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‘नजारे अच्छे दिनों के हमें यूं दिखने लगे हैं, दुकानों पर आजकल गांव आकर बिकने लगे हैं’

साहित्यिक रंग में रंगा पंचकूला
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पंचकूला के ब्रीलियंस वर्ल्ड स्कूल सेक्टर 12 में शनिवार को आयोजित पुस्तक लोकार्पण और मुशायरा। -हप्र
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एस. अग्निहोत्री/हप्र

पंचकूला, 28 दिसंबर

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‘नजारे अच्छे दिनों के हमें यूं दिखने लगे हैं, दुकानों पर आजकल गांव आकर बिकने लगे हैं।’ हिमाचल के शायर कार्तिक की इन पंक्तियों से पंचकूला के ब्रीलियंस वर्ल्ड स्कूल का सभागार गूंज उठा, जहां शनिवार को एक भव्य साहित्यिक कार्यक्रम में शायरी और साहित्य की अनूठी परंपरा को जीवंत किया गया। शार्गिदान-ए-हमदम एवं ब्रीलियंस वर्ल्ड स्कूल द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में साहित्यकारों और शायरों का मिलन हुआ, जो साहित्य प्रेमियों के लिए किसी उत्सव से कम नहीं था।

कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार और पूर्व आईएएस अधिकारी विवेक अत्रे ने की। मुख्य अतिथि के रूप में प्रसिद्ध साहित्यकार और पूर्व एडीजीपी हरियाणा राजबीर देसवाल आमिल उपस्थित रहे, जबकि विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉ. अशोक गुप्ता (आई सर्जन) ने मंच की शोभा बढ़ाई।

कार्यक्रम का पहला चरण उर्दू साहित्य के मशहूर नाम बीडी कालिया हमदम की पुस्तक मता-ए-फिक्र के लोकार्पण को समर्पित था। इस पुस्तक में उनके 10 विचारोत्तेजक निबंध संकलित हैं, जो उनकी लेखनी की गहराई और चिंतनशील दृष्टिकोण को दर्शाते हैं। साथ ही, शायर बलबीर तन्हा के पंजाबी गजल-नज्म संग्रह कोई ना पूछदा राहां नूं का भी विमोचन किया गया।

बीडी कालिया हमदम ने हिंदी, उर्दू, पंजाबी और अंग्रेज़ी में अपने लेखन से साहित्य के विविध आयामों को छुआ है। उनकी रचनाएं भारतीय समाज की जटिलताओं और जीवन की गहराइयों को सामने लाती हैं। अपने साहित्यिक योगदान के लिए उन्हें राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर सम्मानित किया गया है।

इसके अलावा, राजबीर देसवाल आमिल ने ‘दर्द बरबस न किसी ढंग झुपाया जाए/तब जरूरी हो हरा जख़्म दिखाया जाए,’ उर्मिला कौशिक सखी ने ‘है अजब दास्तां ये मेरे प्यार की/बाद मुद्दत मिली है खबर यार की’ जैसे शेरों से दिल जीत लिया।

शायरों में वीरेन्द्र शर्मा वीर, सुशील हसरत नरेलवी, राजन सुदामा, पवन मुंतजिर, तिलक सेठी सहित अन्य ने भी अपनी रचनाओं से श्रोताओं को भावविभोर कर दिया। मुख्यातिथि राजबीर देसवाल आमिल ने बी.डी. कालिया हमदम को एक प्रेरणादायक शायर बताते हुए कहा कि उनकी रचनाएं और युवा शायरों को दी गई प्रेरणा साहित्य जगत में मिसाल हैं। उन्होंने कहा, “बी.डी. कालिया हमदम का योगदान न केवल साहित्यिक समृद्धि के लिए बल्कि नई पीढ़ी के लेखकों और शायरों के मार्गदर्शन में भी बेहद अहम है। अंत में, कर्नल बीके तलवार ने सभी प्रतिभागियों और दर्शकों का आभार व्यक्त किया। उन्होंने इस आयोजन को साहित्यिक संवाद और सांस्कृतिक आदान-प्रदान का प्रतीक बताया।

मुशायरे ने जीता दिल

पुस्तक विमोचन के बाद मुशायरे का आयोजन हुआ, जिसमें देशभर से आए शायरों ने अपनी भावनात्मक और गहरी पंक्तियों से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। हिमाचल के कार्तिक ने अपनी गजल से शुरुआत की, जिसके बाद कृष्ण कांत सारथी की पंक्तियां— ‘इश्क में हूँ दर-ब-दर मैं कोई बंजारा न समझे’ ने माहौल को और खुशनुमा बना दिया।

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