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शरीर के भीतर बुढ़ापारोधी ‘अमृत’ की तलाश

मुकुल व्यास बुढ़ापे की प्रक्रिया पर अंकुश लगाने के लिए दुनिया में पिछले काफी समय से रिसर्च चल रही है। वैज्ञानिक आयु बढ़ने की प्रक्रिया को पलटने की कोशिश कर रहे हैं और इस दिशा में उन्हें कुछ सफलता भी...
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मुकुल व्यास

बुढ़ापे की प्रक्रिया पर अंकुश लगाने के लिए दुनिया में पिछले काफी समय से रिसर्च चल रही है। वैज्ञानिक आयु बढ़ने की प्रक्रिया को पलटने की कोशिश कर रहे हैं और इस दिशा में उन्हें कुछ सफलता भी मिल रही है। आयु-वृद्धि एक स्वाभाविक प्रक्रिया है और इसे पूरी तरह से पलट देना या रोक पाना असंभव है। फिर भी आयु-वृद्धि का विज्ञान शोध का एक दिलचस्प क्षेत्र है। अब एक नई खोज से पता चलता है कि बुढ़ापा रोधी चमत्कारी ‘अमृत’ हमारे शरीर के अंदर भी हो सकता है। अमेरिका की कोल्ड स्प्रिंग हार्बर लेबोरेटरी (सीएसएचएल) की सहायक प्रोफेसर कोरिना अमोर वेगास और उनके सहयोगियों ने पता लगाया है कि टी कोशिकाओं को आयु-वृद्धि से लड़ने के लिए संशोधित किया जा सकता है। टी कोशिकाएं एक तरह की श्वेत कोशिकाएं होती हैं।

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वेगास की टीम का कहना है कि आनुवंशिक संशोधनों के सही सेट से टी कोशिकाओं की रिप्रोग्रामिंग करके उन्हें कोशिकाओं के दूसरे समूह पर हमला करने के लिए तैयार किया जा सकता है जो हमारे शरीर में बीमारियां उत्पन्न करती हैं। इन्हें सेन्सेंट कोशिकाएं कहा जाता है। सेन्सेंट कोशिकाएं दरअसल वृद्ध कोशिकाएं होती हैं जो आयु वृद्धि के साथ अपनी प्रतिकृति बनाना बंद कर देती हैं। जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती है, वे हमारे शरीर में जमा होने लगती हैं, जिसके परिणामस्वरूप हानिकारक सूजन हो जाती है। इस समय कई दवाएं मौजूद हैं जो इन कोशिकाओं को खत्म कर सकती हैं। इनमें से कई दवाओं को बार-बार लेना पड़ता है।

एमोर वेगास और उनके सहयोगियों ने दवाओं के रूप में एक ‘जीवित दवा’, सीएआर (काइमेरिक एंटीजन रिसेप्टर) टी कोशिकाओं की ओर रुख किया। उन्होंने पाया कि चूहों में वृद्ध कोशिकाओं को खत्म करने के लिए सीएआर टी कोशिकाओं में हेरफेर किया जा सकता है। परिणामस्वरूप, चूहे अधिक स्वस्थ जीवन जीने लगे। उनके शरीर का वजन कम हुआ। उनके शरीर में मेटाबॉलिज्म (चयापचय) और ग्लूकोज सहनशीलता में सुधार हुआ तथा शारीरिक गतिविधि में वृद्धि हुई। ये सभी लाभ उत्तकों की क्षति या विषाक्तता के बगैर आए। एमोर वेगास ने बताया कि वृद्ध चूहों को सी एआर टी कोशिकाएं देने पर उनका कायाकल्प हो जाता है। युवा चूहों को इन कोशिकाओं की खुराक देने पर उनकी आयु वृद्धि की प्रक्रिया धीमी हो जाती है।

फिलहाल कोई अन्य थेरैपी ऐसा नहीं कर सकती। शायद सीएआर टी कोशिकाओं की सबसे बड़ी शक्ति उनकी दीर्घायु है। वेगास की टीम ने पाया कि कम उम्र में सिर्फ एक खुराक देने से जीवन भर उसका असर हो सकता है। यह एकल उपचार उन दशाओं से रक्षा कर सकता है जो आमतौर पर जीवन में बाद में प्रकट होती हैं। इनमें मोटापा और डायबिटीज शामिल हैं। एमोर वेगास के अनुसार टी कोशिकाओं में याद‍्दाश्त विकसित करने और शरीर में लंबे समय तक बने रहने की क्षमता होती है, जो एक रासायनिक दवा से बहुत अलग है। सीएआर टी कोशिकाओं की थेरेपी पुरानी और दीर्घकालिक बीमारियों के उपचार में बहुत उपयोगी हो सकती है। इन कोशिकाओं के लाभ पहली बार सामने नहीं आए हैं।

