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PGIMER Chandigarh : यूं ही बिना सोचे-समझे कर रहे हैं एंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल? तो संभल जाएं, हो सकता है खतरनाक

चंडीगढ़ में आयोजित एंटीमाइक्रोबियल स्टीवर्डशिप कार्यशाला में विशेषज्ञों ने दी यह चेतावनी
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विवेक शर्मा

चंडीगढ़, 27 मार्च

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PGIMER Chandigarh : 'अगर एंटीबायोटिक्स को यूं ही बिना सोचे-समझे इस्तेमाल किया गया, तो एक दिन ये दवाएं असर करना बंद कर देंगी।' पीजीआईएमईआर, चंडीगढ़ में आयोजित ‘एंटीमाइक्रोबियल स्टीवर्डशिप’ कार्यशाला में विशेषज्ञों ने यह चेतावनी दी। इस कार्यशाला में पंजाब के विभिन्न सरकारी अस्पतालों से आए चिकित्सा अधिकारियों ने भाग लिया, जहां विशेषज्ञों ने एंटीबायोटिक्स के दुरुपयोग और उससे पैदा हो रहे गंभीर खतरों पर चर्चा की।

नीति निर्धारकों और डॉक्टरों को मिलकर उठाने होंगे कदम

कार्यशाला का उद्घाटन विशेष सचिव (स्वास्थ्य) एवं मिशन निदेशक, एनएचएम पंजाब, घनश्याम टोरी ने किया। उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार रोगाणुरोधी प्रतिरोध (AMR) को रोकने के लिए ठोस नीतियों पर काम कर रही है। उनके साथ डॉ. मंजू बंसल, डॉ. रोहिणी गोयल (एनएचएम पंजाब) और प्रो. वनीता जैन (PGIMER) भी उपस्थित रहीं। कार्यशाला की आयोजक प्रो. नुसरत शफीक ने बताया कि गलत एंटीबायोटिक उपयोग से बैक्टीरिया पहले से ज्यादा ताकतवर बन रहे हैं, जिससे इलाज मुश्किल होता जा रहा है।

एंटीबायोटिक्स का अति प्रयोग: वरदान से अभिशाप तक

कार्यशाला में विशेषज्ञों ने एंटीबायोटिक्स के अति प्रयोग से होने वाले दुष्प्रभावों पर विस्तार से चर्चा की। आईसीएमआर की डॉ. कामिनी वालिया ने बताया कि भारत में एंटीबायोटिक्स प्रतिरोध (AMR) तेजी से बढ़ रहा है, जिससे कई बीमारियों का इलाज मुश्किल होता जा रहा है। प्रो. वनीता जैन ने कहा कि मरीजों को बिना डॉक्टर की सलाह के एंटीबायोटिक्स नहीं लेनी चाहिए, और डॉक्टरों को भी जरूरत से ज्यादा इन्हें लिखने से बचना चाहिए। प्रो. समीर मल्होत्रा (एचओडी, फार्माकोलॉजी विभाग) ने कहा कि यदि रोगाणुरोधी प्रतिरोध पर नियंत्रण नहीं पाया गया, तो भविष्य में कोई भी एंटीबायोटिक प्रभावी नहीं रह जाएगी।

जरूरी नहीं हर बुखार में एंटीबायोटिक्स

कार्यशाला में कई महत्वपूर्ण सत्र हुए, जिनमें विशेषज्ञों ने एंटीबायोटिक्स के सही उपयोग पर जोर दिया। संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ. हरप्रीत सिंह ने कहा कि हर बुखार के लिए एंटीबायोटिक्स जरूरी नहीं होतीं, शरीर खुद भी संक्रमण से लड़ सकता है। स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. रिंपी सिंगला ने महिला रोगों में एंटीबायोटिक्स के सीमित उपयोग की सलाह दी। दंत रोग विशेषज्ञ डॉ. अदिति कपूर ने दांतों के संक्रमण में एंटीबायोटिक्स के विवेकपूर्ण उपयोग पर जोर दिया। त्वचा रोग विशेषज्ञ डॉ. सेजल जैन ने कहा कि त्वचा संक्रमण में एंटीबायोटिक्स तभी इस्तेमाल होनी चाहिए, जब बिल्कुल जरूरी हो।

संदेश स्पष्ट: एंटीबायोटिक्स को अंतिम विकल्प के रूप में अपनाएं

कार्यशाला के समापन पर प्रो. नुसरत शफीक ने सभी प्रतिभागियों और आईसीएमआर का धन्यवाद किया और जोर देकर कहा कि एंटीबायोटिक्स का विवेकपूर्ण उपयोग ही हमें भविष्य के स्वास्थ्य संकट से बचा सकता है।

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