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शॉर्ट सर्किट की तपिश से सिकती रोटियां

व्यंग्य/तिरछी नज़र
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डॉ. हेमंत कुमार पारीक

फायर ब्रिगेड वाले दोस्तों हमेशा आग बुझाते रहोगे क्या? मौके का फायदा उठाना सीखो। हमारे यहां तो शार्ट-सर्किट की खबर आती ही रहती है। जब से बिजली पर ध्यान दिया है सरकारों के शार्ट-सर्किट सक्रिय हो गए हैं। वरना तो लालटेन के जमाने में घासलेट बहुत पॉपुलर था। दहेज के चक्कर में बहुओं को निपटाने के काम आता था। मगर जब से बिजली आयी है साड़ियों में आग लगना बंद हो गया है। इतना कि घासलेट के उपयोग पर सवालों का जवाब कोई न दे पाता। सवाल करो तो उल्टे पूछता है कि घासलेट क्या होता है? हां, पेट्रोल के भाव जरूर बता देता है।

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खैर, घासलेट से पेट्रोल और बिजली तक का सफर हमने तय किया है। पर जब से बिजली फ्री हुई है शार्ट-सर्किट बढ़ गए हैं। कभी सचिवालयों में शार्ट-सर्किट होते हैं और घपले-घोटाले की फाइलें स्वाह हो जाती हैं। कभी झुग्गी बस्तियों में शार्ट-सर्किट से आग लग जाती है और देखते ही खाली मैदान नजर आने लगता है और भू-माफिया हंसते हुए मूंछों पर ताव देता है। कहता है, यहां मल्टी स्टोरी बिल्डिंग बनेंगी। करे कोई भरे कोई! अब क्या काम बचा है घासलेट और माचिस की तीली का?

शार्ट-सर्किट का नाम सामने आते ही तेल और माचिस की तीली की साख बट्टा लगने से बच जाती है। सारा दोष शार्ट-सर्किट के सिर माथे। भले ही सारा किया धरा माचिस की तीली और घासलेट का ही क्यों न हो। फायर मास्टर कहता है जब तक शार्ट-सर्किट से आग न लगे हम कहीं न जाते। ठीक ही तो कहता है। उनकी भी तो इज्जत है। मगर भले मानुष भूल जाते हैं। पूरा ध्यान आग और पानी पर रखते हैं। जानते नहीं कि दुनिया उन्हीं की जमाना उन्हीं का मोहब्बत में जो हो गया हो किसी का।

काल और स्थान के हिसाब से आग और पानी पर ध्यान देना चाहिए। उसके सिवाय और भी चीजें हैं, मसलन गद्दे, तकिए, बाथरूम की टाइल्स और स्टोर रूम्स वगैरा वगैरा। सरकारी घरों और अॉफिसों में अलमारियां तथा टेबल की ड्राज आदि। कहीं-कहीं बोरे और अटेचियां भी होती हैं। आग पर पानी चलाते समय इधर-उधर नजरें डालते रहना चाहिए। बावरे बन पानी और गैस छोड़ते रहने से क्या फायदा? जलते हुए नोट देखना अच्छी बात नहीं है। देश की मुद्रा का अपमान है। देश का अपमान है। अरे भाई, आपका भी तो परिवार है। नोटों के इस महासागर में से थैली भर नोट उड़ा भी लेते तो क्या फर्क पड़ता? बल्कि होली, दिवाली, क्रिसमस और ईद आदि त्योहार अच्छे से मन जाते। बच्चे भी खुशी से झूमते, नाचते-गाते, चिल्लाते हुए पूछते-पापा-पापा आए, हमारे लिए क्या लाए।

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