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सर्जन दीपक पुरी की लघु फिल्म ‘रखिए दिल का ख्याल दिल से’ रिलीज

मनीमाजरा (चंडीगढ़), 6 जून (हप्र) शहर के कार्डियक सर्जन डॉ. दीपक पुरी द्वारा बनाई गई पुरस्कार विजेता लघु फिल्म ‘रखिए दिल का ख्याल दिल से’ शुक्रवार को यहां चल रहे तीन दिवसीय 15वें वार्षिक कार्डियोमर्सन ग्लोबल कॉन्फ्रेंस 2025 के दौरान...
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कार्डियक सर्जन डॉ. दीपक पुरी द्वारा बनाई गई पुरस्कार विजेता लघु फिल्म ‘रखिए दिल का ख्याल दिल से का दृश्य। -हप्र
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मनीमाजरा (चंडीगढ़), 6 जून (हप्र)

शहर के कार्डियक सर्जन डॉ. दीपक पुरी द्वारा बनाई गई पुरस्कार विजेता लघु फिल्म ‘रखिए दिल का ख्याल दिल से’ शुक्रवार को यहां चल रहे तीन दिवसीय 15वें वार्षिक कार्डियोमर्सन ग्लोबल कॉन्फ्रेंस 2025 के दौरान रिलीज की गई।

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इस फिल्म का लेखन, निर्माण और निर्देशन डॉ. पुरी ने किया है। फिल्म में उनकी कार्डियोमर्सन टीम के सदस्यों ने स्क्रिप्ट को निभाया है, जिसमें एक साधारण कहानी के माध्यम से दर्शाया गया है कि अचानक दिल के दौरे के कारण युवा क्यों मर रहे हैं।

डॉ. पुरी ने इस फिल्म में दो प्रेरक गीत भी गाए हैं, जो दर्शकों को नियमित व्यायाम करने, शारीरिक रूप से सक्रिय रहने और संगीत तथा प्रकृति के स्वास्थ्य लाभों का आनंद लेने के लिए प्रेरित करते हैं। फिल्म में दिखाया गया है कि स्वस्थ और फिट दिखने के बावजूद युवा अचानक हृदयाघात का शिकार हो रहे हैं और कैसे शुरुआती जोखिम कारकों की जांच और स्वस्थ जीवन शैली अपनाकर इसे रोका जा सकता है। डॉ. पुरी ने कहा, ‘आजकल युवा उन मशहूर हस्तियों का आंख मूंदकर अनुसरण करते हैं, जिनकी खुद की जीवनशैली तनावपूर्ण और अस्वस्थ होती है। कई युवा नशे की लत में फंस रहे हैं, जबकि अधिकांश युवा स्व-चिकित्सा या अपरंपरागत उपचारों का भी पालन करते हैं, जिनका कोई वैज्ञानिक रूप से सिद्ध आधार नहीं है और बहुमूल्य जीवन खो देते हैं।’अधिकांश युवा दिल के दौरे के लक्षणों को पहचानने में असमर्थ होते हैं और अपना बहुमूल्य समय खो देते हैं, जिस दौरान उनके हृदय की मांसपेशियां क्षतिग्रस्त हो जाती हैं, उन्होंने कहा। यह फिल्म फिल्म स्टार देव आनंद की 102वीं जयंती और उनकी स्वस्थ जीवनशैली का भी जश्न मनाती है।

डॉ. पुरी ने कहा कि उनका मानना है कि व्यक्ति को जीवन भर शारीरिक और मानसिक रूप से सक्रिय रहना चाहिए, बजाय इसके कि वे जोखिम कारकों के जाल में फँसें, जो दिल के दौरे, कैंसर और स्ट्रोक जैसी जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों का कारण बनते हैं।

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