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भीतर के दुश्मन

पुलिस व खुफिया एजेंसियां बढ़ाएं चौकसी
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भारत-पाकिस्तान संघर्ष के बीच कुछ देश विरोधी तत्वों का पर्दाफाश होना चौंकाता है कि कैसे कुछ लोग पैसे व शानोशौकत के लालच में देश की सुरक्षा व लोगों का जीवन भी दांव पर लगा देते हैं। देश के भीतर ये दुश्मन बेहद घातक हैं। पाकिस्तानी जासूसी एजेंसी आईएसआई से ताल्लुक रखने पर पिछले दिनों हरियाणा, पंजाब व यूपी के कुछ लोगों की गिरफ्तारी ने कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। ये एक गंभीर चुनौती है और हमारी कानून प्रवर्तन एजेंसियों और खुफिया संस्थाओं को अब इस चुनौती को गंभीरता से लेना होगा। ये तत्व न केवल जासूसी में लिप्त थे बल्कि भारत विरोधी प्रचार का भी हिस्सा थे। जो देश की राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ ही सांप्रदायिक सद्भाव को भी खतरे में डाल सकते हैं। यह कितना दुर्भाग्यपूर्ण है कि हरियाणा की रहने वाली सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर ज्योति कथित तौर पर हाल के ऑपरेशन सिंदूर के दौरान दिल्ली में पाकिस्तान उच्चायोग के एक कर्मचारी के संपर्क में थी, जिसे हाल ही में भारत विरोधी गतिविधियों के लिये देश से निकाला गया। इस मामले में चल रही जांच से पता चला है कि 22 अप्रैल को पहलगाम आतंकी हमले से पहले ज्योति कश्मीर गई और उससे पहले पाकिस्तान गई थी। उस पर पाक के खुफिया अधिकारियों को संवेदनशील जानकारी देने के आरोप हैं। यूपी के रहने वाले शहजाद और नौमान इलाही पर भी इसी तरह के आरोप हैं। पंजाब में मालेरकोटला के दो लोगों को भी जासूसी के आरोप में गिरफ्तार किया गया। जांच एजेंसियों को पता लगाना होगा कि क्या इन आरोपियों की सैन्य या रक्षा अभियानों से संबंधित जानकारी तक सीधी पहुंच थी या वे इसे उच्च पदस्थ स्रोतों से प्राप्त कर रहे थे? रिपोर्टों के अनुसार, पाकिस्तानी खुफिया एजेंसियां ज्योति को एक खुफिया एजेंट के रूप में तैयार कर रही थीं। वह सीमा पार से चलाए जा रहे नेटवर्क का हिस्सा थी। उम्मीद है कि पूछताछ में ऐसे सबूत मिल सकते हैं जो भारत के खिलाफ बड़ी साजिशों का खुलासा कर सके।

निस्संदेह, भारत विरोधी शक्तियों के हाथ में खेलकर देश को मुश्किल में डालने का यह कृत्य परेशान करने वाला है। बहुत संभव है कि जासूसी कांड में लिप्त ये भारतीय बड़े आर्थिक प्रलोभनों के लालच में पाक एजेंटों के जाल में फंसे हों। निस्संदेह, इन लोगों की परवरिश में कहीं चूक रही है जो इन्हें यह बोध नहीं करा सकी कि चंद पैसों व सुविधाओं के लालच में देश के साथ गद्दारी नहीं करनी चाहिए। निश्चय ही यह खुलासा राष्ट्रघाती खेल का छोटा हिस्सा है, आने वाले समय में और बड़ी मछलियां इस दलदल में पकड़ी जा सकेंगी। आने वाले वक्त में कई ऐसे जासूसों का खुलासा हो सकता है, जो आतंकवादियों को भारत की धरती पर हमला करने का इनपुट दे रहे हों। केंद्र व राज्य सरकारों, मीडिया और जनता को मिलकर ऐसे तत्वों को बेनकाब करने में मदद करनी चाहिए ताकि देश मे छुपी इन काली भेड़ों को बाहर किया जा सके। एक छलकपट वाले सूचना युद्ध के माध्यम से देश को नुकसान पहुंचाने की आईएसआई की साजिश को सख्ती से नाकाम किया जाए। विडंबना है कि पाकिस्तान भारत में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का गलत फायदा उठा रहा है। वह सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर ज्योति का इस्तेमाल न केवल जासूसी के लिये कर रहा था बल्कि भारत के खिलाफ प्रचार तथा पाक की छवि को सुधारने के लिये भी कर रहा था। ज्योति पर आरोप है कि वह सोशल मीडिया के जरिये पाक की उजली छवि गढ़ रही थी। आरोप ये भी किि उसकी एक पाक खुफिया अधिकारी से अंतरंगता रही है, जिसके साथ वह बाली घूमने भी गई थी। पाक दूतावास की एक पार्टी के वीडियो में भी वह नजर आई है। दरअसल, सूचना क्रांति के इस दौर में विदेशी खुफिया एजेंसियां टेलीग्राम, स्नैपचैट व व्हाटसएप आदि के जरिये भारतीय मददगारों से संपर्क साध रही हैं, जिस पर हमारी प्रवर्तन एजेंसियां आसानी से नजर नहीं रख सकती। पुलिस को आधुनिक उपकरणों के साथ इस बाबत कुशल प्रशिक्षण देना चाहिए। बहरहाल, देश विरोधी तत्वों की निगरानी तेज करना वक्त की जरूरत है।

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