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Video एक मां का दर्द : कन्यादान नहीं कर सकी… पर अंगदान ज़रूर किया

 पंजाब के गांव मुंडली, खरड़ की 21 साल की बेटी ज्योति की आखिरी विदाई ने चार ज़िंदगियों को नई रौशनी दी विवेक शर्मा/ट्रिन्यू चंडीगढ़, 9 अप्रैल PGI की एक बेंच पर बैठी मां गीता की आंखों में आंसू लगातार...
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  •  पंजाब के गांव मुंडली, खरड़ की 21 साल की बेटी ज्योति की आखिरी विदाई ने चार ज़िंदगियों को नई रौशनी दी

विवेक शर्मा/ट्रिन्यू

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चंडीगढ़, 9 अप्रैल

PGI की एक बेंच पर बैठी मां गीता की आंखों में आंसू लगातार बह रहे थे—पर वो सिर्फ एक बेटी को खोने के नहीं थे, वो किसी और की बेटी को बचाने की उम्मीद भी थे। उनकी दुनिया उजड़ चुकी थी, लेकिन दिल में एक संकल्प जिंदा था।

उन्होंने कहा—“मैं अपनी बेटी का कन्यादान नहीं कर सकी… पर अंगदान ज़रूर करूंगी। मेरी ज्योति अब भी दूसरों की ज़िंदगी रौशन कर रही है।”

यह कहानी है गांव मुंडली, खरड़ की 21 वर्षीय ज्योति की—जिसकी ज़िंदगी एक सड़क हादसे में थम गई, लेकिन मौत के बाद वो चार अनजान लोगों की आंखों, सांसों और उम्मीदों में जिंदा है।

एक हादसा… जिसने उजाड़ दिया पूरा संसार

4 अप्रैल की सुबह ज्योति ऑटो से अपने काम पर जा रही थी। तभी तेज रफ्तार में आई एक बेकाबू बाइक ने ऑटो को टक्कर मार दी। ज्योति नीचे गिर गई और सिर पर गंभीर चोट आई। उसे तुरंत खरड़ और फिर मोहाली के अस्पतालों में भर्ती कराया गया। हालत नाज़ुक थी, इसलिए उसे PGIMER चंडीगढ़ रेफर किया गया। लेकिन ज़िंदगी और मौत की इस दौड़ में 8 अप्रैल को उसकी सांसे थम गईं।

PGIMER ने किया दुर्लभ 'DCD' अंगदान

ज्योति ब्रेन डेड नहीं थी। ऐसे मामलों में अंगदान आमतौर पर संभव नहीं होता। लेकिन PGIMER के विशेषज्ञ डॉक्टरों ने 'Donation after Circulatory Death (DCD)' तकनीक के माध्यम से यह असंभव भी संभव कर दिखाया।

प्रो. दीपेश केनवर और उनकी टीम ने समय की रेस में जीत हासिल की और ज्योति की दोनों किडनियां दो गंभीर मरीजों को ट्रांसप्लांट कीं, जो वर्षों से डायलिसिस पर थे। वहीं उसकी दोनों आंखें दो लोगों को दुनिया दिखा रही हैं।

“मेरी बहन अब चार घरों में मुस्कुरा रही है”

भाई अभिषेक ने कांपती आवाज़ में कहा—ज्योति बहुत खास थी। वह हमेशा दूसरों की मदद करती थी। अब वो किसी और की आंखों में मुस्कुरा रही होगी, किसी और की सांसों में जी रही होगी।"उसके शब्द भले टूट रहे थे, लेकिन बहन के लिए गर्व छलक रहा था।

निदेशक ने किया इस हौसले को सलाम

PGI के निदेशक प्रो. विवेक लाल ने कहा—यह सिर्फ एक मां का साहस नहीं, पूरे समाज के लिए संदेश है। बेटी को खोने के बाद भी ज़िंदगी देने का फैसला आसान नहीं होता। यह इंसानियत की सबसे बड़ी सेवा है।

PGIMER के चिकित्सा अधीक्षक और ROTTO (North) के नोडल अधिकारी प्रो. विपिन कौशल ने कहा—ज्योति और उसका परिवार समाज के लिए प्रेरणा हैं। यह सिर्फ अंगदान नहीं, बल्कि मानवता की सबसे सुंदर मिसाल है। ऐसे फैसले समाज में उम्मीद की रौशनी जगाते हैं।

एक आम लड़की… जो बन गई ज़िंदगी की रौशनी

ज्योति अब सिर्फ अपने परिवार की बेटी नहीं रही।वो अब उन चार अनजान परिवारों की उम्मीद है, जिनके घरों में उसकी वजह से एक नई सुबह आई है।

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