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सेहत का संकल्प : नैचुरोपैथी और योग के 122 विद्यार्थी बने स्नातक

पंचकूला, 18 मई (हप्र)'डिग्री महज कागज़ का टुकड़ा नहीं, यह समाज को स्वस्थ बनाने का संकल्प है।' इसी भाव के साथ पंचकूला स्थित श्री माता मनसा देवी चेरिटेबल ट्रस्ट के ऑडिटोरियम में रविवार को एक प्रेरणादायक दीक्षांत समारोह आयोजित किया...
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दीक्षांत समारोह में डिग्रियों के साथ छात्र।
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पंचकूला, 18 मई (हप्र)'डिग्री महज कागज़ का टुकड़ा नहीं, यह समाज को स्वस्थ बनाने का संकल्प है।' इसी भाव के साथ पंचकूला स्थित श्री माता मनसा देवी चेरिटेबल ट्रस्ट के ऑडिटोरियम में रविवार को एक प्रेरणादायक दीक्षांत समारोह आयोजित किया गया। इसमें नैचुरोपैथी और योग के 122 विद्यार्थियों को स्नातक की डिग्री प्रदान की गई।

इस समारोह का आयोजन गांधी स्मारक प्राकृतिक चिकित्सा समिति नयी दिल्ली, नेचुरोपैथी योग आयुर्वेद साइंसेज समिति, मोहाली और वरदान नेचुरोपैथी एवं योग संस्थान, चंडीगढ़ के संयुक्त तत्वावधान में किया गया।

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मुख्य अतिथि देश भगत यूनिवर्सिटी के कुलाधिपति डॉ. जोरा सिंह ने छात्रों को डिग्री प्रदान करते हुए कहा कि शिक्षा का अर्थ केवल ज्ञान अर्जन नहीं, बल्कि समाज के प्रति उत्तरदायित्व को निभाना है। उन्होंने प्राकृतिक चिकित्सा को प्रभावी, औषधिविहीन और जीवनशैली आधारित उपचार पद्धति बताते हुए इसे जन-जन तक पहुंचाने का आह्वान किया। डॉ. सिंह ने यह घोषणा भी की कि देश भगत यूनिवर्सिटी इस संस्थान से जुड़े पाठ्यक्रमों में शैक्षणिक सहयोग करेगी ताकि विद्यार्थियों को विश्वविद्यालय स्तरीय सुविधा मिल सके। समिति के श्रेष्ठ विद्यार्थियों में डॉ. रचना सिंह को स्वर्ण पदक और विशेष सम्मान मिला, जबकि दीपक क्षेत्रपाल को रजत पदक से नवाजा गया।

राष्ट्र निर्माण में योगदान का आह्वान

समारोह की अध्यक्षता कर रहे डॉ. पुनीत मलिक ने कहा कि युवा विद्यार्थियों को स्वास्थ्य के क्षेत्र में अपनी भूमिका निभाते हुए राष्ट्र निर्माण में योगदान देना चाहिए। मुख्य वक्ता डॉ. हरीश यादव (निदेशक, आरोग्य अमृत नेचुरोपैथी योग अस्पताल एवं ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट, हिसार) ने अपने संबोधन में कहा कि प्राकृतिक चिकित्सा शरीर, मन, आत्मा और समाज चारों स्तरों पर कार्य करती है। यह चिकित्सा पद्धति बिना दवाइयों के रोगों को जड़ से ठीक करने की क्षमता रखती है और इसमें आहार ही औषधि है।

विशिष्ट योगदान देने वालों का किया सम्मान

छह विशिष्ट व्यक्तियों को उनके योगदान के लिए विशेष रूप से सम्मानित किया गया। इनमें डॉ. आदित्य भारद्वाज, डॉ. हरिचंद गुप्ता, डॉ. मुकेश कुमार अग्रवाल, डॉ. जसमीत सिंह बेदी, प्रीति गोयल और डॉ. सुमन बाला शामिल थे।

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