अभीश्री विठलानी
सफलता न मिलने का कारण निश्चित मार्ग न चुनना होता है। कई बार ऐसा होता है कि हम मेहनत तो करते हैं, पर फिर भी हमें सफलता नहीं मिलती। यह कहानी ‘निश्चित मार्ग’ चुनो भी उसी के बारे में है। एक लड़के ने एक दिन एक बहुत ही धनवान व्यक्ति को देखकर धनवान बनने का निश्चय लिया। अब उस लड़के का सिर्फ एक ही लक्ष्य था कि उसे पैसे कमाने हैं और धनवान बनना है। वह लड़का कई दिनों तक मेहनत करता रहा और धन कमाने के पीछे भागता रहा। उसने अपनी मेहनत से बहुत सारा पैसा कमा किया। इसी बीच, उस लड़के की मुलाकात एक संगीतज्ञ से हो गयी और अगले ही दिन वह लड़का धन कमाना छोड़ देता है और संगीत सीखना शुरू कर देता है। वह लड़का अभी अच्छे से संगीत सीखा भी नहीं था कि उसकी मुलाक़ात एक विद्वान से होती है। विद्वान के चेहरे पर चमक देखकर वह आश्चर्यचकित हो जाता है।
अब उस लड़के को विद्वान बनने की इच्छा हो रही थी। उस लड़के ने तुरंत तय कर लिया कि अब तो मुझे विद्वान ही बनना है। अभी तो वह ठीक से संगीत सीखा भी नहीं था कि उसने संगीत सीखना छोड़ दिया और अक्षर ज्ञान लेना शुरू कर दिया। इसी तरह उस लड़के की काफी उम्र बीत गयी, न वह धनी बन पाया, न ही संगीतज्ञ और न विद्वान। अंत में उस लड़के को बहुत दुःख होता है। एक दिन उसकी मुलाकात एक महात्मा से होती है। उस लड़के ने महात्मा को अपने दुःख का कारण बताया। महात्मा ने बड़ी शांति से उसकी परेशानी सुनी और मुस्कुराकर बोले, ‘बेटा ये दुनिया बड़ी रंगीन है, तुम जहां भी जाओगे तुम्हें वहां कोई न कोई आकर्षण दिखायी देगा। तुम सिर्फ एक ही निश्चय कर लो और फिर अपनी सारी ज़िंदगी उसी पर अमल करते रहो तो तुम्हें सफलता जरूर मिलेगी। अगर तुमने निश्चित मार्ग नहीं चुना तो तुम इस दुनिया के झमेलों में यूं ही घूमते रहोगे। क्योंकि बार-बार मार्ग बदलते रहने से किसी भी मार्ग में सफलता नहीं मिलती है।’
इस दुनिया में हमें आकर्षित करने के लिए बहुत सारी चीज़े होती हैं। किन्तु उन सब में से हमें हमारा टैलेंट किसमें है, हमें क्या करना अच्छा लगता है? उस चीज़ को ध्यान में रखके आगे बढ़ना चाहिए। क्योकि निश्चित मार्ग न चुनकर और बार-बार मार्ग बदलने से हमें किसी भी मार्ग में सफलता नहीं मिलती है।
साभार : स्टोरीवाली डॉट कॉम