देश के सर्राफा बाजारों में चांदी की कीमतें रिकॉर्ड तोड़ रही हैं। बढ़ती कीमतों के चलते आम ग्राहक और छोटे व्यापारी चांदी से दूर हो रहे हैं। वहीं, औद्योगिक मांग और निवेश बढ़ने से चांदी की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं।
देश के सर्राफा बाजारों में एक तरह से सन्नाटा छा गया है। सोने-चांदी की कीमतों से बाजार चकाचौंध हो रहे हैं। बीती 23 जुलाई को भारत में चांदी के दाम नया रिकॉर्ड बनाते हुए रुपये 1,16,000 प्रति किलोग्राम के रिकॉर्ड स्तर पर खुले।
पिछले कुछ महीनों से चांदी के भाव में तेजी देखी जा रही है। आम ग्राहक सोने के बाद अब चांदी से भी दूर भाग रहा है। चांदी के गहने समाज के कम आय वर्ग के लोगों और ग्रामीण महिलाओं में बेहद लोकप्रिय हैं। चांदी के व्यापार में देशभर में लाखों लोग लगे हुए हैं क्योंकि सोने के मुकाबले चांदी की कीमतें हमेशा काफी कम रहती थीं। उनका व्यापार करने के लिए ज्यादा पूंजी की जरूरत नहीं होती थी। त्योहारों में चांदी की बिक्री तो बढ़ती ही है, शादी-ब्याह में भी यह उपहार के तौर पर दिये जाते हैं। ग्रामीण तथा अर्ध-शहरी क्षेत्रों में भी दिवाली पर चांदी के लक्ष्मी-गणेश उकेरे हुए सिक्के खूब बिकते हैं। लेकिन पिछले साल से इसमें रुकावट आ गई है और इस साल तो बिक्री अभी ठप है। किसी समय यह एक एसेट था जो बड़े किसान, कारोबारी वगैरह घर पर रखते थे और यह तत्काल नकदी की जरूरत पूरी करता था। वक्त के साथ चांदी की कद्र कम हो गई और सोना ही मुख्य धातु बन गया।
पिछले कुछ वर्षों से इसके दाम बढ़ते ही गए और सारे रिकॉर्ड टूट गये। सोना आम आदमी की पहुंच से बाहर हो गया और चांदी ही उसका सहारा बनी रही। लेकिन उसके भी दामों में उछाल आया। पिछले साल पहली अगस्त को चांदी के दाम 83,000 रुपये प्रति किलो हो गये थे, जिससे सर्राफा बाजारों में सन्नाटा छा गया था। कारोबारी ज्यादा स्टॉक लेने से बच रहे हैं। उन्हें डर है कि आगे चलकर इसके दाम धराशायी न हो जायें। रिटेल बिजनेस इससे चौपट हो गया है और खरीदार बाजार से दूर हो गये हैं। भारत में चांदी पर 12 फीसदी एक्साइज ड्यूटी और 5 फीसदी जीएसटी है जिससे ग्राहक तक पहुंचते-पहुंचते चांदी बहुत महंगी हो जाती है।
दिल्ली के कूचा महाजनी सर्राफा एसोसिएशन के महासचिव बताते हैं कि पहले चांदी के गहने में लोग पैसा लगाते थे। लोग भारत ही नहीं, बल्कि कई अन्य देशों में भी चांदी के गहने बनाते रहे हैं, लेकिन बाद में सोने का चलन बढ़ने के कारण चांदी को वह स्थान नहीं मिल सका। हाल के वर्षों में चांदी का इंडस्ट्रियल इस्तेमाल बहुत बढ़ा है। स्मार्टफोन, टैबलेट्स, फोटोवैल्टेक सेल, इलेक्ट्रिक वाहनों की बैटरियों से लेकर मोबाइल फोन, गुटका, तंबाकू सभी में इसका बड़े पैमाने पर इस्तेमाल तो हो ही रहा है क्योंकि चांदी बिजली का सबसे अच्छा संवाहक (गुड कंडक्टर) है। इलेक्ट्रॉनिक चिप में टांके लगाने में भी इसका इस्तेमाल हो रहा है। कुछ मेडिकल उपकरणों में भी इसका इस्तेमाल होता है। इन उद्योगों में चांदी की मांग लगातार बढ़ती ही जा रही है 2024 के पहले चार महीनों में ही भारत ने 2023 के बराबर यानी 4,172 मीट्रिक टन चांदी का आयात कर लिया। इस कारण से इसकी कीमतें बढ़ती जा रही हैं।
दिल्ली सदर बाजार के सर्राफा एसोसिएशन के अध्यक्ष के अनुसार इसकी कीमतों पर कोई अंकुश नहीं है क्योंकि चांदी भी सोने की तरह बाहर से आती है। भारत में अब इसका खनन नहीं होता है। सारा माल खासकर मेक्सिको और पेरु से आता है। इसलिए इसकी कीमतों पर भारतीयों की कोई पकड़ नहीं है। विदेशों में बैठे बड़े अरबपति सटोरिये इसकी कीमतों को ऊपर-नीचे करते रहते हैं। लेकिन अभी भाव ऊपर ही जा रहे हैं और नीचे आने का नाम ही नहीं ले रहे हैं।
चांदी की कीमतें बढ़ने का एक बड़ा कारण चीन है। दुनिया के सबसे बड़े इस औद्योगिक देश में चांदी का इस्तेमाल जमकर हो रहा है, चाहे वो इलेक्ट्रॉनिक आइटम हों अथवा ईवी की बैटरी या फिर सोलर लाइट्स, सभी में चांदी का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर हो रहा है। इसलिए चीन पिछले पांच वर्षों से हर महीने औसतन 390 टन चांदी खरीद रहा है। हालांकि, वह चांदी का एक बड़ा उत्पादक देश है। इससे भी विश्व बाज़ार पर काफी असर पड़ा है। चीन में जो लोग सोना महंगा होने के कारण खरीद नहीं पा रहे हैं, चांदी खरीद रहे हैं। बिजनेसमैन चांदी पर बड़े पैमाने पर निवेश कर रहे हैं।
चांदी शेयर बाजार की तुलना में काफी अच्छा रिटर्न दे रही है। माना जा रहा है कि अगर डॉलर और गिरेगा तो सोने-चांदी की कीमतें और बढ़ेंगी। यह हमेशा से होता आ रहा है कि डॉलर के दाम गिरने पर अंतर्राष्ट्रीय निवेशक धातुओं और कमोडिटी में पैसा लगाते हैं। कुछ विश्लेषक मानते हैं कि चांदी की कीमतें 1,40,000 रुपये प्रति किलो तक पहुंच सकती हैं। अगर ऐसे ही हालात रहे तो अगले साल चांदी दो लाख रुपये प्रति किलो के स्तर तक जा सकती है। ऐसे में बहुत से छोटे व्यापारी बाजार से बाहर हो जायेंगे क्योंकि ऐसी कीमत पर खऱीदार नहीं मिल पायेंगे। बहरहाल, काफी कुछ अंतर्राष्ट्रीय परिदृश्य और डॉलर की कीमतों पर निर्भर करता है। देखना है कि भारत में आने वाले त्योहारी सीजन में बिक्री कैसी रहती है। उस दौरान कीमतें यूं भी बढ़ जाती हैं। खरीदार दिवाली उत्सव के कारण चांदी खरीदते हैं।
लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।