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आपकी आवाज भी कह रही है- अब मुझे आराम चाहिए...

पीजीआई के ईएनटी विभाग में हर महीने पहुंच रहे 900 मरीज
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पीजीआई में जानकारी देतीं ईएनटी विभाग की प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष डॉ. जैमंती बख्शी और एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. बनुमति एन। -दैनिक ट्रिब्यन
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विवेक शर्मा/ट्रिन्यू

चंडीगढ़, 9 अप्रैल

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क्या आपकी आवाज भी थकने लगी है? क्या बोलते हुए जल्दी थकान महसूस होती है या गले में भारीपन रहता है? अगर हां, तो यह केवल साधारण थकान नहीं, बल्कि एक गंभीर चेतावनी हो सकती है। पीजीआई चंडीगढ़ के ईएनटी विभाग ने विश्व वाणी दिवस (16 अप्रैल) के अवसर पर लोगों को अपनी आवाज़ की देखभाल करने का संदेश दिया है। इस वर्ष की थीम है - ‘एम्पावर योर वॉइस’ यानी अपनी आवाज को सशक्त बनाएं। विभाग ने एक संवेदनशील अपील की है कि अपनी आवाज़ को भी थोड़ा आराम दो, वरना एक दिन वह भी खामोश हो सकती है। पीजीआई में ओटोलरींगोलॉजी की विभागाध्यक्ष डॉ. जैमंती बख्शी के अनुसार पीजीआई की ओपीडी में हर दिन औसतन 900 मरीज पहुंचते हैं, जिनमें से 8 से 10 मरीज आवाज संबंधी विकारों से ग्रस्त होते हैं। डॉ. जैमंती बख्शी कहती हैं कि वाणी केवल ध्वनि नहीं, यह जीवन का माध्यम है। इसे हल्के में लेना, खुद को चुप करने जैसा है। विशेषज्ञों का कहना है कि लगातार बोलते रहना, मानसिक तनाव, मोबाइल का अत्यधिक इस्तेमाल और शोरगुल वाले माहौल में संवाद करना हमारी आवाज़ पर नकारात्मक असर डालते हैं। ये आदतें धीरे-धीरे गले को नुकसान पहुंचाती हैं और आवाज़ को कमजोर करती जाती हैं।

नजरअंदाज न करें ये लक्षण

आवाज का बार-बार बैठना, गले में भारीपन या जलन, बोलने में थकान, आवाज का टूटना या फटना, गले में कुछ फंसा महसूस होना

सबसे ज्यादा खतरे में हैं ये पेशेवर

शिक्षक, गायक, कॉल सेंटर कर्मचारी, नेता, धार्मिक प्रवक्ता आदि, जिन्हें पेशेवर रूप से अधिक बोलना पड़ता है, वे सबसे ज्यादा खतरे में हैं। बिना देखभाल के ये विकार स्थायी भी हो सकते हैं।

कैसे करें आवाज़ की देखभाल

दिनभर खूब पानी पिएं, शोरगुल वाली जगहों पर ज़ोर से न बोलें, अधिक बोलने के बाद ‘वॉयस रेस्ट’ जरूर लें, गला बार-बार न खंखारें, धूम्रपान, शराब और तंबाकू से दूर रहें।

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