पीयू 30 जून तक देना होगा यूपीएस-एनपीएस का विकल्प
जोगिंद्र सिंह/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 24 अप्रैल
केंद्र सरकार की ओर से हाल ही में आये एक सर्कुलर के आलोक में पंजाब यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन (पूटा) ने टीचर्स को नई पेंशन स्कीम के बारे में जागरूक करने का बीड़ा उठाया है। सर्कुलर के मुताबिक कर्मचारियों को 30 जून तक यूनिफाइड पेंशन स्कीम (यूपीएस) और नेशनल पेंशन स्कीम (एनपीएस) में से एक को चुनना है। पूटा के बैनर तले आज आयोजित एक लेक्चर में पीयू के वित्त एवं विकास अधिकारी (एफडीओ) सीए विक्रम नैयर ने यूपीएस और एनपीएस के अपने-अपने फायदों के बारे में विस्तार से बताया। हालांकि पीयू के कर्मचारी अभी भी पंजाब सरकार के ओल्ड पेंशन स्कीम (ओपीएस) बहाली के वादे पर भी अटके हैं।
नैयर ने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा 2004 में खत्म की गयी ओल्ड पेंशन स्कीम के बाद 2009 में नेशनल पेंशन स्कीम लायी गयी जिसमें कर्मचारियों को कांट्रीब्यूट करना होता है और साथ ही नियोक्ता भी इसमें उतना ही हिस्सा डालता है। एनपीएस में सरकार 2019 से अपना हिस्सा 10 फीसदी से बढ़ाकर 14 फीसदी दे रही है लेकिन यूपीएस स्कीम में सरकार कुल 18.5 प्रतिशत कांट्रीब्यूशन देगी। इस स्कीम में पेंशन पूरी तरह से शेयर बाजार के उतार चढ़ाव पर आधारित है।
एफडीओ विक्रम नैयर ने बताया कि यूपीएस फंड बेस्ड पेंशन स्कीम है। नई पेंशन स्कीम में इंडीविजुअल और पूल कार्प्स नाम से दो आप्शन होंगे। हर कर्मचारी पहले पूल की राशि चाहे एकमुश्त या एनुइटी के आधार पर ले सकता है या फिर इसे अपनी पसंद के शेयरों में इनवेस्ट कर सकता है जबकि दूसरा हिस्सा सरकार निवेश करेगी। इसमें पेंशन कर्मचारी के सेवाकाल की लंबाई के हिसाब से तय होगी। यह पेंशन स्कीम महंगाई से जुड़ी होगी जिसे डीए की जगह डीआर (डियरनेस रिलीफ) कहा जायेगा। 25 साल की नौकरी के बाद अंतिम 12 माह की औसत सैलरी के अनुसार पेंशन तय होगी और यह केवल उन्हें ही मिलेगी जो रिटायर होंगे, वीआरएस, निकाले गये और इस्तीफा देने वाले इसके हकदार नहीं होंगे। 25 साल से कम सेवा वालों की पेंशन आनुपातिक तौर पर कम होती जायेगी। पेंशन लेने के लिये कम से कम 10 साल की सेवा अनिवार्य है। यूपीएस फायदेमंद है लेकिन इसके
लिये आपको थोड़ी कीमत अदा करनी होगी। हालांकि मेडिकल पुनर्भुगतान की सुविधा एनपीएस और यूपीएस दोनों में ही मिलती रहेगी। एनपीएस में आप 60 प्रतिशत राशि एक बार में ले सकते हैं मगर यूपीएस में अंतिम वेतन के बराबर छह माह की तनख्वाह ही निकाल पायेंगे।