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AI से आगे की सोच: चंडीगढ़ के युवा टेक्नोप्रेन्योर ने लॉन्च की ‘नेचुरल इंटेलिजेंस’

सिद्धांत बंसल का दावा— अब कमांड नहीं, संवाद का युग; भारत से उठी आवाज़, जो दुनिया तक पहुंचेगी
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चंडीगढ़, 20 मई (ट्रिन्यू)

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जब पूरी दुनिया आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की तेज़ रफ्तार में दौड़ रही है, तब चंडीगढ़ के 31 वर्षीय आईटी इंटरप्रेन्योर सिद्धांत बंसल ने एक नया रास्ता दिखाया है—‘नेचुरल इंटेलिजेंस’ (Natural Intelligence या NI)। सोमवार को अपनी कंपनी अलोहा इंटेलिजेंस के जरिए उन्होंने इसकी घोषणा करते हुए कहा, “यह कोई नया प्रोडक्ट नहीं, यह तकनीक की सोच को रीसेट करने की शुरुआत है।”

पंजाब यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएट सिद्धांत ने वर्षों तक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के साथ काम किया। उन्होंने उसके सिस्टम बनाए, परखा और समझा कि उनमें इंसान जैसी समझ, संवेदना और जुड़ाव की कमी है। “AI में रफ्तार है, लेकिन समझ नहीं। डेटा है, पर भावना नहीं,” उन्होंने कहा।

NI : जहां मशीनें इंसानों की तरह सोचें

इसी कमी को पूरा करने के लिए उन्होंने नेचुरल इंटेलिजेंस की अवधारणा को जन्म दिया—एक ऐसा सिस्टम जो इंसानों की तरह सुनता है, सोचता है और जवाब देता है। “यह कमांड पर नहीं, संवाद पर आधारित है। इसमें ऑटोमेशन नहीं, बल्कि कनेक्शन है,” सिद्धांत ने समझाया।

अलोहा : दुनिया की पहली NI आधारित कंपनी

सिद्धांत की अलोहा इंटेलिजेंस दुनिया की पहली ऐसी कंपनी है जो पूरी तरह नेचुरल इंटेलिजेंस पर काम करती है। यह तकनीक न केवल इंसानों के लिए है, बल्कि मशीनों के लिए भी एक ‘रियल टाइम थिंकिंग ब्रेन’ की तरह काम करती है। इसका मकसद है इंसानों और तकनीक के बीच एक संवेदनशील, समझदार रिश्ता बनाना।

तकनीक, जो हर किसी की साथी बने

“चाहे कोई छात्र RTI दाखिल करना चाहता हो या माता-पिता FIR दर्ज कराना चाहें, अलोहा उनके साथ खड़ी है। यह सिस्टम न विज्ञापन दिखाता है, न डेटा चुराता है, न ध्यान भटकाता है—बस सच्ची, सरल और साफ तकनीक देता है,” सिद्धांत ने कहा।

“सही तकनीक वो है जो सही फैसला करे”

सिद्धांत का मानना है कि अब वक्त है जब इंटेलिजेंस का मतलब सिर्फ तेज़ नहीं, बल्कि सही होना चाहिए। उनका सपना है—टेक्नोलॉजी को फिर से आम लोगों के हाथ में लौटाना। “हम सिलिकॉन वैली की नकल नहीं कर रहे, हम अपनी ज़मीन से अपनी भाषा बोल रहे हैं और यही भारत की आवाज़ अब दुनिया सुन रही है।

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