Tribune
PT
About the Dainik Tribune Code Of Ethics Advertise with us Classifieds Download App
search-icon-img
Advertisement

प्रियजनों और प्रमुख हस्तियों ने दी श्रद्धांजलि

प्रो. आरपी बांबा की स्मृति में प्रार्थना सभा
  • fb
  • twitter
  • whatsapp
  • whatsapp
featured-img featured-img
चंडीगढ़ में बृहस्पतिवार को प्रख्यात गणितज्ञ, पंजाब यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपति और द ट्रिब्यून ट्रस्ट के पूर्व ट्रस्टी प्रो.आरपी बांबा की प्रार्थना सभा में पिता को श्रद्धांजलि देतीं उनकी बेटियां बिंदु और सुचारु। -रवि कुमार
Advertisement

ट्रिब्यून न्यूज सर्विस

चंडीगढ़, 29 मई

Advertisement

भारत के अग्रणी गणितज्ञों में से एक, पंजाब विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति और ट्रिब्यून ट्रस्ट के पूर्व ट्रस्टी प्रो. आरपी बांबा के सम्मान में आज एक अत्यंत मार्मिक स्मृति समारोह आयोजित किया गया। सोमवार, 26 मई को 99 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया था। चंडीगढ़ के सेक्टर 19 स्थित सामुदायिक केंद्र में आयोजित श्रद्धांजलि समारोह में विद्वानों, पूर्व छात्रों, न्यायविदों और शुभचिंतकों की एक बड़ी भीड़ उमड़ी।

प्रार्थना सभा में पंजाब विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. अरुण ग्रोवर और प्रो. केएन पाठक, पंजाबी विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. बीएस घुम्मन और पूर्व केंद्रीय मंत्री पवन कुमार बंसल सहित कई प्रतिष्ठित हस्तियां मौजूद रहीं। इस अवसर पर पीजीआई के सेवानिवृत्त डॉक्टर, हाईकोर्ट के न्यायाधीश और वरिष्ठ अधिवक्ता भी मौजूद थे।

पंजाब विश्वविद्यालय के गणित विभाग के प्रोफेसर एमेरिटस, जिनमें प्रोफेसर बांबा के अपने छात्र - प्रोफेसर राजिंदर जीत हंस-गिल, प्रोफेसर मधु राका और प्रोफेसर सुदेश कौर खंडूजा शामिल थे, ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की और उनकी प्रतिभा, मार्गदर्शन और गर्मजोशी को याद किया।

यह सुनिश्चित करने के लिए कि जो लोग उपस्थित नहीं हो सके, वे श्रद्धांजलि का हिस्सा बन सकें, प्रार्थना सभा का सीधा प्रसारण किया गया, जिससे दुनिया भर से दूर के परिवार और मित्र जुड़े।

इस मौके पर शहर के व्यापारिक और कानूनी समुदायों के प्रतिनिधि भी मौजूद रहे, जिनमें उद्योगपति विक्रम हंस और व्यवसायी अनु बंसल, वरिष्ठ अधिवक्ता बलराम के गुप्ता और उपन्यासकार खुशवंत सिंह भी शामिल थे।

प्रो. बांबा की बेटियों, बिंदु ए. बांबा और सुचारु खन्ना ने अपने पिता की विरासत के बारे में दिल से बातें कीं। उन्होंने उन्हें गहरी बुद्धि और दयालुता के व्यक्ति के रूप में याद किया, जिन्होंने ताउम्र उदारता पर जोर दिया, जिसमें विज्ञान और चिकित्सा के विकास के लिए अपना शरीर दान करने की उनकी अंतिम इच्छा भी शामिल थी।

बिंदु द्वारा साझा की गई एक छोटी कविता कई लोगों को सबसे मार्मिक क्षण लगी, जिसमें दर्शाया गया कि कैसे उनके पिता की आत्मा आज भी जीवित है : ‘विदुर के वित्तीय उत्साह में, धनंजय की तीक्ष्ण वैज्ञानिक अपील में, और सुचारु तथा मेरे उदार हृदय के माध्यम से।’

प्रो. आर.पी. बांबा का जीवन दुर्लभ प्रतिभा और असीम मानवता से भरा था। उनके बौद्धिक योगदान और व्यक्तिगत गुण एक ऐसी विरासत छोड़ते हैं जो आने वाले वर्षों में अकादमिक और व्यक्तिगत दोनों क्षेत्रों में बनी रहेगी।

Advertisement
×