उल्लेखनीय है कि विभिन्न प्रकार के रक्त कैंसर के इलाज के लिए सीएआर टी कोशिकाओं का उपयोग किया गया है। इस उद्देश्य के लिए 2017 में अमेरिका के एफडीए की मंजूरी मिल चुकी है। लेकिन एमोर वेगास उन पहली वैज्ञानिकों में से एक हैं जिन्होंने यह दिखाया कि सीएआर टी कोशिकाओं की चिकित्सा क्षमता कैंसर से भी आगे तक जाती है। अमोर वेगास की प्रयोगशाला अब यह जांच कर रही है कि क्या सीएआर टी कोशिकाएं चूहों को सचमुच लंबे समय तक स्वस्थ और जीवित रहने देती हैं। यदि ऐसा है, तो हम चिर यौवन के बहुप्रतीक्षित स्रोत के और करीब पहुंच जाएंगे।

इस बीच, शोधकर्ताओं के अन्य दल ने पता लगाया है कि वसा के उप उत्पादों (बायप्रॉडक्ट) में कमी करने से वृद्धावस्था में स्वस्थ रहने में मदद मिलती है। फैटी एसिड आणविक निर्माण इकाइयों में से एक हैं जो वसा बनाते हैं। यद्यपि विभिन्न शारीरिक कार्यों के लिए फैटी एसिड आवश्यक है, शरीर में उनकी अत्यधिक मात्रा हानिकारक हो सकती है, जो किसी व्यक्ति के दीर्घकालिक रोग के जोखिम को बढ़ाकर, चयापचय प्रक्रियाओं को बाधित करने और सूजन को बढ़ावा देकर उनके अच्छे स्वास्थ्य की अवधि और जीवन काल को छोटा कर सकती है। मेडिकल टेस्टों के दौरान फैटी एसिड की नियमित जांच की जाती है, जिनमें आपके लिपिड प्रोफाइल को मापने वाले रक्त परीक्षण शामिल हैं। लेकिन चिकित्सक और शोधकर्ता अक्सर वसा के अन्य प्रमुख घटक ग्लिसरॉल को संभावित हानिकारक प्रभावों के बावजूद नजरअंदाज कर देते हैं। ग्लिसरॉल एक यौगिक है जो फैटी एसिड को वसा के मॉलिक्यूल बनाने के लिए जोड़ता है।

ये वसा उपोत्पाद कोशिकाओं और अंगों के कार्यों को बाधित करके उम्र बढ़ने के प्रभावों को दर्शाते हैं। वास्तव में शोधकर्ता मोटापे को तेजी से उम्र बढ़ने के उत्प्रेरक के रूप में देख रहे हैं। वसा आपकी कोशिकाओं में आवश्यक कार्य करती है, लेकिन सभी तरह की वसा आपके लिए अच्छी नहीं होती। शोधकर्ताओं का कहना है कि हानिकारक वसा उपोत्पादों को कम करने से उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा करने में मदद मिल सकती है और परिणामस्वरूप आम बीमारियों से बचा जा सकता है। प्रयोगशाला जानवरों के जीवन काल को बढ़ाने और स्वास्थ्य में सुधार करने के तरीकों का अध्ययन करते समय शोधकर्ताओं ने पाया कि सभी बुढ़ापा-रोधी हस्तक्षेपों से ग्लिसरॉल के स्तर में कमी आई।

उदाहरण के लिए जब कैनोर्हाडाइटिस एलिगेंस नामक गोल कृमि (निमेटोड) को कैलोरी-प्रतिबंधित आहार पर रखा जाता है तो वह लगभग 40 प्रतिशत अधिक समय तक जीवित रहता है। शोधकर्ताओं ने पाया कि लंबे समय तक जीवित रहने वाले इन कीड़ों के शरीर में ग्लिसरॉल का स्तर कम जीवित रहने वाले कीड़ों की तुलना में कम था, जिनके लिए भोजन प्रतिबंधित नहीं था। कैलोरी प्रतिबंध ने उनकी आंत और मांसपेशियों में ग्लिसरॉल को तोड़ने के लिए जिम्मेदार एडीएच-1 (एल्कोहल डिहाइड्रोजिनेस 1) नामक एंजाइम की गतिविधि को भी बढ़ा दिया। शोधकर्ताओं ने आहार प्रतिबंध से गुजर रहे या रैपामाइसिन नामक एंटी-एजिंग दवा से इलाज करा रहे लोगों में समान रूप से एडीएच-1 की गतिविधि को उच्च स्तर देखा। इस खोज से पता चलता है कि सभी प्रजातियों में स्वस्थ तरीके से उम्र बढ़ने के पीछे एक सामान्य तंत्र हो सकता है, जिसके मूल में एडीएच-1 है।

लेखक विज्ञान मामलों के जानकार हैं।

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