Tribune
PT
About Us Code Of Ethics Advertise with us Classifieds Download App
search-icon-img
Advertisement

हाई स्किल्ड पेशेवर तैयार करने की चुनौती

उद्योग-कारोबार जगत में नित नयी प्रौद्योगिकियों का इस्तेमाल तेजी से बढ़ रहा है जिसके चलते हाई स्किल्ड वर्कफोर्स की जरूरत होगी। एआई, बिग डेटा, मशीन लर्निंग व साइबर सुरक्षा प्रबंधन संबंधी करोड़ों नौकरियां पैदा होंगी। युवा भारत दुनिया की हाई...
  • fb
  • twitter
  • whatsapp
  • whatsapp
Advertisement

उद्योग-कारोबार जगत में नित नयी प्रौद्योगिकियों का इस्तेमाल तेजी से बढ़ रहा है जिसके चलते हाई स्किल्ड वर्कफोर्स की जरूरत होगी। एआई, बिग डेटा, मशीन लर्निंग व साइबर सुरक्षा प्रबंधन संबंधी करोड़ों नौकरियां पैदा होंगी। युवा भारत दुनिया की हाई स्किल्ड वर्कफोर्स का हब बन सकता है। जरूरत ठोस रणनीति के तहत युवाओं को एडवांस स्किल्स की ट्रेनिंग व काम के नये ढंग में दक्ष बनाने में पर्याप्त निवेश की है।

डॉ. जयंतीलाल भंडारी

Advertisement

यकीनन इस समय जहां नए डिजिटल दौर में देश की नई हाई स्किल्ड पीढ़ी के लिए भारत में ही नहीं, दुनियाभर में नए दौर की नौकरियों में अवसर बढ़ रहे हैं, वहीं करोड़ों युवाओं को नए दौर की इन नौकरियों के लिए शिक्षित-प्रशिक्षित करने की बड़ी चुनौती भी सामने है। खासतौर से ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों में यह चुनौती और अधिक है।

हाल ही में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (डब्ल्यूईएफ) ने अपनी नवीनतम रिपोर्ट ‘भविष्य की नौकरियों’ में कहा कि वैश्विक स्तर पर वर्ष 2030 तक 17 करोड़ नई हाई स्किल्ड नौकरियां पैदा होंगी, जबकि 9.2 करोड़ परंपरागत नौकरियां समाप्त होने का अनुमान है। इसके परिणामस्वरूप 7.8 करोड़ अधिक नई नौकरियां पैदा होंगी। तकनीकी उन्नति, जनसांख्यिकीय बदलाव, भू-आर्थिक तनाव और आर्थिक दबाव आदि परिवर्तनों के कारण नई हाई स्किल्ड नौकरियों को रफ्तार मिलेगी और इससे दुनियाभर में उद्योगों-व्यवसायों को नया रूप मिलता दिखाई देगा।

रिपोर्ट में कहा गया है कि जहां भारत में नियोक्ताओं का मानना है कि सेमीकंडक्टर और कंप्यूटिंग प्रौद्योगिकियों को अपनाने से उनके परिचालन में बदलाव आएगा, वहीं क्वांटम और एन्क्रिप्शन प्रौद्योगिकियों को अपनाने से भी परिचालन में परिवर्तन होगा। रिपोर्ट में कहा गया है, विश्व स्तर पर एआई कौशल की मांग में तेजी आई है, जिसके क्षेत्र में भारत और अमेरिका अग्रणी नजर आते हैं। ऐसे में सबसे तेजी से बढ़ती जिन नौकरियों की भूमिकाएं होंगी, उनमें एआई, बिग डेटा, मशीन लर्निंग और साइबर सुरक्षा प्रबंधन के विशेषज्ञ शामिल हैं। ये सभी नौकरियां वैश्विक रुझानों के साथ निकटता से जुड़ी हैं। इसी के चलते भारत दुनिया की सबसे बड़ी स्किल्ड वर्कफोर्स वाले देशों में शामिल है। अगले दशक में भारत दुनिया की एक चौथाई नई हाई स्किल्ड वर्कफोर्स का हब भी बनता दिखाई दे सकता है।

उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के साथ पेरिस में आयोजित आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) एक्शन शिखर सम्मेलन की सह अध्यक्षता करते हुए कहा कि यद्यपि दुनिया में यह आशंका है कि एआई की वजह से नौकरियां खत्म होंगी, लेकिन इतिहास गवाह है कि प्रौद्योगिकी के कारण नौकरियां खत्म नहीं होती, बल्कि उसकी प्रकृति बदल जाती है और नई तरह की नौकरियां सृजित होती हैं। इसलिए हमें एआई संचालित भविष्य के लिए अपने लोगों को हाई स्किल्ड बनाते हुए नए काम के तरीकों के लिए उन्हें तैयार करने में निवेश करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि भारत ने अपने 140 करोड़ से अधिक लोगों के लिए बहुत कम लागत पर डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचा तैयार किया है। साथ ही इंडियाएआई मिशन प्रभावी रूप से काम कर रहा है।

