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नई शिक्षा नीति पर पीयू के एफिलिएटिड कालेजों की कार्यशाला

महाविद्यालयों के 135 प्राचार्यों -शिक्षकों ने लिया भाग

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पंजाब विश्वविद्यालय में आयोजित एफिलिएटिड कालेजों की कार्यशाला की अध्यक्षता करते डीन रिसर्च प्रो. मीनाक्षी गोयल, डीसीडीसी प्रो. संजय कौशिक व अन्य।
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चंडीगढ़, 20 मई (ट्रिन्यू)

‘पंजाब विश्वविद्यालय से संबद्ध कालेजों में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के सहज कार्यान्वयन’ पर एक कार्यशाला आज पंजाब विश्वविद्यालय के राजीव गांधी कॉलेज भवन में आयोजित की गई। इस कार्यक्रम का आयोजन डीन कॉलेज डेवलपमेंट काउंसिल (डीसीडीसी) द्वारा किया गया। कार्यशाला में पीयू से संबद्ध विभिन्न महाविद्यालयों के 135 प्राचार्यों और शिक्षकों ने भाग लिया। डीसीडीसी प्रो. संजय कौशिक ने कॉलेजों में एनईपी के पहले वर्ष के सफल कार्यान्वयन में सभी हितधारकों, विशेष रूप से प्राचार्यों और शिक्षकों के योगदान को रेखांकित किया। उन्होंने आशा जताई कि स्नातक स्तर पर एनईपी के दूसरे, तीसरे और चौथे वर्ष का कार्यान्वयन भी बिना किसी बाधा के संपन्न होगा।

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रिसर्च एंड डेवलपमेंट सेल की निदेशक प्रो. मीनाक्षी गोयल ने पीयू द्वारा नई शिक्षा नीति को अपनाने के प्रयासों की सराहना की और कहा कि यह शिक्षा में सुधार की दिशा में एक बड़ा कदम है। उन्होंने कहा कि एनईपी 2020 का उद्देश्य शिक्षा को अधिक लचीला, व्यावहारिक और भारतीय मूल्यों से जुड़ा बनाना है। एनईपी समन्वयक प्रो. अनिल मोंगा ने अपने संबोधन की शुरुआत एक प्रेरणादायक विचार के साथ की ‘शिक्षा सबसे शक्तिशाली हथियार है, यदि हम समाज में कोई भी बदलाव लाना चाहते हैं।’ उन्होंने नई शिक्षा नीति के विभिन्न पहलुओं-संरचनात्मक सुधारों, क्रेडिट प्रणाली और मूल्यांकन मॉडलों-पर विस्तार से प्रस्तुति दी। प्रो. लतिका शर्मा ने उच्च शिक्षा को अधिक व्यावहारिक और छात्र-केंद्रित बनाए जाने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि कई कॉलेजों में सीटें खाली रह जाती हैं क्योंकि पाठ्यक्रम छात्रों की रुचियों या करियर लक्ष्यों से मेल नहीं खाते। उन्होंने लचीले पाठ्यक्रम विकल्पों, इंटर्नशिप जैसी वास्तविक जीवन की ट्रेनिंग और शिक्षकों तथा छात्रों के बीच बेहतर संवाद की वकालत की जिससे आजीवन सीखने की भावना को बढ़ावा दिया जा सके।

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