नशीली दवाओं के दुरुपयोग से आज पूरा विश्व चिंतित व प्रभावित है और जहां तक भारत का प्रश्न है, यहां यह समस्या गंभीर रूप धारण कर चुकी हैै। इसके दुष्प्रभाव से सरकार, समाज व आम आदमी परेशानी का सामना कर रहा है। नशे से ज़्यादा प्रभावित राज्यों में मणिपुर, केरल, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, गोवा, हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, बिहार, हरियाणा तथा पंजाब शामिल हैं। नशेड़ियों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती चली जा रही है। उन्हें शारीरिक, मानसिक, सामाजिक तथा आर्थिक पहलुओं से भारी नुकसान उठाना पड़ता है। फिर भी वे इस लत से छुटकारा नहीं पाना चाहते।
देखने में आया है कि अवैध ड्रग्स का प्रयोग अक्सर 15 से 75 वर्ष के आयु वर्ग द्वारा किया जाता है। आज तक डॉट इन के अनुसार, ‘भारत में 2018 में दर्ज किया कि ओपिओइड का इस्तेमाल करने वालों की संख्या क़रीब 2.3 करोड़ है, यह संख्या चौदह सालों में पांच गुना बढ़ी है। इस दौरान हेरोइन की खपत में अधिकतम वृद्धि दर्ज की गई, 2004 में अफीम का इस्तेमाल करने वालों की संख्या (20,000), हेरोइन लेने वालों की (9,000) की तुलना में दोगुनी थी। क़रीब 12 साल बाद यह रुझान उलट गया और हेरोइन यूज़र्स की संख्या 2.5 लाख हो गई।’ नारकोटिक्स कन्ट्रोल ब्यूरो के महानिदेशक के अनुसार, पिछले पांच वर्षों में देश में पकड़ी गई हेरोइन में काफ़ी बढ़ोतरी हुई है। वर्ष 2017 में 2146 किलोग्राम से बढ़कर 2021 में 7282 किलोग्राम हो गई। लगभग 300 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई । इसी समय के दौरान अफीम 2551 किलोग्राम से 4386 किलोग्राम यानी कि 172 प्रतिशत बढ़ी।
इन मादक पदार्थों का उपयोग अमीर परिवारों के युवाओं, ग्रामीण क्षेत्रों के छात्रों के अलावा महिलाओं और समाज के विभिन्न वर्गों के लोगों द्वारा किया जाता है। ज्यादातर अमीरजादे नशा करने के लिए बड़ी-बड़ी पार्टियों के आयोजन में हिस्सा लेते हैं, जिसे रेव पार्टी के नाम से पुकारा जाता है।
नि:संदेह नशीले पदार्थों के सेवन से शारीरिक कमजोरी बढ़ती है, सस्ते नशे की वजह से कैंसर जैसी भयानक बीमारी का सामना करना पड़ता है। वैसे ड्रग्स से पीछा छुड़ाना आसान कार्य नहीं है बल्कि यह कई बार तो इतना ख़तरनाक होता है कि अगर ज़बरदस्ती से इसकी लत को छुड़वाने की कोशिश की जाए तो यह नशेड़ी की मौत का कारण भी बन जाती है।
नशा मुक्ति में परिवार की भूमिका अति आवश्यक तथा महत्वपूर्ण होती है। यदि परिवार अपने बच्चों की ऐसी गतिविधियों पर नज़र न रखें तो धीरे-धीरे वे बच्चे बुरी संगत में पड़ सकते हैं और अपने साथियों के साथ मिलकर छोटे-छोटे नशे करने का प्रयास करने लगते हैं। ऐसे में परिजनों को चाहिए कि अपने बच्चे के साथ समय बिताएं तथा अच्छे संस्कार दें। उसकी दिनचर्या अनुशासित व नियमित करने के लिए कदम उठाए जाएं। समय -समय पर मनोवैज्ञानिकों व मनोचिकित्सकों से संपर्क कर उसकी काउंसलिंग कराई जाए। आवश्यकता पड़ने पर उसे अच्छे नशा मुक्ति केंद्र में भर्ती कराया जाए जहां उसका पूर्ण रूप से इलाज हो। उसको कभी अकेला न छोड़ा जाए तथा जब कभी वह अकेला महसूस करे तो अच्छे लोगों से संपर्क कराया जाए जो उसमें अच्छे गुण पैदा करने में योगदान दें।
समुदाय की सक्रिय भूमिका नशे से निजात दिलवाने में ज़रूरी है क्योंकि इसमें समस्त समाज, अधिकारी तथा कर्मचारी सभी शामिल हैं। सभी के साथ व सहयोग से नशे उपलब्ध कराने वालों पर सख्त नज़र रखते हुए तुरंत कार्रवाई करवाने या करने में पूर्ण सहयोग देना चाहिए। स्वयंसेवी संगठनों, धार्मिक संस्थाओं, सिविल सोसायटियों, ग़ैर-सरकारी संगठनों, पंचायतों व शहरी निकायों के प्रतिनिधियों, युवा क्लबों, विद्यार्थी संगठनों, शिक्षकों, आंगनवाड़ी कर्मचारियों, नेहरू युवा क्लबों, मानव कल्याण समितियों, खाप पंचायतों तथा सरकारी कर्मचारियों को नशा मुक्ति अभियान में तन, मन, धन से योगदान देना चाहिए।
नशे के प्रयोग पर रोक लगाने के लिए जागरूकता पैदा करनी आवश्यक है। सामुदायिक रूप से सभी यह प्रण लें कि वह न तो स्वयं नशा करेंगे और न ही अन्य किसी और को इसको करने की इजाज़त देंगे। इससे सब अपनी-अपनी छवि साफ़-सुथरी बना सकेंगे और शेष लोगों के लिए प्रेरणा के स्रोत बन सकेंगे। समुदाय को आर्थिक सहयोग देने के लिए भी आगे आना चाहिए ताकि चल रहे नशा मुक्ति केंद्रों को समृद्ध बनाया जा सके। सरकारी सहयोग से धीरे-धीरे करके नशामुक्त क्षेत्रों की घोषणा की जाए और अमलीजामा पहनाया जाए। पीड़ितों के पुनर्वास के लिए उचित कौशल पैदा कर ऐसी व्यवस्था की जाए कि वे अपने पांवों पर फिर से खड़े हो सकें। कानूनों को सख्ती से लागू करने में पूर्ण सहयोग सत्यनिष्ठा से दिया जाए। इसकी अवहेलना करने वालों को सबक़ सिखाया जाए ताकि वह ऐसी गलती दोबारा न करें। जो व्यक्ति नशा छोड़ अपनी ज़िंदगी में सही रास्ते पर आ चुके हैं उनको नशा प्रभावित लोगों को नशा छोड़ने या मुक्ति पाने के ढंग व विधियां सिखाकर अभिप्रेरित करना चाहिए। ऐसे व्यक्तियों को विशेष समारोह आयोजित कर सम्मानित किया जाना चाहिए ताकि वे दूसरों के लिए मिसाल बन सकें।