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66 वर्षीय बुजुर्ग की रीढ़ की बीमारी का सफल ऑपरेशन, लकवा से बची ज़िंदगी

न्यूरो-नेविगेशन और न्यूरो-मॉनिटरिंग तकनीकों से हुआ इलाज, तीन घंटे की सर्जरी के बाद मरीज अब चलने-फिरने में सक्षम
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चंडीगढ़, 6 जून (ट्रिन्यू)

छह महीने से गंभीर कमर दर्द और साइटिका की तकलीफ झेल रहे 66 वर्षीय बुजुर्ग को मोहाली के एक अस्पताल में डॉक्टरों ने अत्याधुनिक तकनीकों की मदद से नया जीवन दिया। न्यूरोसर्जरी विभाग द्वारा की गई इस जटिल सर्जरी में न्यूरो-नेविगेशन और न्यूरो-मॉनिटरिंग तकनीकों का इस्तेमाल किया गया, जिसने मरीज को स्थायी कमजोरी और लकवे जैसी स्थिति से बचा लिया।

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मरीज लंबे समय से चलने-फिरने में असमर्थ था। दोनों जांघों और पैरों में दर्द बढ़ता जा रहा था और उसे पेशाब पर नियंत्रण भी नहीं रह गया था। मोहाली के अस्पताल में न्यूरो-स्पाइन सर्जरी विभाग के एडिशनल डायरेक्टर डॉ. हरसिमरत बीर सिंह सोढी ने मरीज की जांच की। लम्बर स्पाइन की एमआरआई से यह सामने आया कि एल4 से एस1 तक रीढ़ की हड्डियों में गंभीर न्यूरल कम्प्रेशन हो रहा था। हड्डियाँ एक-दूसरे पर फिसल रही थीं, जिससे तंत्रिकाओं पर दबाव बन रहा था।

डॉ. सोढी और उनकी टीम ने न्यूरो-नेविगेशन और न्यूरो-मॉनिटरिंग के सहारे करीब तीन घंटे तक चली सर्जरी में रीढ़ की नलिका और तंत्रिकाओं का दबाव हटाया और स्पाइनल फिक्सेशन किया। सर्जरी के बाद मरीज की हालत में तेजी से सुधार हुआ और पांच दिन में उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। मरीज का फुट ड्रॉप भी 3-4 महीनों की फिजियोथेरेपी के बाद ठीक हो गया और अब वे बिना सहारे चलने-फिरने में सक्षम हैं।

डॉ. सोढी ने बताया कि न्यूरो-नेविगेशन तकनीक से रीढ़ में स्क्रू अत्यंत सटीकता से लगाए गए, जबकि न्यूरो-मॉनिटरिंग से ऑपरेशन के दौरान तंत्रिकाओं की कार्यप्रणाली पर निरंतर निगरानी रखी गई, जिससे किसी भी असंबंधित नस को नुकसान नहीं हुआ।

मरीज अब सामान्य जीवन जी रहे हैं और उन्हें पेशाब की नली की ज़रूरत नहीं रही।

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