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आज़ादी के उत्सव में देशभक्ति की मिठास

तिरछी नज़र
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केदार शर्मा

नत्थू ने तो अच्छा ही सोचा था कि स्वतंत्रता दिवस के पावन पर्व पर अपने मोहल्ले के लोगों के साथ मिलकर कुछ ऐसा किया जाए जिससे मन में देशभक्ति की भावना और भी सुदृढ़ हो। सो एक दिन पहले ही वह सम्पर्क के लिए निकल पड़ा। चंदूजी हलवाई मोतीचूर के लड्डू बनाने में व्यस्त थे। नत्थू ने राम-राम किया तो नाराज हो गये बोले, ‘कल पन्द्रह अगस्त है, स्कूलों के बम्पर ऑर्डर मिले हैं तैयार करके समय पर देने हैं।’ मैंने बात का सिरा पकड़ा, ‘मैं भी पन्द्रह अगस्त के संदर्भ में ही बात कर रहा था हलवाई जी, कल लाइब्रेरी के पीछे के हॉल में देशभक्ति का एक घंटे का कार्यक्रम रख लेते हैं। आप भी अपने अनुभव और विचार रखिएगा कि कैसे एक हलवाई भी मिलावट नहीं करके, ग्राहकों को वाजिब दाम पर मिठाइयां बेचकर यानी अपना धंधा करते हुए भी देश की सेवा कर सकता है। इससे नई पीढ़ी को प्रेरणा मिल सकेगी।’

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सुनते ही हलवाईजी के मुंह की रंगत वैसे ही बदल गई जैसे गर्म तेल में तलने के बाद मिठाई की बदलती है। उनका दिमाग भट्टी के माफिक गर्म हो उठा। उबलते हुए बोले, ‘महाशय, आपकी तरह मैं रिटायर्ड नहीं हूं, यहां मरने की फुर्सत नहीं है और आपको देशभक्ति की पड़ी है।’ मैंने बात में चाशनी-सी घोलते हुए कहा, ‘कार्यक्रम के बाद मेरी ओर से स्नेहभोज रखने की भी सोच रहा हूं, आपकी कमी खलेगी।’ सुनकर उनके चेहरे की रंगत थोड़ी बदली। मुस्कराते हुए बोले, ‘सुबह ऑर्डर पूरे करने के बाद तो पूरे दिन फ्री ही रहूंगा, बताइए कितने बजे आना है?’ मैंने बताया, ‘एक बार सबसे सम्पर्क कर लूं उसके बाद शाम को आप के व्हाट्सएप पर सूचना डाल दूंगा।’

थोड़ा आगे बड़े बाबू खन्ना साहब का मकान था। रिटायरमेंट से पहले नत्थू उनके साथ स्टॉफ में रह चुका था। जब उसने कार्यक्रम के बारे चर्चा की तो बोले, ‘यार कहीं झरने पर घूमने जाने का कार्यक्रम बनाया है, अब आप तो रिटायर्ड फ्री आदमी हो। हमारे तो बस छुट्टी का दिन ही तो होता है घूमने जाने के लिए।’ नत्थू ने आगे बताया, ‘यार कार्यक्रम के बाद मेरी ओर से स्नेह भोज का कार्यक्रम भी रखने की सोच रहा हूं, आप आते तो अच्छा लगता।’ उन्होंने गर्दन ऊंची की और सिर खुजाते हुए बोले, ‘ठीक है मैं जल्दी आ जाऊंगा, बताओ कितने बजे आना है। अब आपकी बात तो रखनी ही पड़ेगी।’ मैंने बताया, ‘देखो मैं एक बार सबसे मिल लेता हूं उसके बाद आपको व्हाट्सएप पर सूचना डाल दूंगा।’

सबसे सम्पर्क करने के बाद नत्थू ने शाम को व्हाट्सएप पर सबको मैसेज डाला कि आप सब लोगों की अतिव्यस्तता को देखते हुए स्नेहभोज का कार्यक्रम निरस्त किया जाता है, पर देशभक्ति का कार्यक्रम पांच से छह बजे तक यथावत रहेगा। सभी की तहदिल से प्रतीक्षा रहेगी। पन्द्रह अगस्त के दिन नत्थू लाइब्रेरी हॉल में निर्धारित समय के बाद तक सबकी प्रतीक्षा करता रहा पर कोई नहीं आया।

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