दिवाली आई और चली गई। अनंत दीपों और लड़ियों के प्रयास के बाद भी अन्धेरा टस से मस नहीं हुआ। दिवाली का जाना यूं लगा जैसे चुनाव जीतने के बाद किसी नेता का विजय जुलूस आये और जिन्होंने उसे विजयी बनाया, उनके जीवन में बिना कोई बदलाव लाये सिर्फ शोरशराबा करके चला जाये। दिवाली के बाद भी मुंडेर पर बैठे कुछ दीयों को देखकर स्मरण आ रही हैं दो पंक्तियां :-
ज़रा अदब से उठाना इन बुझे दीयों को,
इन्होंने कल रात सबको रोशनी दी थी।
पता नहीं चल पा रहा कि दीये अपनी ताकत खो चुके हैं। रोशनी हो ही नहीं रही या हमारे चक्षु शक्तिहीन हो गये हैं कि रोशनी को देख ही नहीं पा रहे। दरअसल जितना अन्धेरा बाहर है, उससे कई गुणा अन्धकार हमारे भीतर आलथी-पालथी मारे बैठा है। इस अन्धेरे को भगाने के लिये एक दीप मन के अन्दर प्रज्वलित करना होगा पर वह क्षमता हम में नहीं है क्योंकि हम मानने को ही तैयार नहीं हैं कि हमारे भीतर भी अंधेरा है।
जिस तरह राजनीति में नीति के बीज बोना अभी बाकी है, उसी तरह हमारे भीतर एक दीया जलाना अभी शेष है। एक ऐसा दीप रोशन करने की भी सख्त जरूरत है, जिसकी लौ में हम अपने मनचाहे रंग भर सकें। उम्मीदों का दीप एक ऐसी ऊर्जा है, जिससे जीवन के किसी भी अंधेरे हिस्से को रोशन किया जा सकता है, इसलिये उम्मीद का दीप सदैव प्रज्वलित रहे।
बैंकाक-सिंगापुर जाकर या फिल्मी हीरो के साथ दिवाली मनाने की बजाय प्रधानमंत्री के दुर्गम मोर्चों पर डटे सैनिकों के साथ दिवाली मनाने से निःसन्देह कुछ नयी तरह की रोशनी प्रस्फुटित हुई है। मनोबल, विश्वास और सहयोग की यह रोशनी सदैव कायम रहे। पर पटाखों ने एक बार फिर हवा में ज़हर घोल दिया है। हमारी हवाओं की अब किसे फिक्र है, लोग अपनी हवा बनाने में जुटे हैं। ऐसे भी दीवाने हैं, जिनके ज़हन में पटाखे और फुलझड़ी शब्द सुनते ही लड़कियों की आकृतियां बनने लगती हैं। उन्हें खासतौर पर दिमागी रोशनी की जरूरत है।
आशीष-दीप भी हमेशा प्रज्वलित रहने चाहिये क्योंकि उनकी रोशनी से किसी बैल के गले में बंधी घंटियों के रुनझुन-सा स्वर सुनाई देता है। यह रोशनी आवाज़ देती हुई प्रतीत होती है कि दीप सिर्फ अपने लिये नहीं जलाने बल्कि ज़रूरतमंदों और राहों में भटके लोगों के लिये भी दीये रोशन करने हैं।
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एक बर की बात है अक नत्थू अपणे ढब्बी तै बताण लाग्या कै दीवाली पै उसनैं एक रॉकेट चलाया जो सीधा सूरज तै टकरा ग्या। दोस्त बोल्या-फेर के होया? नत्थू नैं बताई अक फेर कसूती पिटाई होई। किस नै करी के जवाब मैं नत्थू बोल्या-सूरज की मां नै।