रेनू सैनी
जापान के लोगों की औसत आयु विश्व में चौथे स्थान पर है। वहां पुरुषों की आयु अस्सी से ऊपर और महिलाओं की 85 से ऊपर मानी जाती है। जापान में एक आइलैंड है ओकीनावा। वहां के अधिकतर लोगों की अधिकतर आयु सौ वर्ष के आसपास होती है और नब्बे साल पार करने के बाद भी ये लोग अपने दैनिक कार्यों को बड़े आराम से खुद ही करते हैं। कई देशों की कम्पनियों के प्रबंधक एवं लोग ओकीनावा में विशेष रूप से यही देखने के लिए जाते हैं कि आखिर वहां ऐसा क्या है जो लोग नब्बे वर्ष की आयु में भी स्वस्थ दिखाई देते हैं और अपने अंतिम समय तक सक्रिय रहते हैं।
इसका कारण है वहां के लोगों के पास इकीगाई का होना। इकीगाई जापानी शब्द है। इकी का अर्थ होता है जीना और गाई का अर्थ होता है वजह यानी कि जीने की वजह। ओकीनावा में रहने वाले सभी लोगों के पास जीने की वजह होती है। वे जानते हैं कि वे क्यों जीवित हैं और उन्हें अपने अंतिम समय तक क्या करना है। आप सोच रहे होंगे कि जीने की वजह तो दुनिया में सभी लोगों के पास होती है लेकिन फिर ओकीनावा में रहने वाले लोग ही स्वस्थ एवं शतायु क्यों होते हैं। इसलिए क्योंकि वे इकीगाई में आने वाले चार बिंदुओं के अनुसार अपना जीवनयापन करते हैं जबकि विश्व के लोग इकीगाई की केवल एक या दो बातों को ही जीवन की वजह मान लेते हैं।
इकीगाई में निम्न चार बातों का समावेश होता है ः आपको किससे प्यार है, किस काम का जुनून है, उसे करने से प्राप्त क्या होता है और उससे विश्व को क्या लाभ है। ध्यान सिंह ने सोलह वर्ष की आयु में सेना ज्वाॅइन कर ली थी। उन दिनों सेना में हॉकी व फुटबॉल का बहुत चलन था। ध्यान सिंह ने जब अपने साथी सैनिकों को हॉकी खेलते देखा तो उन्हें भी इसे खेलने का मन हुआ। जब उन्होंने हॉकी को हाथ में उठाकर खेला तो बस फिर तो उन्हें हॉकी का जुनून सवार हो गया। वे दिन-रात हॉकी स्टिक लेकर अकेले घंटों मैदान में अभ्यास करते रहते। रात को जब स्टिक की आवाजें आतीं तो उनके साथी समझ जाते कि ध्यान सिंह अभ्यास में लगा हुआ है। धीरे-धीरे उनका खेल इतना अधिक निखरता गया कि जब वे हॉकी खेलते तो लोगों को यह भ्रम होता कि मानो उनकी स्टिक में चुंबक लगी है जो बॉल को अपनी ओर आकर्षित कर लेती है।
उनकी हॉकी को इसी संदेह के कारण तोड़कर भी देखा गया। लेकिन जब कुछ नहीं मिला तो पूरी दुनिया ने ध्यानचंद को हॉकी का जादूगर कहना शुरू कर दिया। मेजर ध्यानचंद ने भारत को ओलंपिक में तीन स्वर्ण पदक दिलवाए। उनके जन्मदिवस पर देश में राष्ट्रीय खेल दिवस भी मनाया जाता है। इस प्रकार मेजर ध्यानचंद ने अपने इकीगाई को पहचान लिया था। उनके जीने की वजह हॉकी बन गई थी। हॉकी ने उन्हें नाम और धन दोनों ही दिया। इसके साथ ही विश्व में उन्होंने हॉकी में देश का नाम स्वर्णिम अक्षरों में लिखवा दिया। इस प्रकार वे इकीगाई की चारों बातों को पूरा करते थे। इसलिए उनका नाम उनके जाने के बाद भी अमर है।
इकीगाई में प्यार, काम के प्रति जुनून, पैसा और विश्व का कल्याण, सभी बातें आती हैं। जो लोग इकीगाई को पहचान लेते हैं, वे न केवल अपने लक्ष्य को पूरा करते हैं बल्कि अपनी एक अलग पहचान भी बनाते हैं।
जापान के प्रसिद्ध शेफ जीरो ओनो 94 वर्ष के हैं। वे केवल जापान के ही नहीं बल्कि दुनिया के सबसे उम्रदराज शेफ हैं जो सक्रिय हैं। उनके हाथों की बनाई जापानी डिश सुशी बेहद लाजवाब होती है। उनके हाथों की बनाई इस डिश का स्वाद दुनिया की अनेक जानी-मानी हस्तियां ले चुकी हैं, जिनमें अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा भी शामिल हैं। जीरो ओनो इस उम्र में भी इतने सक्रिय इसलिए हैं क्योंकि उन्हें अपने हाथों से बनाई डिश खिलाना सबको बेहद पसंद है। इससे उन्हें नाम और पैसा मिलता है व उनके देश का नाम भी रोशन होता है। यही कारण है कि जिस उम्र में लोग जीवित भी नहीं रहते, वे उस उम्र में न केवल जीवित हैं बल्कि प्रतिदिन अपने इकीगाई के कारण उठते हैं और सभी काम करते हैं।
अधिकतर लोगों के परेशान होने की वजह मुख्यतः ये होती है कि वे अपने काम में इकीगाई के उपरोक्त चारों बिंदुओं को शामिल नहीं करते। किसी को केवल अपने जुनून को पूरा करने का शौक होता है तो किसी को पैसे कमाने का। ऐसे में उनके जीवन के बाकी हिस्से अधूरे रहते हैं। इसलिए वे लगातार पैसे आने पर भी खुश नहीं रहते। जीवन में रुपया, जुनून, अपने होने का अस्तित्व, विश्व कल्याण सभी कुछ अनिवार्य है और जीवन का एक जरूरी हिस्सा है। इनमें से एक हिस्सा निकल जाने पर व्यक्ति को वह संतुष्टि प्राप्त हो ही नहीं सकती क्योंकि कुछ न कुछ बाकी रह जाता है। इसलिए प्रारंभ में ही अपना इकीगाई निर्धारित कर लिया जाए तो जीवन लंबा, सक्रिय और खुशहाल हो जाता है।