अब पिंजौर में भी गड़बड़ाया लड़का-लड़की लिंगानुपात का अंतर
पिंजौर, 28 अप्रैल (निस)
प्रदेश के अन्य जिलों में बढ़ते लिंगानुपात से अछूता रहा अर्धपहाड़ी क्षेत्र भी इसकी चपेट में आ गया है विशेषकर पिंजौर ब्लॉक में अब लिंगानुपात का अंतर गड़बड़ा चुका है। स्वास्थ्य विभाग के इंस्पेक्टर बलवंत सिंह के अनुसार पिंजर ब्लॉक के गांव चिकन भैरियां, पतन, कजियाणा गांवों को चिन्हित किया तो इनमें लिंगानुपात में ज्यादा अंतर नजर आया है। उन्होंने आशंका व्यक्त करते हुए बताया कि पिछले 5 वर्षों में उक्त गांवों में नवजात लड़कों, लड़कियों की संख्या में काफी अंतर पाया गया है। ऐसा प्रतीत होता है कि कहीं ना कहीं गैर कानूनी गतिविधियों को अंजाम देकर समाज द्वारा लड़के, लड़की में भेद कर लड़की के भ्रूण को गर्भ में ही मार दिया जाता हो जिसके फलस्वरूप ऐसे आंकड़े सामने आ रहे हैं। लिंगानुपात में ज्यादा अंतर के आंकड़े आने के बाद स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया है।
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने उक्त गांवों में कार्यरत एएनएम नर्स, आशा वर्कर्स, आंगनवाड़ी वर्कर्स को निर्देश दिए हैं कि वे इस मामले में विशेष ध्यान देते हुए कड़ी नजर रखें। सिविल सर्जन डॉक्टर मुक्ता कुमार के निर्देशानुसार पिंजौर के प्रवर चिकित्सा अधिकारी डॉ. राजेश ख्यालिया, स्वास्थ्य निरीक्षक बलवंत सिंह ने सभी गांवों का अलग-अलग दौरा कर वहां की आशा- आंगनवाड़ी वर्कर्स, एएनएम नर्स, गांवों के सरपंच, पंच, महिलाओं, पुरुषों को इकट्ठा कर उन्हें लिंगानुपात के बढ़ते अंतर की जानकारी दी। स्वास्थ्य अधिकारियों ने बताया कि कानून का उल्लंघन कर भ्रूण को गर्भ में ही मारने जैसे घृणित कार्य इसके जिम्मेदार हो सकते हैं जो कि पीएनडीटी एक्ट का सीधा-सीधा उल्लंघन है । बाकायदा इसके लिए सजा का प्रावधान है। उन्होंने कहा कि ऐसे कामों में संलिप्त किसी भी व्यक्ति की सूचना सरकार को देने वाले व्यक्ति को इनाम भी दिया जाएगा व उसकी पहचान गुप्त रखी जाएगी। उन्होंने ग्रामीणों को बताया कि आज के युग में लड़का, लड़की में कोई अंतर नहीं है। लड़कियां हर क्षेत्र में लड़कों से आगे ही अपनी योग्यता सिद्ध कर रही हैं। शादी के बाद भी लड़कियां अपने माता-पिता का उतना ध्यान रखती हैं जितना कि अपने सास, ससुर का। सरकार द्वारा बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ सहित अन्य स्कीमें चलाई गई हैं जिनका लोगों को लाभ लेना चाहिए।