राजीव सक्सेना
हमारे देश और इस दुनिया में खान-पान, वेशभूषा आदि को लेकर जितनी विविधताएं हैं, उतने ही रहस्य भी हैं। कुछ रहस्य जिनका खुलासा नहीं हो पाया। कुछ रहस्य मानव निर्मित भी हैं और कुछ के बारे में जानने की सतत कोशिशें जारी हैं। कुछ बातें ऐसी भी हैं जो वर्षों से हैं, लेकिन ज्यादातर लोगों को इसकी जानकारी ही नहीं।
दक्षिण भारत में तमिलनाडु राज्य के दक्षिणी भाग में स्थित चेट्टीनाड में कार्यरत फ्रांसीसी वास्तुकार बर्नार्ड ड्रैगन का कहना था कि चेट्टियार अपने भाई, चचेरे भाई, पड़ोसी आदि से होड़ में रहते थे, कि वे दूसरों से बेहतर सुंदर इमारत बना सकें। लेकिन इस क्षेत्र में निर्मित लगभग 11,000 महलों में से कई अब जीर्ण-शीर्ण हो चुके हैं। महलों और हवेलियों के वर्तमान मालिक अपने रखरखाव का खर्च वहन करने में असमर्थ हैं या स्वामित्व विवादों में फंसे हुए हैं।
चेट्टीनाड की पारंपरिक राजधानी और सबसे बड़ा शहर कराईकुडी है। चेट्टीनाड नट्टुकोट्टई चेट्टियार या नागरथर का घर है, जो एक समृद्ध व्यापारिक और बैंकिंग समुदाय है। जिसके कई सदस्य 19वीं शताब्दी और 20वीं शताब्दी के प्रारंभ में सीलोन और दक्षिण पूर्व एशिया (विशेष रूप से बर्मा, मलाया और वियतनाम) में प्रवास कर गए थे। आज चेट्टीनाड समुदाय के लोग संयुक्त राज्य अमेरिका, सिंगापुर और मलेशिया सहित अन्य स्थानों पर रह रहे हैं।
चेट्टीनाड अपने व्यंजनों, सुंदर हवेलियों और मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है। यहां आने वाले पर्यटक इन हवेलियों और मंदिरों को देखते हैं। 19वीं शताब्दी के मध्य से, चेट्टियार व्यापारियों ने एशिया में अपनी आर्थिक गतिविधियों से एकत्रित धन का उपयोग करके इस क्षेत्र में महलों का निर्माण किया। यहां के बहुत से महल खाली हो चुके हैं, अभी भी उनके वंशजों के पास हैं। इनका रखरखाव महंगा होता है, इसलिए कुछ को तोड़कर उन निर्माण सामग्रियों के बदले बेच दिया जाता है जिनसे वे बने होते हैं। दो फ्रांसीसी वास्तुकारों, बर्नार्ड ड्रैगन और मिशेल एडमेंट ने 2000 के दशक के प्रारंभ में एक गैर-सरकारी संगठन बनाया, ताकि तमिलनाडु सरकार के साथ उनके संरक्षण की वकालत की जा सके। अनेक फिल्म निर्माताओं को भी यहां के महल और उनमें छिपी कहानियों के प्रति रुचि जगाई है। वैसे महलों के ये वारिस इन्हें संजोने में जुटे ही हैं।
साभार : आगरा समाचार डॉट कॉम