अरुण नैथानी
अभी हाल ही में भारत की झोली में अंडर-19 विश्व कप का खिताब डालने वाले कप्तान यश ढुल की यश पताका लहराने लगी है। यह कामयाबी इस मायने में खास थी कि उनकी टीम के पांच खिलाड़ी लीग मैचों के दौरान कोरोना पॉजिटिव हो गये थे। मगर यश ने हिम्मत नहीं हारी थी। वे क्वारंटीन पीरियड में शेडो गेम खेलते, टीवी में क्रिकेट मैच देखकर खिलाड़ी की जगह खुद की कल्पना करते। फिर जोरदार वापसी की। सेमीफाइनल में आस्ट्रेलिया की दिग्गज टीम के खिलाफ उस वक्त मोर्चा संभाला जब भारत के विकेट चटकने लगे थे। फिर उनका यादगार 110 रन का शतक भारत को जीत की दहलीज तक ले गया। पूरी दुनिया के दिग्गज क्रिकेटर कहने लगे कि यश जैसे खिलाड़ियों के हाथों में भारतीय क्रिकेट का भविष्य सुरक्षित है। देश लौटकर यश ने कहा था कि मेरी प्राथमिकता आईपीएल नहीं, रणजी खेलना है। उन्होंने दावा किया था कि मेहनत व अभ्यास से वे 18 महीनों में सीनियर टीम में जगह बना लेंगे। लेकिन बृहस्पतिवार को गुवाहाटी में खेले गये रणजी चैंपियनशिप में दिल्ली के लिए शतक लगाकर उन्होंने बताया कि टीम में वे 18 महीने से पहले ही जगह बना लेंगे।
शायद माता-पिता ने जब उसका नाम यश रखा, उन्होंने उसका भविष्य बांच लिया था। रणजी के पहले ही मैच में शतक लगाकर यश, सचिन तेंदुलकर और रोहित के क्लब में शामिल हो गये हैं। वह भी तब जब दिल्ली की टीम संकट की ओर बढ़ रही थी। यश ने 133 गेंदों में तमिलनाडु की टीम के खिलाफ 113 रन बनाये। इस तरह इस विश्व विजेता टीम के कप्तान ने प्रथम श्रेणी क्रिकेट में यश पताका लहराकर क्रिकेट चयनकर्ताओं का ध्यान खींचा है कि वह भारतीय क्रिकेट का भविष्य है। वहीं यश की एक कामयाबी यह भी है कि आईपीएल के लिये दिल्ली कैपिटल्स ने उन्हें पचास लाख रुपये में अपनी टीम का हिस्सा बनाया है।
इससे पहले यश ने अंडर-19 क्रिकेट विश्व कप के सेमीफाइनल में अपने शानदार शतक से भारतीय टीम को फाइनल में पहुंचाया था। इस मैच में मजबूत आस्ट्रेलिया को भारतीय नवांकुरों ने 96 रन से मात दी थी और भारत लगातार चौथी बार अंडर-19 के फाइनल में खेल पाया। वे विराट कोहली व उन्मुक्त चंद के बाद विश्वकप में शतक जड़ने वाले तीसरे कप्तान बने। यह यश के शानदार सफर की शुरुआत है।
निस्संदेह ढुल की बल्लेबाजी में कुछ जबरदस्त क्षमता है। वे खास हैं और भारतीय टीम का भविष्य सुरक्षित है। वेस्टइंडीज से लौटने के बाद देश में जगह-जगह सम्मान के चलते वे परिवार को भी समय नहीं दे पाये। विश्व कप की तैयारी में परिवार से दो माह तक दूर रहे। चैंपियनशिप जीतने के बाद वे अपनी क्रिकेट की पहली पाठशाला बाल भवन पहुंचना नहीं भूले, जहां उनके हुनर का निखार हुआ। साथ ही उन गुरुओं का आभार जताया जिन्होंने उसके क्रिकेट को संवारा। अंडर-19 विश्वकप जीतने के बाद एक कप्तान विराट कोहली तो चमके तो उन्मुक्त चंद न चमक सके। शीर्ष स्तर पर सफलता व असफलता के प्रश्न पर यश का कहना है कि मैं भविष्य के बारे में ज्यादा न सोचकर, विनम्र रहकर मेहनत करना चाहता हूं। वैसे यश में शारीरिक मजबूती के साथ जबरदस्त मानसिक मजबूती है।
बहरहाल, आज यदि यश क्रिकेट की बगिया में महक रहे हैं तो उसके पीछे उनके परिवार का तप-त्याग है। मूल रूप से हरियाणा के रोहतक के यश ढल का परिवार पश्चिमी दिल्ली में जनकपुरी में रहता था। सेना में रहे दादा से उन्हें अनुशासन व मानसिक मजबूती मिली है। यश को दादा उंगली पकड़कर क्रिकेट अकादमी ले जाया करते थे। तब वे महज आठ साल के थे जब दादा रणजी क्रिकेटर प्रदीप कोचर की अकादमी लेकर गये। वर्ष 2017 में दादा जी का निधन हुआ तो पिता ने उनकी स्मृतियों को यश की ताकत बना दिया। उनका निधन हुआ तो अगले दिन यश मैदान में थे। फिर यह जिम्मेदारी पिता ने निभायी। पिता ने अपनी नौकरी उसके भविष्य को संवारने के लिये छोड़ दी। दादा की पेंशन से घर का खर्च चलता था।
यश जब 12 साल के थे दिल्ली के बहुचर्चित सोनेट क्लब के खिलाफ अपनी टीम के बिखरने के बाद वे चालीस ओवर तक खेले। तब विपक्षी टीम के खिलाड़ियों ने उनके अनूठे प्रदर्शन पर उन्हें कंधे पर उठा लिया था। यश की हौसला अफजाई के लिये उनके कोच कोचर व मयंक उन्हें एक शतक लगाने पर सौ रुपये देते थे। वहीं जब विजय मर्चेंट ट्राॅफी में उन्होंने 188 रन पंजाब के खिलाफ बनाये तो कोच ने पांच सौ रुपये ईनाम में दिये, जिन्हें यश ने हमेशा संभालकर रखा।
अंडर-19 विश्व कप में जब यश कोरोना संक्रमित हुए तो उनका परिवार बेहद चिंतित हुआ। खतरा था कि अपने करिअर के सबसे बड़े टूर्नामेंट से यश बाहर न हो जाये। परिवार ने कहा कि वे इसे एक चोट की तरह लें, कोविड न मानें। लेकिन यश ने कहा वह जल्दी क्रिकेट खेलेगा और टीम अंतिम आठ में होगी। बाद में हौसलों की जीत भी हुई। पश्चिमी दिल्ली के इस खिलाड़ी के जज्बे ने विश्वकप पर भारत की मोहर लगा दी। यश पश्चिमी दिल्ली के ही विराट कोहली की तरह मानसिक रूप से बेहद मजबूत हैं और संकट में टीम को उबारने का जज्बा रखते हैं। वह कहा करते थे कि मुझे विराट भैया जैसा बनना है, उनके आक्रामक क्रिकेट, कौशल व फिटनेस का अनुसरण करना है। निस्संदेह यश में एक सफल कप्तान के गुण हैं।