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वकीलों ने ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ के समर्थन में की संगोष्ठी

मनीमाजरा (चंडीगढ़), 24 फरवरी (हप्र) चंडीगढ़ के वकीलो ने ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ के समर्थन में विषय पर एक विचारशील संगोष्ठी सोमवार को लॉ भवन, सेक्टर 37, चंडीगढ़ में आयोजित की गई। इस कार्यक्रम में 250 से अधिक वकीलों, वरिष्ठ...
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चंडीगढ़ में ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ पर आयोजित संगोष्ठी में मुख्य अतिथि का स्वागत करते अधिवक्ता। -हप्र
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मनीमाजरा (चंडीगढ़), 24 फरवरी (हप्र)

चंडीगढ़ के वकीलो ने ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ के समर्थन में विषय पर एक विचारशील संगोष्ठी सोमवार को लॉ भवन, सेक्टर 37, चंडीगढ़ में आयोजित की गई। इस कार्यक्रम में 250 से अधिक वकीलों, वरिष्ठ अधिवक्ताओं, न्यायिक विशेषज्ञों और कानूनी विद्वानों ने भाग लिया और भारत में समानांतर चुनावों को लागू करने के संवैधानिक और व्यावहारिक पहलुओं पर गहन चर्चा की। संगोष्ठी की शुरुआत पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट बार के वरिष्ठ अधिवक्ता लेखराज शर्मा के स्वागत भाषण से हुई।

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उन्होंने वन नेशन, वन इलेक्शन पहल की महत्ता पर प्रकाश डाला, जो राजनीतिक स्थिरता और प्रभावी शासन सुनिश्चित करने में सहायक हो सकती है। मुख्य अतिथि न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) अरविंद सांगवान ने वन नेशन, वन इलेक्शन के संवैधानिक व्यवहार्यता और कानूनी जटिलताओं पर गहन व्याख्यान दिया। उन्होंने इस सुधार के संभावित अवसरों और चुनौतियों पर न्यायिक दृष्टिकोण से प्रकाश डाला। वरिष्ठ अधिवक्ता एवं हरियाणा के पूर्व एडवोकेट जनरल बी.आर. महाजन ने इस विषय पर अपनी राय रखते हुए बताया कि अलग-अलग समय पर चुनाव कराने से प्रशासनिक चुनौतियां उत्पन्न होती हैं।

उन्होंने कहा कि यदि सभी चुनाव एक साथ कराए जाएं तो नीतिगत स्थिरता, प्रशासनिक दक्षता और दीर्घकालिक विकास योजनाओं में निरंतरता लाई जा सकती है। वरिष्ठ अधिवक्ता अतुल लखनपाल ने भारतीय चुनावी इतिहास पर प्रकाश डालते हुए बताया कि स्वतंत्रता के प्रारंभिक वर्षों में एकसाथ चुनाव कराए जाते थे, लेकिन राजनीतिक अस्थिरता और समयपूर्व विघटन के कारण यह चक्र बाधित हो गया।

उन्होंने वकील समुदाय से अपील की कि वे इस प्रणाली को फिर से स्थापित करने के लिए अपना समर्थन दें। संगोष्ठी का समापन एक इंटरेक्टिव सत्र के साथ हुआ, जहां अधिवक्ताओं ने वन नेशन, वन इलेक्शन की व्यवहार्यता, आवश्यक संवैधानिक संशोधन और इसके संघीय ढांचे पर संभावित प्रभाव पर विचार-विमर्श किया।

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