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धनी राम अग्रवाल का नाम एशिया बुक ऑफ रिकार्ड्स में दर्ज

Dhaniram Agrawal's name registered in Asia Book of Records
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डॉ. धनीराम अग्रवाल
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गुरुग्राम, 12 मई (हप्र) : सुरुचि साहित्य कला परिवार के तत्वावधान में सीसीए स्कूल सेक्टर-4 के सभागार में संस्था अध्यक्ष डॉ. धनी राम अग्रवाल के सम्मान में एक वृहद काव्य गोष्ठी एवं सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। डॉ.अग्रवाल का नाम शिक्षा क्षेत्र में निर्बाध सर्वाधिक कार्यकाल पूरे एशिया में अधिकतम होने के कारण एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, इंडिया बुक ऑफ रिकॉड्र्स एवं लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्डस ने एक रिकॉर्ड के रूप में दर्ज किया है।

उन्हें महाद्वीप एशिया में विशिष्ट पहचान प्राप्त हुई है। गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में विश्व कीर्तिमान के लिए उनका नाम वर्ष 2016 में दर्ज हुआ था, जिसे यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के प्रोफेसर डॉ. जोएल ने तोड़ दिया।

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धनी राम अग्रवाल का 61 वर्ष 2 महीने 22 दिन के शिक्षण कार्यकाल

अब डॉ. अग्रवाल 61 वर्ष 2 महीने 22 दिन के शिक्षण कार्यकाल के साथ विश्व में दूसरे एवं एशिया में प्रथम स्थान पर हैं। गणित और अर्थशास्त्र की 12 से अधिक पुस्तकें लिखने वाले डॉ. अग्रवाल के शताधिक शोध पात्र प्रकाशित हो चुके हैं। मंजू भारती, डॉ. अशोक दिवाकर, ने उनके कृतित्व, व्यक्तित्व, जीवन संघर्ष, कार्य शैली, वाकपटुता, उदारता आदि के विषय में विस्तार से बताया। प्रख्यात कथाकार चंद्रकांता एवं कुलबीर सिंह मलिक ने उन्हें बधाई दी।

डॉ. अग्रवाल के जीवन वृत्त पर आधारित रविन्द्र सिंह यादव द्वारा लिखित रागिनी की लयबद्ध प्रस्तुति से नरोत्तम शर्मा ने श्रोताओं का दिल जीत लिया। संचालन मदन साहनी ने किया। वीणा अग्रवाल द्वारा प्रस्तुत वंदना और अतिथिगण द्वारा दीप प्रज्जवलन से विधिवत कार्यक्रम का शुभारम्भ हुआ।

धनी राम अग्रवाल को इन हस्तियों ने दी बधाई

पूर्व कुलपति डॉ. अशोक दिवाकर, पूर्व उपायुक्त कुलबीर सिंह मलिक, कर्नल कुंवर प्रताप सिंह, डॉ.आर.पी. सिंह, गजलकार विज्ञान व्रत, कथाकार चंद्रकांता, साहित्यकार सुनीति रावत, निर्मल यादव जैसे विशिष्ट महानुभावों ने अतिथि के रूप में कार्यक्रम को गरिमा प्रदान की। तत्पश्चात प्रख्यात गजलकार विज्ञान व्रत की अध्यक्षता में काव्य गोष्ठी हुई, जिसमें में डॉ. अशोक बत्रा, विजय नागपाल नाविक, दीपशिखा श्रीवास्तव, सतीश मराठा, राजेश प्रभाकर, बिमलेन्दु सागर, सुजीत कुमार, सुनीति रावत, सुनील शर्मा सहित लगभग 15 कवियों ने विविध विषयों पर प्रस्तुति दी। इसमें देश-प्रेम भाव की प्रमुखता दिखाई दी।

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