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नई रंगीन दुनिया के लिए नया चश्मा

तिरछी नज़र
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सहीराम

बस जी, बुढ़ापे में किसी चंपक चाचा का चश्मा न टूटे। कई बार तो दिल्ली तक दौड़ के आना पड़ता है चश्मा बनवाने के लिए। इलाज के लिए दिल्ली पहुंचने, कुर्सी के लिए दिल्ली पहुंचने की बात तो समझ में आती है, लेकिन किसी चंपक चाचा को अगर चश्मा बनवाने के लिए दिल्ली आना पड़ रहा है तो विश्व गुरु बनने से पहले बुजुर्गों के चश्मों पर ध्यान दिया जाना चाहिए। वैसे राजनीति में कई तरह के चश्मे होते हैं जी। कुर्सी तक नजर न जा रही हो तो कई बार नेता लोग जाति का चश्मा पहन लेते हैं और कई बार धर्म का। उसके बाद कुर्सी एकदम साफ नजर आने लगती है।

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नेता लोग कई बार चश्मा बदल भी लेते हैं। इसे अक्सर दलबदल बोल दिया जाता है। पर पाला बदल तो अवश्य ही होता है। कई बार चश्मा ऐसा होता है कि सच्चाई नजर ही नहीं आती। यह दिक्कत सत्ता के चश्मे के साथ अक्सर रहती है। लोग सलाह देने लगते हैं कि भाई चश्मा उतार कर देखो जरा। बल्कि इस पर तो एक फिल्मी गीत भी है-चश्मा उतारो, फिर देखो यारो, दुनिया नयी है, चेहरा पुराना। नेता अगर ज्यादा मीन मेख निकाल रहा हो तो विरोधी कह देते हैं- अपना चश्मा उतारो, फिर देखो।

आंख में जाला आ जाए तो ऑपरेशन तो कराना ही पड़ता है, बल्कि चश्मा भी नया लेना पड़ता है। लेकिन चंपक चाचा के साथ पता नहीं क्या हुआ कि चश्मे के लिए उन्हें दिल्ली आना पड़ा। हो सकता है उनका चश्मा टूट गया हो। विश्वास टूटने, मोहभंग होने की बात तो वे कर ही रहे हैं, पर चश्मा टूटा होगा यह पता नहीं। कई बार चश्मा छूट जाता है। कहीं रख दिया, भूल गए और वहीं छूट गया। चंपक चाचा की खटिया तो छूट गयी, यह तो पूरा गांव जानता है लेकिन चश्मे का पता नहीं कि वह वहीं खटिया पर छूटा या उन्होंने उठा लिया था। अगर उठा लिया होता तो दिल्ली क्यों आना पड़ता। हो सकता है उन्होंने जान-बूझकर ही चश्मा उतार फेंका हो कि बहुत पुराना हो लिया, अब नया लेते हैं। कही दिल में दबी इच्छा बलवती हो गयी हो।

बुढ़ापे में दिल भी बच्चा हो जाता है जी। बल्कि कईयों का तो जवान भी हो जाता है। चंपक चाचा के दिल्ली आने पर कुछ मनचलों ने चाचा से मजाक भी कर दिया- कहो चचा दिल्ली कैसे। चचा बोले- हम तो यहां बच्चों के पास चश्मा बनवाने आए हैं। लेकिन उन्होंने यह नहीं बताया कि भतीजे ने पुराने चश्मे का क्या किया- तोड़ दिया, फेंक दिया, गुमा दिया, क्या किया। अब पता चल रहा है कि चंपक चाचा को नया चश्मा मिल रहा है। हो सकता है जाला हटाकर मिल रहा हो। हो सकता है चाचा को उससे दुनिया ज्यादा रंगीन नजर आए।

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