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अंतरिक्ष में वर्चस्व के लिए लग्रेंज बिंदुओं पर दावे

मुकुल व्यास अंतरिक्ष अन्वेषण में लग्रेंज बिंदुओं के बढ़ते महत्व को देखते हुए भविष्य में इन स्थानों पर आधिपत्य कायम करने के लिए अंतरिक्ष की बड़ी शक्तियों में होड़ लग सकती है। फ्रेंच-इटालियन खगोलशास्त्री और गणितज्ञ जोसेफ-लुई लग्रेंज के नाम...
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मुकुल व्यास

अंतरिक्ष अन्वेषण में लग्रेंज बिंदुओं के बढ़ते महत्व को देखते हुए भविष्य में इन स्थानों पर आधिपत्य कायम करने के लिए अंतरिक्ष की बड़ी शक्तियों में होड़ लग सकती है। फ्रेंच-इटालियन खगोलशास्त्री और गणितज्ञ जोसेफ-लुई लग्रेंज के नाम पर रखे गए इन स्थानों का खगोलीय पिंडों के अध्ययन और अवलोकन के लिए विशेष महत्व है। अंतरग्रहीय अंतरिक्ष में लग्रेंज प्वाइंट ऐसे स्थान हैं जहां सूर्य और पृथ्वी जैसी दो पिंड प्रणालियों के गुरुत्वाकर्षण बल आकर्षण और प्रतिकर्षण के उन्नत क्षेत्र उत्पन्न करते हैं। इनका उपयोग अंतरिक्ष यान द्वारा स्थिति में बने रहने के लिए आवश्यक ईंधन की खपत को कम करने के लिए किया जा सकता है। ये ऐसे स्थान हैं जहां दो खगोलीय पिंडों (जैसे पृथ्वी और सूर्य) का गुरुत्वीय खिंचाव एक छोटी वस्तु को उनके बीच स्थिर रूप से परिक्रमा करने के लिए आवश्यक सेंट्रिपेटल फोर्स को संतुलित करता है।

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इस गणितीय समस्या को ‘जनरल थ्री-बॉडी प्रॉब्लम’ के नाम से जाना जाता है। जोसेफ लग्रेंज ने 1772 में अपने पुरस्कृत पेपर में इस समस्या पर विस्तार से चर्चा की थी। ध्यान रहे कि सूर्य के अध्ययन के लिए भेजा गया भारत का आदित्य एल1 यान 6 जनवरी को लग्रेंज प्वाइंट 1 पर तैनात किया गया है। सूर्य और पृथ्वी-चंद्रमा सिस्टम में पांच अलग-अलग प्वाइंट हैं, जिन्हें एल1 से एल5 तक लेबल किया गया है। एल4 और एल 5 सूर्य के चारों ओर अपने कक्षीय पथ पर पृथ्वी (चंद्रमा सहित) से 60 डिग्री आगे और पीछे निश्चित स्थान पर स्थित हैं। यह स्थिरता उन्हें उपग्रहों और दूरबीनों के लिए आदर्श ‘पार्किंग’ स्थान बनाती है।

चंद्रमा के अदृश्य हिस्से को देख सकने के कारण एल2 विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। हम चंद्रमा के इस भाग को पृथ्वी से नहीं देख सकते। अंतरिक्ष यान अपनी स्थिति को एडजस्ट करने के लिए अधिक ईंधन की आवश्यकता के बिना इन क्षेत्रों में लंबे समय तक रह सकता है। इससे हमारे ग्रह और चंद्रमा का निरंतर अवलोकन किया जा सकता है। यहां से पृथ्वी के मौसम पैटर्न का अध्ययन करने के लिए एक आदर्श बिंदु मिलता है। वायुमंडलीय हस्तक्षेप की कमी और चंद्रमा से एल1 और एल2 की निकटता इन स्थानों को आदर्श पार्किंग स्थल भी बनाती है। जब अंतरिक्ष अनुसंधान, संचार और निगरानी की बात आती है तो जो कोई भी इन स्थानों को नियंत्रित करेगा, उसे महत्वपूर्ण लाभ मिलेगा।

