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स्वास्थ्य उपचार में जगी नई उम्मीदें

ड्रोन प्रौद्योगिकी
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हाल ही में ड्रोन की गतिशीलता के दृष्टिगत किया गया पायलट अध्ययन स्वास्थ्य उपचार की दिशा में आशा की एक नई किरण लेकर आया है। आपातकालीन चिकित्सा परिस्थितियों में रक्त एवं रक्त-घटकों का समय रहते उपलब्ध होना किसी उपचाराधीन व्यक्ति के लिए संजीवनी बन सकता है।

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दीपिका अरोड़ा

कार्यक्षेत्र के आधार पर अपेक्ष्य अनूठी क्षमताओं तथा विशेषताओं को संज्ञान में रखते हुए विशिष्ट अनुप्रयोगों तथा उद्योगों के लिए तैयार ‘ड्रोन’ अपनी बहु-उपयोगिता के चलते विविध क्षेत्रों में ख़ासी लोकप्रियता हासिल कर रहे हैं। दरअसल, ड्रोन तकनीक को उद्योग जगत में सर्वाधिक मान्यता इसकी विविधता के कारण मिली है। कृत्रिम बुद्धिमत्ता, संचार नेटवर्क तथा कंप्यूटिंग प्रौद्योगिकियों में प्रगति के कारण ड्रोन उद्योग तेजी से विकसित हो रहा है। हालांकि, शुरुआती दौर में इसका उपयोग सीमा नियंत्रण, टोही मिशन तथा लक्ष्य ट्रैकिंग आदि के मद्देनज़र बहुधा सैन्य क्षेत्र तक ही सीमित रहा किंतु जैसे ही अन्य क्षेत्रों को इसके व्यापक अनुप्रयोगों के बारे ज्ञात हुआ तो उन्होंने अविलंब ड्रोन तकनीक अपनाना आरम्भ कर दिया।

सैन्य निगरानी व हमलों में प्रयुक्त किए जाने वाले रिमोट कंट्रोल अथवा स्वायत्त प्रणालियों द्वारा निर्देशित ड्रोन अब मानव रहित विमान (यूएवी) के तौर पर आधुनिक युद्ध पद्धति में पसंदीदा हथियार बनकर उभर रहे हैं। वहीं कृषि, मीडिया, फ़िल्म निर्माण उद्योग जैसे अन्य अनेक क्षेत्रों में भी इनका वर्चस्व बराबर बढ़ा है।

कृषि क्षेत्र में ड्रोन का महत्व देखें तो महज़ 15 मिनट में ये लगभग 2.5 एकड़ भूमि पर कीटनाशकों का छिड़काव करने का सामर्थ्य रखते हैं। इनका उपयोग जहां कृषि गतिविधियों जैसे फ़सल निगरानी, भूमि मानचित्रण, कीट पहचान, कीटनाशक छिड़काव तथा सटीक सिंचाई आदि के लिए किया जाता है, वहीं इसके माध्यम से किसान अपने मवेशियों पर भी निरंतर नज़र बनाए रख सकते हैं। थर्मल सेंसर तकनीक खोये जानवर खोजने से लेकर उन्हें लगी चोट या बीमारी का पता लगाने में मददग़ार बनती है। कृषि बीमा क्षेत्र तक कुशल व भरोसेमंद आंकड़ों के लिए एग्री ड्रोन पर विश्वास जताते हैं। भारतवर्ष में ड्रोन स्टार्टअप का आविष्कार, ड्रोन-प्लांटिंग सिस्टम जहां लागत लगभग 85 प्रतिशत तक घटा देता है, वहीं स्थिरता व दक्षता अपेक्षाकृत बढ़ा देता है।

