्रमुख रूप से प्रचलित रागी महिलाओं के लिए विशेष फायदेमंद अनाज है। यह आयरन में समृद्ध होने के कारण एनीमिया में काफी लाभकारी होता है। वहीं इसमें कैल्शियम की भरपूर मात्रा होने की वजह से बुजुर्गों को भी इसका सेवन नियमित रूप से करना चाहिए। वैसे हड्डियों को मजबूती देने वाले इस अनाज को बच्चे-बूढ़े सब खा सकते हैं। यह एंग्जायटी और अनिद्रा की समस्या में भी काफी फायदेमंद होता है।

सामा यानी लिटिल मिलेट

गुजरात,तमिलनाडु ,केरल, आंध्रप्रदेश और उड़ीसा जैसे राज्यों में सामा चाव से खाया जाता है। आमतौर पर इसे दाल ,सांभर और करी के रूप में भोजन में शामिल किया जाता है। इसकी खिचड़ी भी खूब पसंद की जाती है। यह मिनरल, विटामिन, पोटेशियम, कैल्शियम और जिंक का अच्छा स्रोत है। इसमें फाइबर भी खूब होता है जो हाइपरग्लिसीमिया से लड़ने में मददगार होता है।

कंगनी यानी फॉक्सटेल मिलेट

बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए यह अच्छा खाद्य पदार्थ है क्योंकि यह आसानी से पच जाता है। इसे भोजन के रूप में लेने से पेट दर्द से राहत मिलती है। इसके नियमित सेवन से मूत्र त्याग के समय होने वाली जलन से छुटकारा मिलता है। वहीं कंगनी डायरिया के रोगियों के लिए फायदेमंद होता है। इस मिलेट में फाइबर की मात्रा प्रचुर होती है। इसलिए इसे खाने से कब्ज के रोग से छुटकारा मिलता है। प्रोटीन और आयरन की मात्रा भरपूर होने के कारण इसके सेवन से रक्त अल्पता दूर होती है। जोड़ों के दर्द को दूर करने में भी यह फायदेमंद है। कंगनी नियासिन का प्राकृतिक स्रोत हैं। बता दें कि विटामिन बी3 यानी नियासिन हमारे शरीर के लिए आवश्यक तत्व है। कंगनी में एंटीऑक्सिडेंट होते हैं जो फ्री रेडिकल्स के प्रभाव को कम करते हैं। इस के नियमित सेवन से त्वचा नीरोग रहती है।

राजगीर यानी अमरंथ

जिन लोगों की पाचन प्रणाली दुरुस्त नहीं होती या जो वेट कंट्रोल करना चाहते हैं उनके लिए राजगीर काफी फायदेमंद है। इसमें फाइबर, प्रोटीन ,कैल्शियम, फॉस्फोरस, मैग्नीशियम ,आयरन , फॉलेट और सेलेनियम भरपूर मात्रा में होते हैं। सबसे अच्छी बात यह कि यह ग्लूटेन फ्री भी होता है। इसमें एंटी इन्फ्लेमेटरी गुण और एंटीऑक्सीडेंट भी होते हैं। यह कैंसर सहित कई बीमारियों से सुरक्षा देने वाला माना जाता है। इसके सेवन से हड्डियां और मसल्स मजबूत होती हैं और हार्ट का हेल्थ सही रहता है।

ज्वार

ग्लूटेन फ्री फूड ज्वार का सेवन काफी फायदेमंद होता है। इसमें प्रोटीन प्रचुर मात्रा में होता है। इसके सेवन से ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल होता है इसलिए डायबिटीज से पीड़ित लोगों के लिए इसकी रोटियां लाभकारी होती है। डाइजेशन और इम्यूनिटी इंप्रूव करने में भी ज्वार का सेवन फायदेमंद होता है। इसके नियमित सेवन से लाल रक्त कणिकाएं बढ़ती हैं, हड्डियां मजबूत होती हैं, कोलेस्ट्रॉल लेवल कम होकर हार्ट हेल्दी रहता है। साथ ही कैंसर की रोकथाम में भी यह फायदेमंद होता है।

सामक चावल

नवरात्र में उपवास के दौरान जब हम अनाज नहीं खाते तो सामक चावल खाते हैं। असल में ये एक खास प्रकार की घास के बीज होते हैं। इन में घुलनशील और अघुलनशील दोनों तरह के फाइबर होते हैं। गेहूं की तुलना में इसमें 6 गुना ज्यादा फाइबर पाए जाते हैं। इनके सेवन से पाचन दुरुस्त रहता है और भूख भी जल्दी नहीं लगती। यह ब्लड शुगर को कंट्रोल करने में मददगार है। इनमें आयरन भी प्रचुर मात्रा में होता है।

कुलथी की दाल

वेट लॉस ,महिलाओं में मेंस्ट्रुअल डिसऑर्डर और ल्यूकोरिया में कुलथी का सेवन काफी लाभकारी होता है। यह अस्थमा और अल्सर में भी फायदेमंद होती है। हरित क्रांति के बाद के कुछ दशकों में इसे गरीबों का खाना माना जाने लगा। छत्तीसगढ़, झारखण्ड के आदिवासी इसका खूब सेवन करते हैं। इसमें प्रोटीन ,कार्बोहाइड्रेट, कैल्शियम, मिनरल,फास्फोरस ,आयरन और एंटीऑक्सीडेंट भरपूर मात्रा में होते हैं। यह कोलेस्ट्रॉल लेवल और ब्लड शुगर को कम करती है। लीवर की कार्य प्रणाली को दुरुस्त करने में भी इसकी अहम भूमिका होती है। घरेलू उपचार के तौर पर इसका सेवन किडनी स्टोन बाहर निकालने के लिए भी किया जाता है। मरीज को कुलथी की दाल खाने या इसका पानी पीने की सलाह दी जाती है।

बाजरा

बाजरे की रोटी ,दलिया, खिचड़ी या राबड़ी कुछ भी बना कर खाया जा सकता है। यह अनाज प्रोटीन ,विटामिन बी 6, नियासीन ,फॉलेट, आयरन व जिंक से भरपूर होता है। यह एक ग्लूटेनफ्री अनाज है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट, पॉलीफेनॉल और फाइटोकैमिकल प्रचुर मात्रा में होते हैं। यह वेटलॉस, डायबिटीज आदि में फायदेमंद है। इसके सेवन से स्ट्रेस लेवल कम होने ,नींद अच्छी आने और इम्यूनिटी इंप्रूव होने के भी प्रमाण मिले हैं।

डेली डाइट में करें शामिल

देश के विभिन्न विभिन्न हिस्सों व संस्कृतियों में व्रत उपवास के दिन अलग-अलग तरह के दाने या सीड्स का सेवन किया जाता है। साथ ही शौकिया तौर पर या परंपरागत रूप से कई तरह के अनाज खाए जाते हैं। जैसे पंजाब ,हरियाणा और राजस्थान में मकई ,बाजरा व ज्वार आदि का सेवन करते हैं। कई जगह रागी, राजगीर, सामा, कंगनी आदि का सेवन किया जाता है। लेकिन अब वक्त आ गया है कि हम अपनी सेहत के लिए इन चीजों को अपनी थाली में शामिल कर लें। इन फूड्स को उबालकर, दलिया बनाकर, भूनकर स्नेक्स के रूप में ,अंकुरित करके नाश्ते में या इनके आटे की रोटियां बना कर मेन मील में इनका सेवन कर सकते हैं।

-डाइटिशियन पिंकी गोयल से बातचीत पर आधारित।

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