जोगिंद्र सिंह/ट्रिन्यू
चडीगढ़, 13 फरवरी
नवगठित पंजाब विश्वविद्यालय सीनेट की दूसरी मीटिंग भी आॅनलाइन मॉड से ही हुई। आज की बैठक में सीनेट ने नैक टीम के दौरे से पहले पीयू की ओर से भेजी जाने वाली सेल्फ स्टडी रिपोर्ट (एसएसआर) के लिये आवश्यक नौ पॉलिसी डाॅक्यूमेंट ड्राफ्ट करने और इन्हें लागू करने के संबंध में कुलपति को अधिकृत कर दिया गया। इतना ही नहीं, सदन ने उदारता दिखाते हुए बोर्ड आॅफ फाइनांस (बीओएफ) की मीटिंग बुलाने और उसके लिये अगर कुलपति उचित समझें तो सीनेट से चार सदस्यों को स्पेशल इनवाइटी के तौर पर नामित करने को भी अधिकृत कर दिया। मजे की बात ये है कि जिस विषय यानी पॉलिसी डाॅक्यूमेंट के लिये मीटिंग बुलायी गयी लेकिन इस संबंध में कोई ड्राफ्ट नहीं था और न ही कमेटी अभी तक कुछ फ्रेम कर पायी।
बैठक में प्रो. रजत संधीर ने कहा कि अगर दस्तावेज सामने हों तो कोई सुझाव या इनपुट दिया जा सकता है लेकिन हम तो ऐसे दस्तावेज पर बात कर रहे हैं, जो है ही नहीं। आरएस झांजी, रजत संधीर और जतिंदर ग्रोवर ने कहा कि ऐसे दूसरे विश्वविद्यालयों से ड्राफ्ट ले सकते हैं जहां नैक के दौरे हो चुके हैं। गुरजोत मल्ही ने कहा कि पॉलिसी ड्राफ्ट तैयार करना ही नहीं एसएसआर भेजने से पहले इसे लागू भी करना होगा। वरिंदर गिल ने कहा कि छोटे विभागों के मर्जर पर उनकी भी राय लेनी चाहिए और विभाग में अलग स्पेस देना चाहिए। लाइब्रेरी आदि सांझी हो सकती है। सुखबीर कौर ने कहा कि शिक्षक-शिष्ट रेशो और विभागों का मर्जर न होना नैक को प्रभावित कर सकता है। प्रभजीत ने भी सवाल किया कि केवल पॉलिसी डाॅक्यूमेंट बनाने से कुछ नहीं होगा, उन्हें लागू भी करना होगा क्योंकि नैक टीम लागू करने की डेट देखेगी। सत्यपाल जैन ने कहा कि बोर्ड आॅफ फाइनांस व सिंडिकेट में भी लोग तो सीनेट से ही जाने हैं और सीनेट सुुप्रीम बॉडी है। जब तक मीटिंग नहीं होगी तब तक बजट पास नहीं होगा और न ही फंड मिलेंगे इसलिये वीसी को पावर दे दें।
नान-टीचिंग कर्मियों की प्रमोशन में आरक्षण
नान-टीचिंग कर्मचारियों को प्रमोशन में आरक्षण के मसले पर काफी देर चर्चा होती रही लेकिन बाद में पंजाब में चुनाव और मामला कोर्ट में होने का हवाला देकर इस पर एक कमेटी बना देने को हरी झंडी दी गयी। इस मसले पर जगवंत सिंह ने कहा कि पंजाब सरकार के नियम फालो करने हैं या केंद्र के। अगर केंद्र के करने हैं तो कैलेंडर में इसका प्रावधान नहीं है। पूटा प्रधान मृत्युंजय कुमार ने कहा कि जब कैलेंडर में प्रावधान नहीं है तो कैसे इसे पास कर सकते हैं ?
शून्यकाल में उठाये गये ये मुद्दे
शून्यकाल में एसएस संघा ने पांच साल से एजुकेशन में पीएचडी के एंट्रेस न होने का मसला उठाया। वरिंदर गिल ने डेंटल कालेज में 16 साल से टेम्परेरी टीचर्स का मामला उठाते हुए उन्हें पक्का करने की बात की। गुरमीत सिंह ने फिर पीयू को सेंट्रल दर्जा दिलाने और सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने का मामला उठाया। प्रो. देविंदर ने पीएचडी थीसिस में बाहर गाइड का नाम भी छापे जाने की बात कही, जिस पर परीक्षा नियंत्रक जगत भूषण ने सफाई दी कि पत्र जारी हो चुका है, अब से नाम छपेगा। नरेश गौड़ ने मीटिंग में न सुने जाने पर विरोध दर्ज कराया। उन्होंने प्रिंसिपल मुकेरियां के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। प्रो. के. गाबा ने 100 बैड के अस्पताल और कच्चे फैकल्टी मैंबरों को रेगुलर किये जाने की बात रखी।