पर्यावरण निगरानी गतिविधियों जैसे- वन्यजीव ट्रैकिंग, वन मानचित्रण, प्रदूषण आकलन तथा जलवायु अनुसंधान में भी ड्रोन का उपयोग तेज़ी से बढ़ा है। बाढ़, भूकंप, जंगल की आग आदि सहित आपदा प्रबंधन परिदृश्यों में भी ड्रोन लाइव फीड प्रदान करने, पीडि़तों का पता लगाने तथा सहायता पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। संरचनात्मक सुरक्षा बढ़ाने तथा बुनियादी ढांचे की निगरानी करने वाले ड्रोन मैनुअल ज़ोख़िम घटाने में भी सहायक बनते हैं।

मीडिया तथा फिल्म निर्माण में गतिशील लाइव इवेंट कवरेज तथा सिनेमाई हवाई दृष्टिकोण प्रदान करने हेतु ड्रोन व्यापक रूप से प्रयुक्त किए जाते हैं। अनेक कंपनियां अपने गोदाम से ग्राहकों के दरवाज़े तक सीधी पहुंच बनाने के उद्देश्य से डिलीवरी ड्रोन विकसित कर रही हैं।

हाल ही में ड्रोन की गतिशीलता के दृष्टिगत किया गया पायलट अध्ययन स्वास्थ्य उपचार की दिशा में आशा की एक नई किरण लेकर आया है। आपातकालीन चिकित्सा परिस्थितियों में रक्त एवं रक्त-घटकों का समय रहते उपलब्ध होना किसी उपचाराधीन व्यक्ति के लिए संजीवनी बन सकता है। भारतवर्ष जैसे बड़े देश की विविध क्षेत्रीय भौगोलिक विभिन्नता का जायज़ा लें तो सड़क मार्ग द्वारा समयानुकूल आपूर्ति होने में शंकाएं बनी रहती हैं। उखड़ती सांसों के लिए प्रतिक्षण के महत्व को भांपते हुए वैज्ञानिकों ने दिल्ली तथा एनसीआर के तीन संस्थानों; लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज, ग्रेटर नोएडा के गवर्नमेंट इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज तथा जेपी इंस्टिट्यूट ऑफ इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी ने साथ मिलकर एक अध्ययन किया, जिसमें ड्रोन तकनीक का प्रयोग चुनौती के प्रभावी समाधान के रूप में उभर कर सामने आया।

विशेषज्ञों के तहत, दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में किए गए इस अध्ययन के दौरान ड्रोन ने लगभग 36 किलोमीटर की दूरी मात्र आठ मिनट में तय कर ली, जबकि पारंपरिक वैन को यही दूरी तय करने में 55 मिनट का समय लगा। अध्ययन में कुल 60 ब्लड बैग्स का उपयोग किया गया; जिसमें पूर्ण रक्त, पैक्ड रेड ब्लड सेल्स, फ्रेश फ्रोज़न प्लाज्मा तथा प्लेटलेट्स शामिल थे। ड्रोन व वैन दोनों द्वारा भेजे गए इन नमूनों की बाद में उनके जैव-रासायनिक मानकों की तुलना करने पर परिणाम सकारात्मक ही रहे। अध्ययन की निष्पक्षता एवं विश्वसनीयता बनाए रखने हेतु नमूनों की गुणवत्ता जांचने के लिए ‘डबल ब्लाइंड’ पद्धति अपनाई गई। वैज्ञानिकों की मानें तो भविष्य में यह तकनीक वैक्सीन, इमरजेंसी ड्रग्स तथा सर्जिकल उपकरणों की आपूर्ति में भी उपयोगी हो सकती है। इससे ग्रामीण व दूरगामी क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाना सरल हो जाएगा।

आईसीएमआर तथा साझेदार संस्थाओं की यह पहल, निस्संदेह, आने वाले वर्षों में स्वास्थ्य वितरण प्रणाली में बड़ा बदलाव लाएगी। निश्चय ही, प्रत्येक क्षेत्र में नित्य नई क्रांति ला रहे ड्रोन हमारे काम करने के तरीके बदलकर असंभव को संभव बना रहे हैं।

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