आलोक पुराणिक
कोरोना वैक्सीन अभी सभी को न लगी है, पर यह चर्चाएं चलनी शुरू हो गयी हैं कि वैक्सीन के दो डोज ही काफी नहीं हैं, इनके बाद वैक्सीन बूस्टर लगवाना जरूरी है। बूस्टर के बाद संभव है कि कोई दवा कंपनी कह दे कि बूस्टर प्लस लगवाये बगैर तो कोई सेफ है ही नहीं।
कोरोना वैक्सीन न हुई मानो एप्पल फोन का अपग्रेड हो गया, जिसे लिये बगैर पुराने एप्पल फोन की सेहत सही न रहेगी। बूस्टर, अपग्रेड के बगैर काम न चल रहा है, कंपनियों का। बंदे का भले ही काम चल जाये, दो डोज में, पर दवा कंपनी का काम न चलेगा। कोरोना आया और उसे फुलटू न निचोड़ा तो क्या फायदा कोरोना का।
अपग्रेड का धंधा चकाचक है। मूल प्राडक्ट से ज्यादा कंपनियां अपग्रेड से कमाती हैं। बंदा एक ही बार खरीदकर रह जाये कोई आइटम तो धंधा कैसे चलेगा।
टीवी सीरियल इस धंधे को अलग तरह से कर रहे हैं। मिर्जापुर सीरिज आयी, इसकी नंगई से मन न भरा, तो जी पार्ट टू आया। पार्ट टू की नंगई पर्याप्त न लग रही हो, तो पार्ट थ्री भी आयेगा। सीजन दर सीजन मिर्जापुर चलता जायेगा। पब्लिक न चाहेगी, तब भी कुछ दिन चलेगा।
एक वक्त यह हुआ था नोकिया कंपनी के साथ, पब्लिक उकता कर भाग गयी थी।
पर पब्लिक उकताती नहीं है आसानी से। नागिनों से न उकतायी, भूतों से न उकतायी। नंगई से क्या उकतायेगी। गालियों के अपग्रेड का धंधा लगातार चलेगा। नयी नंगई, एकदम उम्दा नंगई, अपग्रेड लेवल की, नये माडल की-कुछ इस टाइप की बातें इश्तिहार में आ सकती हैं। नंगई का धंधे से गहरा रिश्ता है। जो नंगई के धंधे में न हैं, वो भी पर्याप्त नंगे होकर नोट पीट लेते हैं, इसके लिए चाहे उन्हें कितने ही अपग्रेड लाने पड़ें। कुछ बिल्डर निवेशकों का पैसा हजम कर गये। जेल गये, फिर महंगे वकीलों की सेवा लेकर जमानत पर ऐश कर रहे हैं। यह अलग किस्म की नंगई है और पर्याप्त पैसे देती है। ब्रज क्षेत्र की एक कहावत का आशय है कि नंगे के आगे तो चोर भी नतमस्तक होता है। चोर समझ लेता है इससे क्या ले पाऊंगा। इसे तो हाथ जोड़कर ही निकल लो। बिल्डर से लेकर तमाम फाइनेंशियल इनवेस्टमेंट तक के क्षेत्र में बड़े बड़े नंगे टहल रहे हैं। आखिर में दवा से लेकर दारू तक सब कुछ धंधा ही हो जाता है। धंधे का मतलब सेल अधिकतम हो जाये। अपग्रेड वाली कंपनियां कहीं श्मशान घाट के धंधे में ना उतर जायें। पता लगे कि अग्नि को समर्पित हो लिया है बंदा, और आग बंद हो गयी, फिर मैसेज आया कि चिता के पैकेज का अपग्रेड लो, तब मामला निपटेगा। बंदा क्या कर सकता है, वहीं अपग्रेड लेगा। तब आगे का कार्यक्रम संभव हो पायेगा। बिना अपग्रेड के बंदा फूंक भी न सकता, यह होने वाला है। यह धंधे का अपग्रेड मॉडल है।