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88 की उम्र में भी धड़कता रहा दिल, लेज़र एंजियोप्लास्टी से मिली नयी ज़िंदगी

विवेक शर्मा चंडीगढ़, 17 अप्रैल जिंदगी की जंग उम्र नहीं, हौसला जीतता है। पटियाला के 88 वर्षीय बुजुर्ग ने भी कुछ ऐसा ही कर दिखाया। लंबे समय से दिल की बीमारी से जूझ रहे इस मरीज को जब एक के...
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डॉ. आर. के. जसवाल जानकारी देते हुए।
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विवेक शर्मा

चंडीगढ़, 17 अप्रैल

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जिंदगी की जंग उम्र नहीं, हौसला जीतता है। पटियाला के 88 वर्षीय बुजुर्ग ने भी कुछ ऐसा ही कर दिखाया। लंबे समय से दिल की बीमारी से जूझ रहे इस मरीज को जब एक के बाद एक अस्पतालों ने इलाज से मना कर दिया, तब मोहाली के फोर्टिस अस्पताल में उम्मीद की एक नयी किरण चमकी। मरीज ने करीब 30 साल पहले नयी दिल्ली में एंजियोप्लास्टी करवाई थी, लेकिन वक्त के साथ उनके पुराने स्टेंट में कैल्शियम जमाव और रक्त का थक्का बन गया, जिससे हालत बेहद गंभीर हो गई। सीने में लगातार दर्द और असहजता के चलते परिजन उन्हें फोर्टिस अस्पताल, मोहाली लेकर पहुंचे।

यहां कार्डियोलॉजी विभाग के प्रमुख और कैथलैब्स निदेशक डॉ. आर. के. जसवाल ने हालात को भांपते हुए बिना समय

गंवाए अत्याधुनिक एक्ससीमेर लेज़र कोरोनरी एंजियोप्लास्टी (ईएलसीए) प्रक्रिया शुरू की। इस तकनीक के जरिये उच्च तीव्रता वाली लेज़र लाइट से धमनियों में जमा ब्लॉकेज को सफलतापूर्वक हटाया गया।

डॉ. जसवाल ने बताया कि ईएलसीए तकनीक खास तौर पर उन मरीजों के लिए जीवनरक्षक बन रही है, जिनके पुराने स्टेंट फेल हो चुके हैं या जिनकी धमनियों में थक्कों की जटिल समस्या है। पारंपरिक एंजियोप्लास्टी के मुकाबले यह तकनीक धमनियों को ज्यादा सुरक्षित और प्रभावी तरीके से खोलती है, जिससे भविष्य में हार्ट अटैक का खतरा भी कम होता है। इलाज के बाद मरीज की हालत तेजी से सुधरी और दो दिन के भीतर उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई।

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