कौन-सी चीज है जिसे हमारे यहां नकली नहीं बनाया जा सकता है? ऐसी कोई वस्तु नहीं जिसकी नकल हमने की नहीं। एक से एक बाजार हैं हमारे देश में जहां ऐसी-ऐसी नकली चीजें मिलती हैं जिसके सामने असली शर्म से बिना चुल्लू भर पानी के डूब मरे।
हमारे देश और देशवासियों के नकल करने की योग्यता और क्षमता पर किसी को संदेह नहीं होना चाहिए। हमारे यहां ऐसी-ऐसी नकली चीजें बनती हैं जो असली को भी मात कर दें। हमारे यहां बने नकली दूध को मजाल है दुनिया का कोई लैक्टोमीटर नकली बता सके। वैसे लैक्टोमीटर भी नकली उपलब्ध हैं बाजार में। दूध तो एक उदाहरण मात्र है भूसे के ढेर में सुई की तरह। कौन-सी चीज है जिसे हमारे यहां नकली नहीं बनाया जा सकता है? ऐसी कोई वस्तु नहीं जिसकी नकल हमने की नहीं। एक से एक बाजार हैं हमारे देश में जहां ऐसी-ऐसी नकली चीजें मिलती हैं जिसके सामने असली शर्म से बिना चुल्लू भर पानी के डूब मरे। दूध, पनीर और मावा की बात छोड़िए, किसी भी ब्रांडेड वस्तु का नाम बतायें और उसके असली से ज्यादा असली हमारी नकली माल तैयार मिलेगा।
अब आभूषण को ही ले लीजिए। इमिटेशन ज्वेलरी के नाम से पूरा उद्योग ही खड़ा है। और नकली के सामने असली सोना और हीरा पानी भरता नजर आता है। वैसे कई झपटमार इस बात से खफा भी हैं कि लोगों ने असली की जगह नकली आभूषण पहनना शुरू कर दिया है। फिल्मों में नकली न हों तो असली के स्टंट दृश्य ही न फिल्माए जा सकें। कुछ नकली असली की नकल करके ही रोटी कपड़ा और मकान का जुगाड़ कर पाते हैं।
नकल के क्षेत्र में कुछ दिनों पहले एक क्रांतिकारी शुरुआत हुई थी जब एक बहुत बड़े बैंक की नकली शाखा ही खोल दी गई थी, छत्तीसगढ़ के छत्तीस गढ़ों में से एक गढ़ में। और इस नकली शाखा में बैंक का जो लोगो लगा था वह असली से भी ज्यादा असली था। काम भी नकली बैंक का असली बैंक से ज्यादा कुशल था। तो असली बैंक वाले पहुंच गए थे पुलिस को लेकर नकली बैंक की शाखा में। पर इस बीच लोगों को जो धोखा हुआ इस नकली बैंक के द्वारा वह बिलकुल असली था। और यदि कोई यह सोच रहा हो कि यह इस तरह की पहली घटना है तो अपना सामान्य ज्ञान बढ़ा ले। इस तरह के करामात अन्य राज्यों यथा तमिलनाडू बेंगलुरु आदि में भी हो चुके हैं।
पर बात अभी एक बिलकुल ताज-तरीन घटना की हो रही है। जिला गाजियाबाद में एक सज्जन ने नकली दूतावास ही खोल दिया है। और इसका नाम भी कितना आकर्षक रखा गया– वेस्टार्कटिका। यानी जिस पश्चिम को जाने के लिए पूरब वाले तरसते हैं उस पश्चिम और आर्कटिक और अंटार्कटिक क्षेत्र के देशों से संबंधित दूतावास। इस दिव्य नामकरण के लिए नकल-सम्राट को कोई न कोई सृजनात्मक पुरस्कार दिया ही जाना चाहिए।
जो नामपट्ट लगाया गया था इस दूतावास पर वह सोने के प्लेट पर था। जाहिर है सोना भी नकली ही रहा होगा। पर लोगों से जो ठगी की गई वह तो बिलकुल असली थी।