सूर्य के दृष्टिकोण से, एल 2 पृथ्वी से 15 लाख किलोमीटर पीछे है। यह पृथ्वी के समान गति से सूर्य की परिक्रमा करता है, लेकिन चंद्रमा से लगभग चार गुना अधिक दूर है। पृथ्वी के परिप्रेक्ष्य से चंद्रमा के पीछे, एल2 गहरे अंतरिक्ष का अबाधित दृश्य प्रदान करता है। यही वजह है कि जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप को यहां तैनात किया गया है। चीन ने पहले ही अपने चांगई 4 रोबोटिक यान से संचार के लिए एल2 पर चेचोव रिले उपग्रह भेज दिया है। ध्यान रहे कि चांग’ई 4 चंद्रमा के सुदूर हिस्से पर उतरने वाला पहला अंतरिक्षयान है। अमेरिका की नजर भी एल2 पर है, जहां उसने लूनर गेटवे जैसे मिशन की योजना बनाई है। लूनर गेटवे एक छोटा अंतरिक्ष स्टेशन होगा। यह चंद्रमा की परिक्रमा करने वाली एक बहुउद्देशीय चौकी के रूप में कार्य करेगा और चंद्रमा की सतह मिशनों के लिए आवश्यक सहायता प्रदान करेगा। लूनर गेटवे अंतरिक्ष अन्वेषण के लिए एक मंच के रूप में भी कार्य करेगा। नासा गेटवे स्थापित करने के लिए वाणिज्यिक और अंतर्राष्ट्रीय भागीदारों के साथ काम कर रहा है।

एल 3 प्वाइंट हमेशा सूर्य के पीछे छिपा हुआ रहता है। अंतरिक्ष में सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण क्षेत्रों में चीन के बढ़ते कदमों से अमेरिका काफी विचलित है। अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की एक समिति ने हाल ही में अपनी एक रिपोर्ट में कहा कि बहुपक्षीय अंतरिक्ष प्रशासन में प्रभुत्व स्थापित करने, वैज्ञानिक खोज करने और अमेरिकी नवाचार को बढ़ावा देने के उद्देश्य से अंतरिक्ष क्षेत्र में कमांड और नियंत्रण सुनिश्चित करने के लिए नासा और संबंधित रक्षा विभाग की फंडिंग महत्वपूर्ण है। इन सिफारिशों में शामिल क्षेत्र व्यापक हैं, लेकिन अंतरिक्ष के संबंध में एक सुझाव सबसे महत्वपूर्ण था। रिपोर्ट के अनुसार अमेरिकी कांग्रेस को नासा और रक्षा विभाग के उन कार्यक्रमों को फंड करना चाहिए जो अंतरिक्ष में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की ‘कुत्सित महत्वाकांक्षाओं’ का मुकाबला करने के लिए महत्वपूर्ण है। यह भी सुनिश्चित करना होगा कि अमेरिका सभी लग्रेंज बिंदुओं पर स्थायी रूप से संपत्ति तैनात करने वाला पहला देश हो।

पिछले कुछ वर्षों में चीन का अंतरिक्ष कार्यक्रम काफी आगे बढ़ चुका है। चांग’ई 5 चंद्र नमूना वापसी मिशन और चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर आगामी चांग’ई 6 मिशन उसके बड़े कदमों के दो उदाहरण हैं। चीन का चेंगगोंग अंतरिक्ष स्टेशन चालू है। चीन को निकट भविष्य में चंद्रमा पर अंतरिक्ष यात्री भेजने की भी उम्मीद है। अमेरिकी समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी अंतरिक्ष-आधारित संचालन की आवश्यकता को अच्छी तरह से समझती है और इस क्षेत्र में अमेरिकी प्रभुत्व को चुनौती देने के लिए जबरदस्त अंतरिक्ष क्षमताओं का विकास कर रही है। अमेरिका व चीन गहरे अंतरिक्ष अन्वेषण के लिए प्रौद्योगिकियां भी विकसित कर रहे हैं, जिनमें पृथ्वी-चंद्रमा सिस्टम के लग्रेंज प्वाइंट्स का इस्तेमाल मंगल और उससे आगे के पड़ाव के लिए मिशन भेजने के लिए किया जाएगा।

अंतरिक्ष अन्वेषण में अमेरिका और चीन के बीच चल रही प्रतिस्पर्धा के अलावा, अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन जैसी परियोजनाओं में कई देशों के बीच सहयोग भी है, जो ब्रह्मांड के बारे में हमारी समझ को आगे बढ़ाता है। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की भी लग्रेंज बिंदुओं में रुचि है। यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी जैसे संगठन इन रणनीतिक स्थानों पर अपने स्वयं के मिशन विकसित कर रहे हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि अंतरिक्ष अन्वेषण को आगे बढ़ाने के लिए लग्रेंज बिंदुओं का उपयोग कैसे किया जाता है।

लेखक विज्ञान मामलों के जानकार हैं।

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