Tribune
PT
About the Dainik Tribune Code Of Ethics Advertise with us Classifieds Download App
search-icon-img
Advertisement

25 साल बिना पैरोल सजा काटी, भाई वरयाम सिंह की कुर्बानी की हुई अनदेखी

पूर्व केंद्रीय मंत्री रामूवालिया की हमदर्दी बनी उम्मीद की किरण
  • fb
  • twitter
  • whatsapp
  • whatsapp
featured-img featured-img
मोहाली में शनिवार को भाई वरयाम सिंह के परिजनों के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस करते पूर्व केंद्रीय मंत्री बलवंत सिंह रामूवालिया। -निस
Advertisement

मोहाली, 7 जून (निस)

लोक भलाई पार्टी के प्रधान और पूर्व केंद्रीय मंत्री बलवंत सिंह रामूवालिया ने आज भाई वरयाम सिंह के परिवार को मीडिया के सामने पेश करते हुए सिख संस्थाओं और सियासी नेताओं से अपील की कि वे इस परिवार की मदद के लिए आगे आएं। उन्होंने कहा कि बंदी सिंह भाई वरयाम सिंह, जो कि सिखी और सच्चाई के रास्ते पर चलते हुए 25 साल निर्दोष होने के बावजूद जेल में रहे, के सम्मान और उनके परिवार की हालत आज बेहद दयनीय है। गौरतलब है कि 2015 में रिहा हुए बंदी सिंह भाई वरयाम सिंह की पांच साल बाद मृत्यु हो गई थी।

Advertisement

बलवंत सिंह रामूवालिया ने बताया कि उन्होंने उत्तर प्रदेश के जेल मंत्री रहते हुए भाई वरयाम सिंह को रिहा करवाया, जिसे पिछले 25 वर्षों में एक दिन के लिए भी पेरोल नहीं मिली थी। उन्होंने कहा कि यह बेहद अफसोसजनक है कि भाई वरयाम सिंह को जेल में कभी भी अपने परिवार या किसी और से मिलने की अनुमति तक नहीं दी गई। न किसी धार्मिक संस्था, न शिरोमणि कमेटी और न ही किसी अकाली नेता ने उनकी या उनके परिवार की मदद के लिए हाथ बढ़ाया। उन्होंने कहा कि केवल शिरोमणि कमेटी के सदस्य कर्नल सिंह पंझोली और विदेशी सिख समुदाय की थोड़ी बहुत मदद ही उनके लिए उम्मीद की किरण बनती रही।

रामूवालिया ने कहा कि जब वे यूपी में जेल मंत्री थे, तब उन्हें पता चला कि भाई वरयाम सिंह बिना किसी दोष के जेल में बंद हैं। उन्होंने तुरंत उनसे मिलने का फैसला किया और रिहाई की प्रक्रिया शुरू की तथा एक सप्ताह के अंदर भाई वरयाम सिंह को उनके घर भेजा। इस प्रेस कांफ्रेंस में भाई वरयाम सिंह के परिवार ने भी सिख लीडरशिप और संस्थाओं को जगाने की कोशिश की।

भाई वरयाम सिंह की बहू सुखबीर कौर, पोती सिमरनजीत कौर और पोते जुगराज सिंह ने कहा कि हमारी सारी संपत्ति बिक चुकी है, बच्चों का भविष्य अंधेरे में है, और अगर बलवंत सिंह रामूवालिया न होते तो हमारे बुजुर्ग की लाश ही जेल से बाहर आती। परिवार ने कहा कि सिख कौम के लिए अगर कुर्बानी देने वालों का मान-सम्मान न हो, तो आने वाली पीढ़ियों में निराशा पैदा होगी।

Advertisement
×