मानसिक प्रताड़ना के कारण चंडीगढ़ यूटी प्रशासन से हरियाणा काडर के अधिकारियों का हो रहा मोहभंगः विजय बंसल
चंडीगढ़ यूटी प्रशासन में प्रतिनियुक्ति पर आए हरियाणा कॉडर के कई एचसीएस अधिकारियों ने समय से पहले ही वापस अपने मूल राज्य हरियाणा लौटने की इच्छा जताई है, इसका सबसे बड़ा कारण है कि हरियाणा काडर के अधिकारियों की चंडीगढ़ यूटी प्रशासन में मानसिक प्रताड़ना हो रही है। इसी का कड़ा संज्ञान लेते हुए शिवालिक विकास मंच हरियाणा प्रदेश अध्यक्ष एवं हरियाणा कांग्रेस प्रदेश पूर्व सचिव विजय बंसल एडवोकेट ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को ज्ञापन भेज कर उपरोक्त मामले में हस्तक्षेप कर पंजाब एवं हरियाणा काडर के अधिकारियों की प्रस्तावित तय अनुपात के आधार पर योग्यता अनुसार यूटी प्रशासन में उचित नियुक्ति देने की मांग की है।
ज्ञापन में विजय बंसल एडवोकेट ने कहा कि हरियाणा काडर के अधिकारियों को यूटी प्रशासन में दूसरे दर्जे का अधिकारी मानकर उनकी नियुक्ति की जाती है। यानि हरियाणा सिविल सर्विस के रैंक के बराबर अन्य राज्य के समकक्ष अधिकारी के अधीन नियुक्त कर दिया जाता है जो कि हरियाणा के अधिकारियों के साथ अन्याय है जबकि छोटे रैंक वाले अधिकारियों को अधीनस्थ अधिकारी लगाया जाता है इससे हरियाणा के अधिकारी खुद को अपमानित महसूस करते हैं। इतना ही नहीं हरियाणा के अधिकारियों के साथ दुर्व्यवहार तक किया जाता है। यही कारण है कि चंडीगढ़ यूटी प्रशासन से हरियाणा के अधिकारियों का अब मोहभंग होने लगा है एक के बाद एक वे अपने मूल राज्य में लौटने की इच्छा जताने लगे हैं।
विजय बंसल एडवोकेट ने ज्ञापन में स्पष्ट रूप से जिक्र करते हुए कहा कि हरियाणा के अधिकारी चंडीगढ़ प्रशासन में प्रतिनियुक्ति पर जाना गर्व समझते थे लेकिन अब कुछ समय से यूटी प्रशासन द्वारा उन्हें सम्मान ना देने के कारण और उनकी योग्यता के आधार पर पद न देने के कारण वह परेशान होकर अपने मूल राज्य लौट रहे हैं। इससे हरियाणा की यूटी प्रशासन में हिस्सेदारी ना के बराबर होती जा रही है।
विजय बंसल एडवोकेट ने बताया कि 2016 बैच की एचसीएस अधिकारी शशि वसुंधरा जो पिछले 1 साल से चंडीगढ़ नगर निगम में जॉइंट कमिश्नर के पद पर तैनात थी उन्होंने हरियाणा सरकार को लिखित में यूटी से वापसी की सहमति दे दी है जिसके बाद चंडीगढ़ प्रशासन ने हरियाणा सरकार से उनकी जगह नया पैनल भेजने को कहा है जिस पर हरियाणा सरकार ने भी मोहर लगा दी है। उनके स्थान पर तीन अधिकारियों के नाम पैनल में भेजे गए हैं। इसी प्रकार वर्ष 2013 बैच की एचसीएस अधिकारी डॉक्टर रिचा राठी जो गत 16 जनवरी 2025 को चंडीगढ़ यूटी में तैनात हुई थी वर्तमान में छुट्टी पर चल रही है उन्होंने भी हरियाणा सरकार को यूटी से वापसी के लिए सहमति पत्र भेजा है। हरियाणा के मुख्य सचिव ने उनके स्थान पर भेजे जाने वाली अधिकारियों का पैनल तैयार करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। चंडीगढ़ प्रशासन को उनके रिलीव के लिए पत्र भेजा जा चुका है। जबकि इससे पूर्व शालिनी चेतन एचसीएस अधिकारी बतौर जॉइंट कमिश्नर नगर निगम समय से पूर्व अपने मूल काडर हरियाणा वापस चली गई थी। इसी प्रकार से शम्भु राठी एचसीएस और आलोक पासी एईटीसी भी पिछले साल समय से पहले वापिस हरियाणा आये है।
विजय बंसल एडवोकेट ने कहा कि पंजाब एवं हरियाणा प्रदेश के अलग-अलग राज्य बनने के बाद चंडीगढ़ 1966 से केंद्र शासित प्रदेश है जो पंजाब और हरियाणा की संयुक्त राजधानी है। इससे पूर्व परंपरागत रूप से डीसी और गृह सचिव हरियाणा काडर के अधिकारी नियुक्त होते थे उनके पास आबकारी और परिवहन जैसे महत्वपूर्ण विभागों का प्रभार होता था लेकिन बीते 1 वर्ष में यह संतुलन स्पष्ट रूप से बदल चुका है।
विजय बंसल एडवोकेट ने बताया कि अब कमिश्नर आबकारी एवं कराधान यूटी काडर के आईएएस 2018 बैच के अधीन है, जबकि सचिव परिवहन का पद अब पंजाब काडर के आईएएस अधिकारी के अधीन है और सिटको के एमडी पहले पंजाब काडर के होते थे अब यूटी काडर को यह पद सोपा गया है, उधर नगर निगम के कमिश्नर पंजाब काडर के आईएएस अधिकारी हैं, पर साथ ही एक यूटी काडर के विशेष कमिश्नर को भी साथ में जोड़ा गया है। इसी प्रकार चंडीगढ़ यूटी में वर्तमान में चार दानिक्स काडर के अधिकारी तैनात हैं जिनमें से दो एसडीएम के साथ-साथ एस्टेट ऑफिसर के तौर पर भी काम देख रहे हैं। हालांकि आज तक किसी दानिक्स अधिकारी को नगर निगम में तैनात नहीं किया गया है यहां अब भी नगर निगम में केवल हरियाणा और पंजाब काडर के अधिकारियों की तैनाती की परंपरा चल रही है।
विजय बंसल एडवोकेट ने बताया कि चंडीगढ़ यूटी प्रशासन और हरियाणा काडर के बीच धीरे-धीरे गहराता यह असंतोष कई स्तर पर प्रशासनिक संतुलन पर प्रश्न खड़े कर रहा है यदि यही स्थिति बनी रही तो भविष्य में चंडीगढ़ प्रशासन में हरियाणा काडर के अधिकारियों की भागीदारी और प्रभाव दोनों सीमित होकर रह जाएंगे।
ज्ञापन में विजय बंसल एडवोकेट ने प्रश्न किया कि क्या यह केंद्र और राज्य संबंधों की नीतिगत विसंगति का परिणाम है या यूटी प्रशासन की कार्यशैली में किसी गहराई की ओर इशारा करता है? यह सवाल अब और गंभीर होता जा रहा है। इसलिए केंद्रीय गृह मंत्रालय को इस मामले में जल्द से जल्द हस्तक्षेप कर हरियाणा काडर के अधिकारियों को उनका सम्मान लौटाना चाहिए।