नि:संदेह, भारत की नई पीढ़ी डिजिटल दौर के हाई स्किल्ड कामों में लगातार अपना योगदान बढ़ा रही है। ओपन एआई के सीईओ सैम आल्टमैन के मुताबिक एआई के लिए दुनिया में भारत दूसरा सबसे बड़ा बाजार है। गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई के मुताबिक, भारत एआई के क्षेत्र में दुनिया का नेतृत्व कर सकता है। माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ सत्या नडेला के मुताबिक, भारत की गणित में दक्ष नई पीढ़ी के लिए एआई के क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं। इस समय जहां प्रतिभा संपन्न हाई-स्किल्ड नई पीढ़ी देश के विकास में बड़ा योगदान दे रही है, वहीं भारत के टैलेंट की दुनिया में पहचान है। भारत के प्रोफेशनल बड़ी कंपनियों के जरिए ग्लोबल स्तर पर अभूतपूर्व योगदान रहे हैं। ये हाई स्किल्ड पीढ़ी सेवा निर्यात से विदेशी मुद्रा कमाने वाली आर्थिक शक्ति के रूप में भी उभर रही है। यह भी महत्वपूर्ण है कि एआई सहित हाई स्किल्ड मैनपॉवर के आसान व किफायती रूप से उपलब्ध होने के कारण भारत में बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर्स (जीसीसी) की तेजी से नई स्थापनाओं के साथ सेवा निर्यात तेजी से बढ़ रहा है। जीसीसी जॉब मार्केट में नया चलन है। जीसीसी आईटी सपोर्ट, कस्टमर सर्विस, फाइनेंस, एचआर और रिसर्च एंड डेवलपमेंट पर ध्यान केंद्रित करती हैं। हाल ही में नैसकॉम और जिनोव की और से जारी इंडिया जीसीसी लैंडस्केप रिपोर्ट के मुताबिक, जीसीसी के लिए भारत दुनिया का सबसे बड़ा हब बनता दिखाई दे रहा है।

कोई दो मत नहीं कि भारत देश -दुनिया की जरूरतों को देखते हुए अपने युवाओं की स्किल्स डेवलपमेंट व अपग्रेडेशन कर रहा है। महत्वपूर्ण यह कि इससे भारत के लिए हाई स्किल्ड सेवाओं के निर्यात की ऊंची संभावनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं। सेवा निर्यात के तहत कंप्यूटर नेटवर्क का इस्तेमाल एआई, आईटी, बैंकिंग, फाइनेंस, इंश्योरेंस, पर्यटन, आतिथ्य, शिक्षा, मेडिकल ट्रांसक्रिप्शन, गेमिंग व मनोरंजन आदि से संबंधित सर्विसेज का एक्सपोर्ट शामिल है।

उल्लेखनीय है कि हालिया केंद्रीय बजट में देश के युवाओं को हाई स्किल्ड बनाने और भारत को वैश्विक कौशल केंद्र बनाने की दिशा में बड़े कदम उठाए हैं। तीन नई कौशल विकास योजनाओं का ऐलान किया गया है, जिनमें एआई के लिए 8800 करोड़ रुपये का बजट प्रावधान किया है। इन योजनाओं के तहत खासतौर पर एआई, आईटी, साइबर सिक्योरिटी और मशीन लर्निंग जैसी नई तकनीकों में करीब 5 लाख युवाओं को हाई-टेक ट्रेनिंग दी जाएगी। इंडिया एआई मिशन का एक मकसद एआई सहित हाई स्किल्ड मैनपॉवर के परिप्रेक्ष्य में देश-विदेश की मांग को पूरा करना है। यह मिशन भारत की युवा आबादी को देखते हुए महत्वपूर्ण है। बता दें कि यूरोप, जापान और अन्य कई विकसित और विकासशील देशों की आबादी तेजी से बूढ़ी हो रही है। ऐसे में भारत के लिए विदेशों में भी अपने हाई स्किल्ड युवाओं के लिए बड़े अवसर हैं। भारत ने हाल के वर्षों में करीब दो दर्जन देशों के साथ आव्रजन और रोजगार से जुड़े समझौते किए हैं जिनके तहत भारत जापान, इस्राइल, ऑस्ट्रेलिया, सऊदी अरब, फ्रांस, जर्मनी, रूस, मॉरिशस, यूके, यूएई, रोमानिया और इटली जैसे देशों में अपने स्किल्ड युवा भेजे जाएंगे।

हाई स्किल्ड टेलेंट की देश-दुनिया में लगातार मांग बढ़ रही है, ऐसे में हमें देश की नई पीढ़ी को हाई-स्किल्स डेवलपमेंट की विशेषज्ञता के लिए और अधिक तेजी से प्रवृत्त करना होगा। इस हेतु नई रणनीति के साथ आगे बढ़ना जरूरी है। देश के कोने-कोने में विशेषतया ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, पायथन, वर्चुअल रियल्टी, रोबोटिक प्रोसेस, ऑटोमेशन, इंटरनेट ऑफ थिंग्स, बिग डाटा एनालिसिस, क्लाउड कम्प्यूटिंग, ब्लॉक चेन और साइबर सुरक्षा जैसी हाई-स्किल्ड विधाओं में बड़ी संख्या में युवाओं को कुशल बनाने के कई गुना प्रयास करने होंगे। उम्मीद करें कि नीति-नियंता भारत में नई पीढ़ी को नए उच्च डिजिटल गुणवत्ता वाले कौशल से सुसज्जित कर रोजगार देने व देश की आर्थिक तस्वीर संवारने के लिए कारगर रणनीतियों के साथ आगे बढ़ेंगे।

लेखक आर्थिक मामलों के जानकार हैं।

Advertisement
×