हरियाणा में मुख्यमंत्री मनोहर लाल के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी तथा जननायक जनता पार्टी की साझा सरकार का 26 माह बाद मंगलवार को मंत्रिमंडल का विस्तार किया गया, जिसमें दो नये चेहरे शामिल किये गये। चंडीगढ़ स्थित राजभवन में आयोजित इस शपथ ग्रहण कार्यक्रम में राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने मंत्री पद और गोपनीयता की शपथ दिलायी। नववर्ष से पहले जिन दो विधायकों को मंत्रिपद का तोहफा मिला, उनमें हिसार से भाजपा के विधायक डॉ. कमल गुप्ता और टोहाना से जजपा विधायक देवेंद्र बबली शामिल हैं। यूं तो कई अन्य विधायक भी मंत्री पद के लिए भागदौड़ कर रहे थे, लेकिन लाटरी इन दोनों की ही खुली। इस बीच कुछ विधायक दिल्ली में भाजपा के शीर्ष नेताओं से भी मिले थे। वैसे भी लंबे समय से कयास लगाये जा रहे थे कि मंत्रिमंडल का विस्तार होगा। दरअसल, बीते माह उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने भी मंत्रिमंडल विस्तार की उम्मीद जतायी थी। बताते हैं इस मंत्रिमंडल विस्तार के मूल में जजपा के टोहाना से पार्टी विधायक देवेंद्र बबली को मंत्रिमंडल में शामिल करने का दबाव भी था। ऐसा माना जा रहा है कि हरियाणा के किसान आंदोलन से सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य होने के चलते भी शायद मंत्रिमंडल विस्तार में देरी हुई। डॉ. कमल गुप्ता की हाईकमान के नेताओं से मुलाकात के बाद मंत्रिमंडल विस्तार के कयास लगाये जा रहे थे। उनके समर्थकों में भी गुप्ता के मंत्री बनाये जाने की खासी सुगबुगाहट थी। डॉ. कमल गुप्ता संघ की पृष्ठभूमि से आते हैं। दरअसल, कमल गुप्ता न केवल संघ बल्कि भाजपा प्रदेश नेतृत्व की भी पसंद रहे हैं। उनकी वैश्य समाज में खासी प्रतिष्ठा रही है। उन्हें एक मुखर वक्ता के रूप में जाना जाता है। वैसे भी वैश्य समाज में फिक्र रही है कि मनोहर मंत्रिमंडल में अभी तक वैश्व समुदाय को प्रतिनिधित्व नहीं मिला। ऐसे में मंत्रिमंडल विस्तार से पार्टी में वैश्य समाज से आठ विधायक होने के बावजूद किसी को मंत्री न बनाये जाने से समाज की शिकायत को दूर करने का भी प्रयास हुआ है।
दरअसल, राजनीतिक पंडित कमल गुप्ता व देवेंद्र बबली को मंत्री बनाये जाने के पीछे सरकार की जाट व वैश्य समुदाय को साधने की कवायद के रूप में भी देख रहे हैं। उल्लेखनीय है कि नब्बे सदस्यीय विधानसभा में चौदह मंत्री बनाये जा सकते हैं। लेकिन इससे पहले मुख्यमंत्री मनोहर लाल समेत कैबिनेट में 12 मंत्री ही थे। वहीं यह मंत्रिमंडल विस्तार ऐसे समय में हुआ है जब मुख्यमंत्री मनोहर लाल की पार्ट- टू पारी को ढाई साल होने जा रहे हैं। वैसे इस मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर कई अन्य तरह के कयास भी लगाये जाते रहे हैं, जिसमें विधानसभा स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता को मंत्रिमंडल में वैश्य समाज के प्रतिनिधि के रूप शामिल करने की चर्चा रही है। वहीं सियासी गलियारों में यह भी चर्चा रही है कि मुख्यमंत्री कामकाज के आधार पर कई मंत्रियों के कार्यक्षेत्र में कुछ बदलाव ला सकते हैं। कुछ चेहरे बदले भी जा सकते हैं। वैसे इस मंत्रिमंडल विस्तार के साथ ही बोर्ड व निगमों के चेयरमैन पदों को भरने का भी जननायक जनता पार्टी की ओर से दबाव रहेगा। बताते हैं कि भाजपा व जजपा गठबंधन के तहत जजपा को एक दर्जन के करीब बोर्ड व निगमों के पद मिले हैं, जिसके क्रम में सरकार द्वारा की गई कतिपय कार्यवाही से भी इन चर्चाओं को बल मिला है। कह सकते हैं कि गठबंधन की जरूरतों के चलते देर-सवेर मनोहर सरकार को इन पदों पर नियुक्तियों को हरी झंडी देनी ही पड़ेगी। अप्रैल में मंत्रिमंडल में बड़े फेर-बदल की चर्चाओं को मुख्यमंत्री ने फिलहाल खारिज कर दिया है, पर राजनीति में कुछ भी अंतिम कहां होता है। फिलहाल सरकार बड़े किसान आंदोलन के संकट से तो निकल आई है लेकिन कोरोना संकट की तीसरी लहर की दस्तक उसके सामने नई चुनौती खड़ी कर रही है। ऐसे में मनोहर सरकार को एक बार फिर नई चुनौती के मुकाबले को तैयार रहना होगा।