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बड़ी उम्र, बड़े काम

ब्लॉग चर्चा अलकनंदा सिंह तुर्की के छोटे से कस्बे अरलंस्कॉय की 62 साल की दादी मां की इन दिनों पूरे देश में चर्चा हो रही है। इस चर्चा की वजह है- उनके द्वारा शुरू किया गया थियेटर ग्रुप। इस ग्रुप...
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ब्लॉग चर्चा

अलकनंदा सिंह

तुर्की के छोटे से कस्बे अरलंस्कॉय की 62 साल की दादी मां की इन दिनों पूरे देश में चर्चा हो रही है। इस चर्चा की वजह है- उनके द्वारा शुरू किया गया थियेटर ग्रुप। इस ग्रुप में सभी महिलाएं हैं। यह ग्रुप क्लाइमेट चेंज यानी मौसमी बदलाव को लेकर जागरूकता लाने के लिए अलग-अलग जगह पर नाटक का मंचन करता है। इन दिनों ये महिलाएं अपने नए नाटक ‘मदर, द स्काय इज पीयर्स्ड’ की रिहर्सल में व्यस्त हैं। इस महिला थियेटर ग्रुप की प्रमुख उम्मिये कोकाक चाहती हैं कि दुनियाभर में लोग इस समस्या को समझें और गंभीरता से लें।

कोकाक के काम को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी पहचाना जाता है। अनेक देशों में इस ग्रुप की चर्चा होती है। वर्ष 2013 में तुर्की की इन महिलाओं पर बनी फिल्म के लिए न्यूयॉर्क फेस्टिवल में अवॉर्ड भी मिला था। कोकाक फुटबॉलर क्रिस्टिआनो रोनाल्डो के साथ एड कर चुकी हैं। यानी इन बातों से इस ग्रुप की महत्ता और पॉपुलरटी के बारे में समझा जा सकता है। हालांकि, चर्चा व्यापक स्तर या सभी जगह नहीं हो पायी। कोकाक के मुताबिक, ‘क्लाइमेट चेंज सिर्फ उनके कस्बे की नहीं, बल्कि पूरी दुनिया की समस्या है। मैं इस समस्या को लेकर जितनी जोर से आवाज उठा सकती हूं, उठाऊंगी। ये दुनिया हमारी भी है। इसे बेहतर देखभाल की जरूरत है।’

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दरअसल, कोकाक इससे पहले भी नाटक लिखती रही हैं। उनके नाटकों का उद्देश्य धारणाओं को बदलना रहता है। इससे पहले उन्होंने गरीबी, अल्जाइमर रोग, घरेलू हिंसा जैसे मुद्दों पर नाटक लिखे हैं। तुर्की के टीवी ड्रामा पर इनकी खासी चर्चा हुई है। कोकाक का अरलंस्कॉय आना शादी के बाद हुआ। वहां पर उन्होंने देखा कि महिलाएं घर और खेतों में बराबरी से काम करती हैं। उन्हें लगा कि यह ठीक नहीं है, इन महिलाओं की बात सुनी जानी चाहिए। वो काफी समय से इस पर काम कर थी। थियेटर ग्रुप इसी का नतीजा है। गांव में कोई हॉल या सेट तो था नहीं, इसलिए कोकाक ने घर के गार्डन में ही रिहर्सल शुरू करवा दी। कहते हैं न कि कोई भी अच्छी शुरुआत स्वयं से होती है। तभी प्रयास सफल भी होते हैं। सुविधाओं का रोना तो कोई भी रो सकता है, लेकिन यहां ऐसा नहीं हुआ।

धीरे-धीरे इस ग्रुप की चर्चा पूरे तुर्की में फैल गई। अब लोग इन दादी-नानियों को स्थानीय स्तर पर नाटक मंचन के लिए बुलाने लगे हैं। सोशल मीडिया पर उनके वीडियो खूब शेयर हो रहे हैं। ऐसे ग्रुप विस्तारित होने चाहिए। मंचन के जरिये मुद्दों को उठाने का यह प्रयास सराहनीय है।

साभार :अब छोड़ो भी डॉट ब्लॉगस्पॉट डॉट कॉम

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